शिवपुरी। शिवपुरी न्यायालय ने गैंगरेप के मामले में आरोपों से आरक्षक सहित उसके तीन साथियों को न्यायाधीश दीपाली शर्मा ने बरी कर दिया है,मामले की पैरवी अधिवक्ता शैलेंद्र समाधिया और आशीष श्रीवास्तव ने की। इस मामले मेे आरोपियों के डीएनए मैच नहीं हुए वही पीडिता को नाबालिग बताा जा रहा था,लेकिन मार्कशीट में उसकी उम्र 18 से अधिक थी।
यह था मामला
भौंती कस्बे में 21 मई 2015 को एक लड़की दोपहर 3 बजे वह सचिन बनिया की दुकान पर मोबाइल खरीदने गई थी। इसी दौरान सचिन बनिया सहित आरक्षक भानू रावत, सोनू गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता ने दुकान की शटर बंद कर बारी-बारी से दुुष्कर्म किया। जब चीखने की आवाज आई ताे केपी सिंह ने दुकान की शटर खोलकर निकाला था। इसकी शिकायत भौंती थाने में दर्ज कराई गई थी। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई थी। इसके बाद नाबालिग के द्वारा न्यायालय की शरण ली थी।
इस मामले में न्यायालय ने चारों आरोपियों पर पास्को एक्ट सहित गैंगरेप की धाराओं में मामला पंजीबद्ध करने की पुलिस को निर्देश दिए थे पुलिस ने मामला दर्ज कर न्यायालय में चारों आरोपियों को पेश किया था जिसके बाद न्यायालय ने चारों आरोपियों को जेल भेज दिया था।
इस मामले में न्यायालय ने किशोरी के जन्म प्रमाण पत्र सहित डीएनए रिपोर्ट उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए थे। न्यायालय में नाबालिग की मार्कशीट सहित डीएनए रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें नाबालिग की उम्र 18 साल से अधिक पाई गई, और साथ ही चारों आरोपियों का डीएनए मैच भी नहीं हुआ। इसी के चलते न्यायालय ने चारों को बरी कर दिया। इसके साथ ही झूठे तथ्य प्रस्तुत करने पर कार्यवाही के लिए निर्देशित किया है।