SHIVPURI NEWS- भगवान जब बिना मांगे ही सब कुछ दे देते हैं तो मांगने की क्या आवश्यकता : पं. राजेश शर्मा

Bhopal Samachar
शिवपुरी। संकट मोचन हनुमान मंदिर वन विद्यालय मै चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का गुरुवार को समापन हुआ। श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या कथा व्यास पंडित राजेश शर्मा महाराज के मुखारविंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया।

इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण की 16108 विवाहों की चर्चा तथा सुदामा जी का चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्ति रस में डुबो दिया। वेदव्यास के पुत्र शुकदेव जी कहते है भगवान का नाम दीनबंधु है वे दीनानाथ है। कथा सुनाते हुए सुदामा चरित्र के बारे में विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा सुदामा जो भगवान श्रीकृष्ण का परम भक्त था एवं बाल सखा भी था। धर्मपत्नी सुशीला देवी द्वारा बार-बार कहने पर एक बार सुदामा भगवान श्रीकृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका गए।

वहां अपने बाल सखा रूपी भगवान श्रीकृष्ण से मिले। भगवान ने उनको गले लगाकर अपने आसन पर बिठाया उनके चरण धोए। उनकी पूजा की इसके बाद सुदामा जी चलने लगे तब सुदामा जी मन में सोच रहे थे कि सुशीला क्या कहेगी। मैंने भगवान से कुछ नहीं मांगा मैं उसे क्या जवाब दूंगा। जब वह घर पहुंचे तो घर पर सब कुछ राजा महाराजाओं जैसे हाल-चाल देखें। उनके नाम से पूरी एक पूरी सुदामापुरी बसा दी इसे देखकर सुदामा चकित रह गए।

पंडित राजेश शर्मा जी कहते है कि सुदामा चरित्र लोगों को सीख लेनी चाहिए कि भगवान जब बिना मांगे ही सब कुछ दे देते हैं तो मांगने की क्या आवश्यकता है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति होती है कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।

7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

इन कथाओं को सुनकर सभी भक्त भाव विभोर हो गए। लोगों ने दोपहर एक बजे से 5 बजे तक इस संगीतमय भागवत कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पूरा वातावरण भक्तिमय रहा।