काजल सिकरवार @ शिवपुरी। मप्र राज्य शिक्षा केंद्र ने इस बार 5वीं और 8वीं क्लास के बच्चों के एग्जाम को लेकर एक नया निर्णय लिया है। इस नए निर्णय को काला निर्णय और बच्चों के भविष्य को अंधकार की ओर ले जाना वाला कहे तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी। क्यों की कोरोना काल 2 साल अगर सबसे अधिक किसी का नुकसान हुआ है तो वह छोटे क्लास के बच्चो की पढाई का। कोरोना काल के बाद जब कुछ सामान्य होने लगा था उस राहत की प्रक्रिया में सबसे बाद छोटे क्लास के बच्चों का स्कूल खुले थे।
अब ऐसे में बीच सत्र में राज्य शिक्षा केंद्र ने बिना होमवर्क के 5वीं और 8वीं क्लास के बच्चों के बोर्ड एग्जाम कराने का आदेश दे दिया। यह आदेश छोटे क्लास के बच्चों के लिए व्यावहारिक है। इसका विरोध पालको के साथ स्कूल संचालक भी कर रहे है।
ऐसे समझे इस राज्य शिक्षा केन्द्र के तुगलकी फरमान को
जो बच्चो तीसरे क्लास में था वह 2 साल के कोरोना काल में मिली राहतो के आधार पर सीधे 5वीं क्लास में पहुंचा। सीधे शब्दों मे लिखे तो उसने तीसरी और चौथी क्लास की पढ़ाई नही की। स्कूलों की क्लास के नाम पर ऑनलाइन क्लास संचालित की थी,लेकिन वह इतनी गुणवत्ता युक्त नही थी। अब बच्चा तीसरी और चौथी क्लास की छलांग लगाकर इस वर्ष में 5वीं क्लास में पहुंचा है तो परिजनों और स्कूल संचालको का उसकी 5वीं क्लास की स्तर पढाने में काफी परेशानी आई है। बच्चा स्वयं ही मानसिक प्रेशर झेल रहा है। क्यों की 5वी क्लास के सिलेबर्स को पढ़ने के लिए तीसरी और चौथी क्लास का सिलेबस उसका बेस होता है।
वही आधे सत्र में जारी कर दिया इस आदेश को
राज्य शिक्षा केंद्र ने अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए 1 दिसंबर 22 को पाठ्यक्रम संशोधित कर बोर्ड पैटर्न की परीक्षा आयोजित करने हेतु निर्देश जारी किए, जिसकी पुस्तकें आज दिनांक तक कई विद्यार्थियों को उपलब्ध नहीं हो पाई है। राज्य शिक्षा केंद्र ने यह आदेश जब दिया जब बच्चो की आधा सत्र गुजर चुका था।
इसी प्रकार 8वीं क्लास के भी एग्जाम बोर्ड पैटर्न पर होता है। अपने स्कूल को छोड़कर किसी दूसरे स्कूल में सेंटर। जिस स्टूडेंट ने 6वीं और 7वीं क्लास में नए विषय इतिहास,भूगोल नागरिकता और नई भाषा का संस्कृत का अध्ययन ही नही किया। ऐसे में वह स्टूडेंट 8वी क्लास के बोर्ड रूपी एग्जाम की अग्नि परीक्षा कैसे पास करेगा। राज्य शिक्षा केंद्र का इस वर्ष से बोर्ड परीक्षा वाला फार्मूला बिना किसी होमवर्क के लिए गया है। इसका विरोध पालको के साथ स्कूल संचालक भी कर रहे है।