शिवपुरी। बीते दिनों बदरवास थाना सीमा के ग्राम दीगोद कंचनपुरा सहरिया मोहल्ला में एक 10 साल की बच्ची को मात्र 14 हजार रुपए में बेचने का मामला प्रकाश में आया था। बच्ची की शादी की जा रही थी। मौके पर महिला बाल विकास विभाग की टीम और बदरवास थाना पुलिस पहुंची थी,लेकिन इस मामले में आरोपियों को क्लीन चिट देकर छोड दिया गया। इस मामले की CWC ने संज्ञान में लिया है और संबंधितो को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उल्लेखनीय है कि ग्राम दीगोद कंचनपुरा में एक दस साल की मासूम बच्ची को 14 हजार रुपये में उसके ताऊ व चाचा ने ग्राम हस्तिनापुर निवासी कल्ला पुत्र कोमल आदिवासी को बेच दिया था। जब 26 मई को उसकी शादी कराई जा रही थी तो उसके भाई ने शादी रुकवाई थी। 27 मई की सुबह महिला एवं बाल विकास विभाग की पर्यवेक्षक अंगूरी देवी उपाध्याय ने थाने पहुंच कर पंचनामा तैयार करवाया था जिसमें शादी के एवज में वर पक्ष द्वारा 14 हजार देने का उल्लेख था।
पुलिस व महिला बाल विकास के जिम्मेदार अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों में सुलह कराई गई, लेकिन मानव तस्करी के आरोपियों पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई। मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी इस खबर को महिला बाल विकास विभाग ने ही प्रेस नोट बनाकर भेजा था। खबर के प्रकाशन उपरांत बाल कल्याण समिति ने अधिकारियों की लापरवाही पर संज्ञान लिया है।
इनका कहना है
जेजे एक्ट 2015 के अनुसार अगर किसी नाबालिग बालक के साथ कुछ गलत होने का अंदेशा होने की शंका किसी आम व्यक्ति को भी होती है तो यह उसकी ड्यूटी है कि वह उसे रोकने के लिए प्रयास करे । वह फरियादी बनकर एफआईआर कराए। ऐसे में दोनों की विभागों के जिम्मेदारों की जिम्मेदारी थी कि इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज कराई जाए।
अजय खेमरिया, पूर्व सदस्य किशोर न्याय बोर्ड
बच्ची को बेचने के मामले में पुलिस व महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। हमने दोनों विभागों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है कि कार्रवाई क्यों नहीं की।
उमेश भारद्वाज, सदस्य बाल कल्याण समिति