भाजपा में प्रीतम को मंच भी नहीं मिला, अकड़ हुई खत्म वापसी का गुलदस्ता लेने भोपाल जाना पड़ा- Shivpuri News

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शिवपुरी।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के मुंह बोले भाई प्रीतम लोधी आपत्तिजनक बयान बाजी के कारण निष्कासित किए गए थे। उन्होंने कहा था कि कथावाचक चरित्रहीन और लालची होते हैं। निष्कासित किए जाने के बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी थी। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा एवं गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ खुलेआम बयान बाजी कर रहे थे। कई पार्टियों में अपने भविष्य की तलाश की परंतु जब सब जगह अंधेरा नजर आया तो भाजपा में वापस आने का मन बना लिया।

वापसी की लक्झरी स्क्रिप्ट तैयार थी,फिर जुबान फिसली

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछोर में एक भव्य कार्यक्रम के दौरान प्रीतम लोधी की भारतीय जनता पार्टी में शानदार वापसी की स्क्रिप्ट तैयार की थी। प्रीतम लोधी को एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया था। कार्यक्रम में प्रीतम लोधी के समर्थकों को शामिल होना था। इसमें शिवराज सिंह चौहान, मंच से पूछते कि पिछोर से किसे चुनाव लड़ा ना चाहिए। जवाब में प्रीतम लोधी के समर्थक स्वाभाविक रूप से प्रीतम लोधी का नाम लेते। फिर मंच से कहा जाता कि, जनता चाहती है इसलिए मैं प्रीतम लोधी को भाजपा में आमंत्रित करता हूं। और इस प्रकार पीतम लोधी की भाजपा में शानदार वापसी होती, लेकिन बयानबाजी के कारण ऐसा भी नहीं हो पाया।

कार्यक्रम तय हो जाने के बाद प्रीतम लोधी में पत्रकारों को बुला बुलाकर बयान देना शुरू कर दिया। यह जताने लगी कि उन्हें भाजपा की जरूरत नहीं है बल्कि भाजपा को उनकी जरूरत है। नतीजा कार्यक्रम रद्द हो गया और प्रीतम लोधी को पार्टी का गुलदस्ता लेने के लिए ग्वालियर से भोपाल जाना पड़ा। वहां भी एक बंद कमरे में फोटोग्राफी हुई। मंच पर स्थान नहीं मिला।

लोधी वोट बैंक के कारण हुई भाजपा में वापिसी

दरअसल प्रीतम लोधी की वापसी भाजपा में इसलिए भी हुई है क्योंकि वह लोधी वोट बैंक का बड़ा चेहरा जिले में माने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के साथ प्रीतम लोधी इस समुदाय पर अपना प्रभाव रखते हैं। यही कारण है कि भाजपा में उनकी वापसी तय लग रही थी, लेकिन प्रीतम लोधी महीने भर पहले बयान दे चुके थे कि वह जिस पार्टी की भी सदस्यता लेंगे, पहले वह पिछोर की जनता से पूछेंगे, जहां उन्होंने दो बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में उम्मीदवार बनकर अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाइ।

यही कारण है कि जब 2013 का उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था तो वह 72 हजार वोट हासिल किए और दूसरी बार में 2018 के दौरान उन्होंने 89 हजार वोट हासिल किए। इस तरह से वह पिछोर विधानसभा में वोट हासिल करने में तो सफल रहे, लेकिन पिछोर विधायक केपी सिंह से वह दोनों बार हार गए।

शिवपुरी की 5 विधानसभा में से 4 विधानसभा में लोधी वोट बैंक

शिवपुरी, करैरा, पिछोर विधानसभा के साथ कोलारस विधानसभा में लोधी वोट बैंक है और जातिगत गणित फिलहाल प्रीतम लोधी के पक्ष में था। इस वजह से माना जा रहा है कि जिले की पांचों विधानसभा में उनका लाभ लेने के लिए भाजपा ने उन्हें अपनी पार्टी का सदस्य बनाने की प्रक्रिया अपनाई। हालांकि पार्टी उन्हें पिछोर से उम्मीदवार बनाएगी या नहीं यह अभी तय नहीं है।

पार्टी टिकट देगी तो पिछोर से चुनाव लडूंगा

उत्तर प्रदेश में समाज के लोग चाहते थे कि मैं समाजवादी पार्टी ज्वॉइन करूं। जबकि राजस्थान के लोग चाहते थे कि मैं कांग्रेस जॉइन करूं। कांग्रेस में किसी कीमत पर नहीं जाता, इसलिए पिछोर विधानसभा के लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए मैंने भाजपा ज्वॉइन की है। जहां तक टिकट की बात है तो पार्टी टिकट देगी तो चुनाव अवश्य लड़ेंगे।
प्रीतम सिंह लोधी,भाजपा नेता पिछोर