शिवपुरी के आसमान में विदेशी बादलों का डेरा, रास्ता भटक कर आए है, गर्म हवा की जगह ठंडी हवाएं

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शिवपुरी।
अभी तक आपने सुना होगा कि आदमी या जानवर रास्ता भटक गया,कभी पृथ्वी से अंतरिक्ष में छोड़े जाने वाले स्पेस भी रास्ता भटक जाते है। रास्ता भटकने वाली कहानी से थोड़ा हटते है और शिवपुरी के मौसम की बात करते हैं बुधवार की दोपहर तक तेज गर्मी का अहसास सूर्यदेव अचानक गायब हो गए और मौसम ने करवट ली,काले घने बादल छा गए और गर्म हवाओं के जगह ठंडी हवाओं का अहसास होने लगा,ऐसा हुआ है कि प्राकृतिक यातायात व्यवस्था गड़बड़ा गई और बादल भटक कर शिवपुरी आ गए,वैसे भी शिवपुरी में यातायात सप्ताह चल रहा है। यातायात की पाठशाला भी शुरू हो चुकी है,लगता है जैसे बादल भटक कर शिवपुरी रुक गए हो और यातायात की पाठशाला में यातायात के नियमों का पाठ पढने के लिए रुक गए हो।

सबसे पहले बुधवार के मौसम का आकलन करते है

शिवपुरी शहर में बुधवार की सुबह आसमान साफ रहने के साथ दोपहर तक कड़क धूप रही। बुधवार को अधिकतम पारा 37 डिग्री और न्यूनतम पारा 22.5 डिग्री रहा। जबकि मंगलवार को अधिकतम पारा 35.5 व न्यूनतम पारा 19.8 डिग्री रहा था।

चौबीस घंटे में दिन का पारा 1.5 डिग्री व न्यूनतम पारा 2.7 डिग्री उछाल आया। बुधवार की शाम को पश्चिम-दक्षिण दिशा से घटाएं घिर आईं और ठंडी हवाएं चलने लगीं। इस कारण वातावरण पूरी तरह बदल गया। मौसम में आए इस बदलाव के कारण गुरुवार को दिन व रात के पारे में गिरावट आना लाजमी है।

प्रकृति में सिर्फ इंसान ही रास्ता नहीं भटकते बल्कि कई बार बादल भी रास्ता भटक जाते हैं। अफगानिस्तान से पाकिस्तान होकर पंजाब और हरियाणा में बरसने के लिए निकले बादल रास्ता भटक कर ग्वालियर चंबल संभाग के आसमान पर पहुंच गए हैं। आइए जानते हैं कि मौसम विज्ञान के विशेषज्ञ इस घटना के बारे में क्या कहते और रास्ता भटक कर आए बादल ग्वालियर चंबल संभाग में कब और कितना बरसेंगे।

आगे क्या संभावना है

अप्रैल के अंत यानी पांच-छह दिन में बारिश हो सकती है। अगले 7-8 दिन ऐसा ही चलेगा। आंधी, तूफान और बिजली गिरने की संभावना रहेगी। अब हर दो तीन दिन में नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होता रहेगा, जिससे यह वातावरण लंबे समय तक रहेगा। यह सिलसिला 8 से 9 मई तक चलेगा, जिससे 15 मई तक लू की संभावना नहीं रहेगी। यह प्री-मानसून की बारिश है, जो इस बार ज्यादा हो रही है।

अब बादलों के प्राकृतिक यातायात की बात करते है

मौसम विज्ञान की भाषा में इसे वेस्टर्न डिस्टरबेंस कहते हैं। यह बादल पृथ्वी के पश्चिमी क्षेत्र में समुद्र के अंदर तूफान आने से बनते हैं और अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान के रास्ते भारत के पंजाब एवं हरियाणा में बरसते हैं, लेकिन इस साल आसमान में गड़बड़ हो गई। जिन बादलों को पंजाब और हरियाणा जाना था,उस रास्ते में इन्हे रेड लाइन दिख गई और भटक कर वह मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग के आसमान में आ गए।

सड़क पर पुलिस का यातायात विभाग है, लेकिन बादलों के लिए आसमान में नही

बादलों का यातायात प्रबंधन करने वाला कोई सरकारी डिपार्टमेंट नहीं है इसलिए रास्ता भटके हुए बादलों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। इसके कारण ग्वालियर संभाग के कई शहरों का तापमान नीचे आ गया,जैसे शिवपुरी का बुधवार की शाम को गया,ठंडी हवाएं चलने लगी थी।

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरीके से बादलों के आने का सिलसिला जारी है कम से कम अगले 5 दिन तक यही स्थिति बनी रहेगी। क्योंकि यह अपने बादल नहीं है इसलिए इनकी आदतों का भी पता नहीं है। कौन कितना गरजेगा और कौन कितना बरसेगा, कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिलहाल आसमान में बादलों का जमघट कम है इसलिए जनजीवन को प्रभावित करने वाली बारिश तो नहीं होगी।