शिवपुरी। शिवपुरी माधव नेशनल पार्क में बाघो की बसाहट हो चुकी है,शिवपुरी की जमी पर बाघ ने पूरे ढाई दशक बाद बाघ ने कदम रखा है। शिवपुरी के पर्यटन की दिशा में बाघ प्रोजेक्ट बडा ही महत्वपूर्ण है। बाघ है तो टूरिस्ट है। बाघो को बसाने और उनके वंश की वृद्धि के लिए कुछ नियम अति आवश्यक है,नेशनल पार्क के कुछ अपने नियम है। वहीं अब इन नियमों के आगे बलारपुर की माता के भक्तों की आस्था सामने आती रहती है। चैत्र के नवरात्रे के बाद मंदिर प्रबंधन ने एक विशाल यज्ञ की घोषणा करते हुए उसका प्रचार प्रसार भी शुरू कर दिया है। वह पार्क प्रबंधन ने खुले शब्दों में इस विशाल यज्ञ के कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी।
मंदिर प्रबंधन ने की घोषणा
बलारपुर मंदिर पर 24 मई से 2 जून तक शतचंडी यज्ञ का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इस आयोजन को लेकर मंदिर के महंत प्रयाग भारती द्वारा शहर में पोस्टर लगवाए गए है कि बलारी माता मंदिर पर 24 मई से 2 जून तक शतचंडी यज्ञ और विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। 24 मई को सुबह नौ बजे कलश यात्रा में हजारों लोगों से शामिल होने का आव्हान किया गया है। इसका एक बैनर तो माधव चौक चौराहे पर भी लगाया गया है। इसके प्रचार के साथ ही दोनों पक्ष अब आमने.सामने हैं।
CCF ने कहा होगी अब एफआईआर दर्ज
इसके बाद गुरुवार को सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा ने आदेश जारी कर दिए हैं जिसके अनुसार मंदिर के पुजारी भी सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक की आवाजाही कर सकेंगे। सात से सुबह सात बजे तक उनका भी आना.जाना प्रतिबंधित होगा। इसके अतिरिक्त किसी भी व्यक्ति का यहाँ पर प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा और सिर्फ अनुमति प्राप्त वन विभाग के वाहन ही वहां जाएंगे। यदि किसी ने बिना अनुमति प्रवेश किया तो उस पर बिना अनुमति प्रवेश पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
इसी क्षेत्र में है टाइगरों की मूमेंट, परिवार बढ़ाने के लिए एकांत की जरूरत
माधव राष्ट्रीय उद्यान में तीनो टाइगर फिलहाल अपनी टेरेटरी बनाने का प्रयास कर रहे है। माधव राष्ट्रीय उद्यान का वातावरण उन्हें रास आ रहा है और मेल टाइगर तो एक दिन में 20 किलोमीटर तक का सफर भी तय कर रहे है। यह इस बात का संकेत है वे अच्छे से जंगल को एक्सप्लोर कर रहे है। अब आगामी समय बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि टाइगर एक जगह उसका मूवमेंट उसके आसपास अधिक रहेगा।
मादा टाइगर यही शावकों को अपने घर के रूप चिह्नित करेगा और जन्म देगी। इस कारण उन्हें अभी किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से बचाए रखना और जंगल का शांत वातावरण उपलब्ध कराना जरूरी है। ऐसे में अगर बार. बार आयोजन और शोरगुल होता रहा तो टाइगरों के इस क्षेत्र से दूर जाने की आशंका बनी रहती है।
इधर बलारपुर माता के भक्त भी इस आयोजन को लेकर जिद पर अड़े है,लगातार सोशल पर पोस्ट की जा रही है कि अगर यज्ञ नहीं होगा तो जन आंदोलन होगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।