शिवपुरी। शिवपुरी जिले के बदरवास विकासखंड के बीआरसी अंगर सिंह तोमर का काला चिठ्ठा सीएम शिवराज को सौंपा जाएगा। जैसा कि विदित है कि बीआरसी कार्यालय में बीआरसी अंंगद सिंह तोमर के अगुवाई में 50 लाख का कंटनजेंसी घोटाला पका दिया। इस मामले की जांच भी पूरी हो चुकी है लेकिन इस जांच दल पर लगातार सवाल खड़े हो रहे है। क्यो कि इस जांच दल में शामिल एक एपीसी बीआरसी तोमर पिछले 1 साल से खेल सामग्री घोटाले की जांच नही कर सके है,वही इसी जांच दल में शामिल एक एपीसी ने कई वर्षों तक अंगद सिंह तोमर के साथ एक स्कूल में साथ में अध्यापक रहे है। इस मामले की निष्पक्ष जांच और कार्रवाई के लिए संयुक्त मोर्चा सीएम को ज्ञापन सौपेंगा।
जनपद शिक्षा केन्द्र (बी.आर.सी.सी.) बदरवास के अंतर्गत आने वाले विकास खण्ड के समस्त शासकीय स्कूलों में शाला प्रबंधन समिति द्वारा सामग्री क्रय किया जाना था जिसका भुगतान शाला स्तर से होना था। जिसमें एप्रूवर, वेरिफायर एवं मेकर शिक्षक थे जिनकी आईडी बी.आर.सी.सी. द्वारा बनवाई जाकर संबंधित संस्था पर समय सीमा में देनी थी। और संबंधित शाला के अप्रूवर, वेरिफायर एवं मेकर ( शिक्षकों ) द्वारा संबंधित फर्म जिससे सामग्री क्रय की है।
उसे भुगतान पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से स्वयं शिक्षकों के पासवर्ड से करना था। राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा एक शिक्षकीय शालाओं में भुगतान पर रोक थी उन्हें भुगतान नही किया जाना था। एक शिक्षकीय शालाओं में राशि भुगतान के आदेश 07 मार्च 2023 को राज्य शिक्षा केन्द्र से जारी हुए हैं। जबकि इन शालाओं की राशि का भी फर्जी तरीके से भुगतान कर घोटाले को अंजाम दे दिया गया। उक्त भुगतान प्रक्रिया में शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जाना था।
परंतु बदरवास बी.आर.सी.सी. श्री अंगद सिंह तोमर द्वारा किसी भी शाला प्रबंधन समिति को उनकी आई डी नही दी गई और किसी अन्य तरीके से स्वयं कुछ फर्मों को ऑफिस के कर्मचारियों द्वारा शाला के प्रभारी शिक्षकों से ओ.टी.पी. लेकर लगभग 120 से अधिक स्कूलों की कंटनजेंसी राशि का फर्जी भुगतान कर लाखों का घोटाला कर डाला। राशि अनुमानित लगभग 50 लाख से अधिक है। क्योंकि पूरे ब्लॉक की शाला प्रबंधन समितियों की आई डी पासवर्ड इन्ही के पास थे। और शिक्षकों द्वारा जब आपस में बातचीत कर इस बात का पता लगाया कि हमसे ओ.टी.पी. किस काम के लिए ली गई है।
तव पता चला कि हमसे ओ.टी.पी. लेकर पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से हमारे आई डी पासवर्ड का फर्जी तरीके से इस्तेमाल कर लाखों रुपयों का घोटाला कर लिया गया है। इसकी खबर सोशल मीडिया, समाचार पत्रों एवं शिक्षकों के ऑडियो रिर्कोडिंग तथा कुछ शिक्षकों के लिखित कथन डी.पी.सी अशोक त्रिपाठी को प्राप्त हुये। जिस क्रम में डी.पी.सी द्वारा जांच दल गठित किया गया। जिसमें जिला शिक्षा केन्द्र से दो एपीसी हरीश शर्मा एवं अतर सिंह राजोरिया और एक सदस्य जिला पंचायत से व एक जिला शिक्षा केन्द्र से लेखापाल उदयभान सिंह यादव हैं।
बीआरसी अंगद की खेल सामग्री घोटाले की जांच 1 साल से लंबित
यहाँ गौर करने वाली बात है कि पूर्व में उक्त बी.आर.सी.सी जब शिवपुरी में पदस्थ थे तव खेल सामग्री घोटाले को लेकर जाॅच एक वर्ष से प्रचलित है जो जांच भी उक्त एपीसी हरीश शर्मा द्वारा की जा रही है लगभग एक वर्ष बाद भी यह जांच पूरी नही हो सकी और आज दिनांक तक यह जांच वरिष्ठ कार्यालय को नही सौंपी गई है। फिर पुनः यह जाॅच इन्हे सौंपे जाने से जाॅच समिति पर भी प्रश्न चिन्ह लग गया है। तथा दल में एपीसी अतर सिंह राजोरिया और बदरवास बीआरसीसी अंगद सिंह तोमर सालों तक एक ही विद्यालय पर पदस्थ रहे हैं। जिससे जांच निष्पक्षता पर भी संदेह और गहरा गया है।
मामला साइबर सेल से जुडा है
