शिवपुरी। राजा नल की नगरी के नाम ख्यात नरवर में राजा नल और दमयंती की मूर्ति स्थापित की जा रही है। यह मूर्ति नरवर-सतनवाड़ा मार्ग पर नया तालाब के पास स्थित पहाड़ी पर लगाई जाएंगी। इस जगह का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि यहां पर मूर्तियां लगाने के बाद नरवर से किसी भी एंगल से देखने पर यह दिखाई देंगी। इतना ही नहीं मगरौनी से भी यह दिखाई देंगी।
राजा नल की मूर्ति 13 फीट जबकि रानी दमयंती की मूर्ति 12 फीट की है। इन दोनों के साथ हंस की मूर्ति भी है। इतिहासकार डा. मनोज माहेश्वरी के अनुसार रानी दमयंती की मूर्ति महान चित्रकार राजा रवि वर्मा द्वारा बनाई गई उनकी पेंटिंग से प्रेरित है। जबकि नल की मूर्ति के लिए अहमदाबाद, जम्मू और यूएसए के बोस्टन के संग्रहालय में मौजूद उनकी तस्वीरों को खंगाला गया और उनसे प्रेरणा लेकर मूर्ति बनाई गई है।
यह मुर्तिया 25 लाख रुपये खर्च कर तैयार की गई हैं मूर्तियां नगर परिषद अध्यक्ष पद्मा (माहेश्वरी ने बताया कि सांसद विवेक नारायण शेजवलकर की पहल पर लोढ़ी माता ट्रस्ट द्वारा नगर परिषद के सहयोग से इन्हें स्थापित किया जा रहा है। अभी अनावरण की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन जल्द ही इसे तय किया जाएगा। यहां तक पहुंचने के लिए परिषद ने मार्ग भी बनाया है। सांसद शेजवलकर ने नरवर के पर्यटन विकास के लिए 50 लाख रुपये सांसद निधि से देने की घोषणा की थी।
ऐतिहासिक किला पर राजा नल की गद्दी के ठीक सामने स्थित है सौ फीट ऊंची पहाड़ी
मूर्तियां जिस पहाड़ी पर लगाई जा रही हैं उसकी ऊंचाई 100 फीट से भी अधिक है। इसकी खास बात यह है कि जिस जगह यह मूर्तियां लगाई जा रही हैं वह नरवर किले के उस हिस्से के ठीक सामने दिखाई देती हैं जहां पर राजा नल की राजगद्दी लगी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा नल और दमयंती को मिलाने में हंस की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यही कारण है राजा-रानी के साथ हंस की मूर्ति भी लगाई गई है।
की थी। मूर्तियों की लागत करीब 25 लाख रुपये है और इन्हें ग्वालियर के शिल्पकार ने तैयार किया है। माहेश्वरी ने कहा कि यह नरवर के पर्यटन के लिए मील का पत्थर साबित होंगी।