होली के रंगों में रंगिए'रंग हमारे जीवन में नकारात्मकता और बीमारियों को दूर करते है: वास्तुविद प्रयास मंगल- Shivpuri News

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शिवपुरी।
जिस तरह हमारे मनोभाव हमारे शरीर के रंग को बदलते हैं,उसी प्रकार रंग भी हमारे मनोभावों को बदलते हैं। अत: विभिन्न रंगों का उपयोग कर हम अपने शरीर की बीमारियों व अन्य कमियों को दूर कर सकते हैं तथा अपनी भावी दुनिया को हसीन व रंगीन बना सकते हैं। होली का त्योहार हमें इन्हीं रंगों के महत्व की याद दिलाता है।

रंगों का मानव जीवन पर अद्भुत व आकर्षक प्रभाव होता है। रंगों के इस आकर्षक प्रभाव का ही परिणाम है कि आजकल स्कूल-कॉलेजों, ऑफिस, दुकानों, फैक्ट्रियों, यहां तक कि खिलौनों व समाचार पत्र-पत्रिकाओं आदि तक में भी इसका प्रयोग बढ़ रहा है।

दरअसल रंग हर वस्तु को नई पहचान देते हैं तथा अलग-अलग रूप में मन-मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं। सच पूछें तो यह संपूर्ण सृष्टि ही विभिन्न प्रकार के रंगों से भरी पड़ी है और हमारे शरीर का प्रत्येक भाग भी विभिन्न प्रकार के रंगों से भरा पड़ा है।

होली रंगों का त्योहार है। रंगों के माध्यम से यह पर्व एक भावनात्मक वातावरण पैदा करता है और उन मनोभावों से हमारे शरीर का रंग भी बदलता है। शायद इस वजह से ही ये कहावतें प्रचलित हैं कि वह क्रोध से लाल हो गया या वह शर्म से लाल हो गई या उसका रंग डर से काला पड़ गया या रोग से उसका रंग पीला पड़ गया आदि। अर्थात जिस तरह हमारे मनोभाव हमारे शरीर के रंग को बदलते हैं, उसी प्रकार रंग भी हमारे मनोभावों को बदलते हैं।
अत: अलग-अलग रंगों का उपयोग कर हम अपने शरीर की विभिन्न कमियों को पूरा कर सकते हैं तथा अपनी भावी दुनिया को हसीन व रंगीन बना सकते हैं।

होली का त्योहार हमें इन्हीं रंगों के महत्व की याद दिलाता है। जिस समय यह पर्व मनाया जाता है, उस समय बसंत ऋतु का आगमन हो चुका होता है, अत: प्रकृति भी चारों ओर विभिन्न रंगों की छटा बिखेरने लगती है। वास्तु शास्त्र में सूर्य की किरणों को काफी महत्व दिया गया है, जो अपने अंदर इंद्रधनुषी रंगों- बैंगनी, आसमानी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल रंगों को समाहित किए हुए है।

मानव शरीर जिन पांच तत्वों जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु व आकाश से बना है, उनके रंग भी अलग-अलग हैं। जल का रंग काला व नीला, पृथ्वी का रंग पीला व भूरा, अग्नि का रंग लाल, वायु का रंग हरा व बैंगनी तथा आकाश का रंग नीला व सफ़ेद माना जाता है। ब्रह्माण्ड के विभिन्न ग्रहों व तारों के रंग भी अलग-अलग होते हैं। सूर्य की किरणों में जो सात रंग होते हैं, उनका प्रभाव हम पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है क्योंकि हर रंग का तरंग दैघ्र्य (वेव-लेंथ) अलग-अलग होता है।

विभिन्न रंगों के गुण भी अलग-अलग होते हैं, जैसे-सफेद रंग की अधिकता हमारे अंदर महत्वाकांक्षा को और भगवा या केसरिया रंग त्याग व बलिदान की भावना को बढ़ाती है। इसी प्रकार लाल रंग उत्तेजना को बढ़ाता है और काला रंग रहस्य व चिंतन को प्रकट करता है। नीला रंग शांत व गंभीर बनाता है, जबकि पीला रंग हमारे शरीर में ताप पैदा करता है। हरा रंग हमारे शरीर की गर्मी व सर्दी को संतुलित रखता है। ऐसा इस कारण से होता है, क्योंकि हमारी ज्ञानेंद्रियां विभिन्न रंगों से अलग-अलग तरीके से प्रभावित होती है।

अंक शास्त्र के अनुसार अलग-अलग तिथियों को जन्मे व्यक्तियों के लिए सकारात्मक व नकारात्मक रंग अलग-अलग होते हैं। अंक 1 वालों के लिए लाल व गुलाबी, 2 वालों के लिए हल्का नीला व सफेद, 3 वालों के लिए हल्का पीला व हरा, 4 वालों के लिए बैंगनी व आसमानी, 5 वालों के लिए गुलाबी व नारंगी, 6 वालों के लिए आसमानी व गुलाबी, 7 वालों के लिए नीला व हरा, 8 वालों के लिए लाल व केसरिया तथा 9 वालों के लिए बैंगनी व हल्का पीला रंग सकारात्मक माना जाता है।

कहने का तात्पर्य यह है कि अलग-अलग शरीरों पर रंगों का अलग-अलग प्रभाव होता है, क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर में रंगों का सम्मिश्रण अलग-अलग तरीके का होता है।

इसकी जानकारी 'केरिलियन कैमरा' की मदद से ली गई तस्वीर से मिल जाती है और जिस व्यक्ति में जिस रंग की कमी होती है, उसे रंग चिकित्सा, रेकी, प्राणिक हीलिंग आदि के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा सकता है। इस विधि की मदद से अपने शरीर में स्थित बीमारियों को भी दूर किया जा सकता है तथा भविष्य में होने वाली बीमारियों से भी बचा जा सकता है।

होली के दिन अनजाने में हम अपने परिचितों को विभिन्न प्रकार के रंगों में रंग देते हैं, जो उन्हें कई रोगों से मुक्त कर देता है, क्योंकि उनके शरीर में जिस रंग की कमी होती है, उनका शरीर उस रंग को अवशोषित कर लेता है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने आवास के अलग-अलग कमरों में अलग-अलग प्रकार के रंगों का इस्तेमाल करके भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जैस…होली खेलिये स्वस्थ रहिये स्कूल-कॉलेजों, ऑफिस तथा अन्य संस्थानों में अलग-अलग ड्रेस का प्रयोग भी इस वजह से किया जाता है, क्योंकि वे उन्हें धारण करने वाले पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। जैसे-पुलिस की खाकी वर्दी देखते ही हमें सुरक्षा का अहसास हो जाता है।