मामला साइवर से जुड़ा है क्योकि शालाओं की कंटनजेंसी राशि का भुगतान आॅनलाईन फर्जी तरीके से कर घोटाला हुआ है। फिर जाॅच में कुछ स्कूलों को ही लेते हुये विना कप्यूटर के आईपी एड्रेस ट्रेस कर समस्त प्रभावित 120 से अधिक स्कूलों की जाॅच नही की गई और न ही बीआरसीसी कार्यालय बदरवास आकर जाॅच की गई अगर जाॅच में आॅफिस के कर्मचारियों के बयान लिये हैं तो वह भी अन्यत्र स्थान पर लिये गये। ऑफिस का कंप्यूटर जांच में लेना था तथा घोटाले में संलग्न प्राइवेट दुकान का लैपटॉप/कम्प्यूटर भी जब्त होना था।
शिक्षकों के मोबाईल नम्बर बदल कर ओटीपी ली गई वह मोबाईल नम्बर भी जाॅच में आने थे। और इन स्कूलों की राशि जिन फर्मों को भुगतान कर घोटाला किया गया। उन फर्मों की भी जांच होनी थी। जिन सभी बिंदुओं पर विस्तार से जांच नही की गई।
इस मामले में प्रमुख बात यह है कि घोटाले के बाद शिक्षकों को साधने का भी प्रयास किया गया जिसमें उन्हें पूरी राशि का 40 प्रतिशत लेने के ऑफर भी शिक्षकों को अपराधियों द्वारा दिया गया। शिक्षकों ने इस घोटाले से संबंधित आडियो रिकार्डिंग भी श्रीमान डीपीसी महोदय को उपलब्ध कराई हैं। तथा आवेदन भी प्रस्तुत किये हैं। जो जांच में अहम भूमिका निभायेंगे।
पूरे तरह से फर्जी तरीके से किये गये लाखों के घोटाले की जांच में लीपा पोती की जा रही है। जिस अधिकारी की जांच चल रही है।
उस अधिकारी के उस पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच कैसे की जा सकती है ऐसा विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बी.आर.सी.सी संबंधित शाला प्रभारियों पर दबाव बना रहे हैं। और अपने पक्ष में कथन करा रहे हैं। जबकि स्पष्ट है कि पीएफएमएस पोर्टल पर भुगतान किया गया है। जिसकी जांच किसी साइबर स्पेशलिस्ट से कराई जावे जिसमें पता चल सकेगा कि जिस कंप्यूटर या लैपटॉप में किस मोबाइल (सिम)से नेट का उपयोग किया गया है। और किस किस मोबाईल से ओ.टी.पी. ली गई है।
बी.आर.सी.सी. द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाब बनाया जा रहा है। जिसे अपना नाम न बताने पर कर्मचारियों ने बताया। यहाॅ तक कि बाद में जब जाॅच प्रारंभ हुई तो प्रभारियों को बुला बुला कर चालीस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक कमीशन लेकर रूपये दिये गये। जब्कि भुगतान फर्म को होना था। शिक्षक बी.आर.सी.सी. से बहुत डरे सहमें हैं। इस कारण खुल कर बिरोध नही कर पा रहे हैं। अगर जाॅच किसी अन्य विभाग के अधिकारियों व साईबर टीम से कराई जावे तो वास्तविक स्थिति सामने आवेगी।
प्रथमतः केवल उन्ही शालाओं का भुगतान प्रक्रिया हेतू आई डी, पासवर्ड बनाया जाना था। जिनसे दो या दो से अधिक शिक्षक पदस्थ हैं। परंतु बदरवास बीआरसीसी द्वारा एक शिक्षकीय शालाओं में अपने किसी चहेते का मोबाईल नम्बर मैप कर फर्जी तरीके से भुगतान की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है। जाॅच दल बी.आर.सी.सी के इशारे पर जांच कर रहा है। शिक्षकों के आॅडियों व लिखित कथन पीएफएमएस पोर्टल की हकीकत को छुपाया जा रहा है।
जांच दल ने बी.आर.सी.सी. कार्यालय में उपस्थित होकर किसी भी कर्मचारियों से पूछताछ व कम्प्यूटर संबंधी आदि की जांच करना उचित नही समझा। और भुगतान जिन शालाओं को हुआ उसमें अन्य शिक्षक व उनके मोबाईल नम्बर आदि जानकारी की भी जाॅच नही की गई। अगर जाॅच की गई है तो एक शिक्षकीय शाला में दूसरा शिक्षक व मोबाईल नम्बर किसका है। जिसको उस शाल में जोड़कर फर्जी भुगतान किया गया। क्योंकि एक शिक्षकीय शालाओं का भुगतान अभी प्रारंभ ही नही हुआ। जबकि बदरवास बीआरसीसी द्वारा किसी अन्य का मोबाईल नम्बर मैप कर ओटीपी मांगी गई। अगर इसकी अन्य जांच कमेटी गठित कर उक्त बीआरसीसी को वहां से हटाने के बाद ही सही जांच हो सकती है। अन्यथा इतने बड़े घोटाले को दबाने के प्रयास में जाॅच दल स्वंय शामिल है।