SHIVPURI NEWS- माधव नेशनल पार्क पहुंचा आवारा चीता ओवान, पार्क मे अब तीनो बिग कैट कैटेगरी मौजूद, सुरक्षा को लेकर चिंता

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शिवपुरी।
शिवपुरी श्योपुर की सीमा पर स्थित कूनो नेशनल पार्क से आवारा चीता ओवान शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क पहुंच चुका है। माधव नेशनल पार्क के अब बिग कैट कैटेगरी की फैमिली मौजूद है। संभवत:माधव नेशनल पार्क देश का पहला ऐसा नेशनल पार्क होगा जिसमें टाइगर,चीता और तेंदुआ और चीता के रूप में बिग कैट कैटेगरी मौजूद है। शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में टाइगर 3,ओवान के रूप में चीता 1 और लगभग 150 तेंदुआ है। अब ओवान का सामना टाइगर या तेंदुआ से होगा तो क्या रिएक्शन होगा। क्योंकि कूनो में चीते आने से पूर्व कूनो पार्क से तेंदुए का रेस्क्यू किया था और माधव नेशनल पार्क में छोडा था।

सिंह परियोजना से लेकर चीता सेंचुरी के सफर में 200 करोड़ का बजट

सालो पहले कूनो नेशनल पार्क में सिंह परियोजना के तहत गुजरात से गिर के बब्बर शेर लाए जा रहे थे,लेकिन तत्काल गुजरात सरकार ने पहले तो शेर देने का वादा कर मना कर दिया था जब बवाल भी मचा था मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था,सिंह परियोजना के तहत कूनो नेशनल पार्क की सीमाओं का विस्तार किया था और गांवों के विस्थापन के लिए मुआवजे के रूप में 75 करोड़ रुपए खर्च किए थे,लेकिन गिर के शेर नहीं आए। इसके बाद विदेशी चीते लाने की तैयारी पूरी की गई थी। इस प्रोजेक्ट का बजट भी 75 करोड़ रुपए से अधिक है। कुल मिलाकर सिंह परियोजना से लेकर विदेशी चीतो के सफर ओर इनके 5 साल तक रखरखाव और सुरक्षा पर और तमाम तरह की निर्माण कार्य मिलाकर 200 करोड़ रुपए का बजट का हिसाब है। इसमें 20 चीते टोटल आना है जिसमें 8 आ चुके है इस बजट का मूल्यांकन एक चीते पर करे तो 20 करोड़ का एक चीता है।

आवारा ओवन ने दूसरी बार कूनो की बॉर्डर को क्रॉस किया है

रविवार को शिवपुरी जिले के जौराई गांव में ओवान को देखा गया था। रविवार की रात ओवान बैराड़ के आबादी क्षेत्र के काफी नजदीक पहुंच गया था। रात करीब 11 बजे उसे बैराड़ कृषि उपज मंडी को क्रॉस करते हुए देखा गया। इसके बाद वहां से पुराने बैराड़ के नजदीक केला वाले हनुमान मंदिर से खेतों के रास्ते होते हुए चरणजीत ढाबे के पीछे सरसों के खेतों में पहुंच गया। काफी देर यहां रहने के बाद रात 12 बजे के बाद चीते ने फिर मूवमेंट किया और पचीपुरा तालाब के पास से ऊंची बरौद होते हुए जरिया खुर्द और फिर मारौरा झलवासा पहुंच गया।

सोमवार को ओवान मारौरा झलवासा गांव के आस-पास देखा गया था। सोमवार को मारौरा झलवासा और जरिया खुर्द के बीच ओवान ने एक हिरण का शिकार किया था।


मंगलवार सुबह ओवान की लोकेशन माधव नेशनल पार्क की उत्तरी सीमा में मिली है। बताया गया है कि ओवान मारौरा झलवासा से निकलकर झिरी होते हुए सतनबाड़ा रेज के चिटोरा-चिटोरी बीट से होते हुए माधव नेशनल पार्क की सीमा में प्रवेश कर गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार की शाम तक ओवान टुंडा-भरका क्षेत्र के आस-पास डेरा डाले हुए हैं। ओवान की सुरक्षा को लेकर अब दोनों ही नेशनल पार्क की टीमें अलर्ट मोड़ पर है।


माधव पार्क चीतों के लिए अच्छी जगह, लेकिन बाघों से खतरा : झाला

चीता प्रोजेक्ट से जुड़े रहे डब्ल्यूआईआई के पूर्व डीन वायबी झाला का कहना है कि चीता के लिहाज से माधव नेशनल पार्क अच्छी जगह है। वहां भी चीतों के लिहाज से सर्वे किया गया था। उस वक्त यहां भी चीता छोड़ने की भी योजना थी। चीता को माधव नेशनल पार्क में तब तक कोई दिक्कत नहीं है, जब तक उसका सामना टाइगर से न हो। उनका कहना है कि यह नामीबियाई चीता जहां से आए हैं, वहां पर वह शेरों के साथ तो रहते रहे हैं और उनको उनसे बचने की कला भी आती है, लेकिन टाइगर को वह पहली बार देखेगा, ऐसे में उसका रिएक्शन क्या होगा, परिणाम क्या होंगे, यह कहना मुश्किल है। ऐसे में रिस्क तो है ही । चीता की जान भी इसमें जा सकती है, लेकिन पार्क प्रबंधन और प्रोजेक्ट से जुड़े अफसर इस पर विचार कर ही रहे होंगे और जरूरी कदम उठाए जा रहे होंगे।

ट्रेंकुलाइज करने की जरूरत नहीं

चीता ओबान माधव नेशनल पार्क में पहुंच गया है। उसको अभी उसकी इच्छा से बढ़ने दिया जा रहा है। ट्रेंकुलाइज करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जानवर बेवजह एक-दूसरे पर अटैक नहीं करते हैं। कई क्षेत्रों में यह साथ ही रहते हैं। नामीबिया में भी यह चीते शेर और तेंदुए के साथ ही रहते थे।
प्रकाश वर्मा,डीएफओ,कूनो नेशनल पार्क