शिवपुरी। मप्र में स्वच्छता के मामले में प्रदेश के सबसे गंदे शहर की सूची मे 2 दूसरे नंबर पर खडे शिवपुरी शहर को स्वच्छ बनाने की कवायद के लिए जिला प्रशासन और नगरीय प्रशासन ने प्रयास शुरू किए है। इसे लेकर रविवार को मानस भवन में स्वच्छता संवाद रखा गया। इसमें शहर के विभिन्न वर्ग के लोगों से सुझाव लिए गए। स्वच्छता को लेकर जब संवाद शुरू हुआ तो कई तरह के सुझाव सामने आए।
सबसे पहले देश के स्वच्छ शहर इंदौर का उदाहरण दिया गया। कई लोगों ने बताया किस तरह वहां पर लोगों में जागरूकता है और किस तरह तरह वहां का नगर निगम स्वच्छता के लिए प्रयास करता है। पार्षदों के साथ नगर पालिका से जुड़े लोगों ने शहर में संसाधन की कमी बताई। लोगों ने स्वीपिंग मशीन मंगाने का सुझाव भी रखा। संवाद के दौरान कलेक्टर आरके चौधरी ने दो अहम निर्णय मौके पर ही लिए। उन्होने पशुपालकों और कचरा फैलाने वाले दुकानदारों पर जुर्माना लगाने की बात कही है।
दुकानदारों को सात दिन का समय दिया गया है। सात दिन पहले मुनादी कराकर उन्हें दुकान के बाद डस्टबिन रखने का समय दिया जाएगा। इसके बाद किसी दुकान के बाहर गंदगी मिली तो 500 रुपये का जुर्माना किया जाएगा। वहीं आवाश पशुओं को पकड़कर गौशाला में रखा जाएगा। यदि पशुपालक को अपना पशु वापस लेना है तो फिर उसे एक हजार रुपये का जुर्माना चुकाना होगा। यह जुर्माना एसडीएम वसूल करेंगे। इस दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह चंदेल, नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा, सीएमओ डा. केशव सिंह सगर, समाजसेवी आलोक इंदौरिया, समीर गांधी आदि भी मौजूद रहे।
इंदौर की तरह ‘स्वच्छतम‘ बनना है तो पहले लेना होंगी यह सीख
स्वच्छता में इंदौर देश में लगातार छह बार से पहले पायदान पर है और शिवपुरी हर साल पिछड़ रहा है। दो वर्ष पूर्व प्रदेश में रैंकिंग पीछे से तीसरे स्थान पर थी तो पिछले वर्ष दूसरी। ऐसे में दोनों शहरों की तुलना करना व्यवहारिक नहीं है, लेकिन संवाद के दौरान यह तुलना देखी गई और खुद अधिकारी इंदौर का उदाहरण दे रहे थे। इंदौर अब छह तरह से अलग-अलग कचरा एकत्रित करता है, वहीं शिवपुरी में छह स्वच्छ सर्वेक्षण बीत जाने के बाद भी अभी गीला और सूखा कचरा भी पृथक नहीं किया जा रहा है। हालांकि स्वच्छता के संबंध में इंदौर से यह सीख ली जा सकती है।
1. कचरा एकत्रीकरण: इंदौर में सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग एकत्रित करने के साथ अब सूखे कचरे को पांच अलग-अलग तरह से एकत्रित किया जाता है। यहां सूखे कचरे में प्लास्टिक, इलेक्ट्रोनिक, घरेलू हानिकारक कचरा, मेटल को अलग-अलग एकत्रित करते हैं। शिवपुरी की बात करें तो यहां गीला और सूखा कचरा ही अभी अलग-अलग एकत्रित नहीं हो रहा है। कचरे में हर दिन हजारों क्विंटल पालीथिन आती है।
2. कचरे का प्रसंस्करण: इंदौर में गीले कचरे से बायो सीएनजी गैस बनाई जाती है। इसका काम करने वाली एजेंसी निगम से कचरा लेती है और उसके बदले में निगम करोड़ों रुपये की कमाई करता है। इसके अलावा यहां सूखा कचरा भी एजेंसी को बेचा जाता है। इंदौर के लिए कचरा मुनाफे की चीज बन गया है जबकि यहां अभी कचरे के परिवहन पर सिर्फ खर्च किया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर प्रोसेसिंग यूनिट है, लेकिन बंद पड़ी है।
3. जीरो वेस्ट वार्ड: इंदौर में निगम क्षेत्र में जीरो वेस्ट वार्ड बनाए गए हैं। इसमें गीला कचरे से घरों में ही कंपोस्ट बनाया जाता है। वहीं सूखे कचरे के पृथक्करण की व्यवस्था लोगों ने अपने स्तर पर की है। इसे वे कबाड़ी को बेचते हैं। शिवपुरी में किसी एक गली को भी स्वच्छता के मामले में आदर्श नहीं बनाया गया है।
4. डिस्पोजल पर रोक: इंदौर में खाने-पीने की दुकानों पर डिस्पोजल का उपयोग प्रतिबंधित है। इसके अलावा वहां बर्तन बैंक स्थापित किए गए हैं। इसमें आयोजनों के लिए निश्शुल्क बर्तन उपलब्ध कराए जाते हैं जिससे डिस्पोजल का कचरा न निकले। वहां के मशहूर छप्पन दुकान पर पेपर नेपकिन तक नहीं मिलती है।
5. आवारा मवेशियों पर कार्रवाई: इंदौर की सड़कों पर आवारा मवेशी घूमते हुए दिखाई नहीं देते हैं। निगम ने वहां बाड़े तोड़ने के साथ पशुपालकों पर एफआइआर करने तक की कार्रवाई की है। इससे वहां हादसों में कमी आई है और मवेशी सड़कों पर गंदगी भी नहीं करते हैं। शिवपुरी में हर सड़क, हर बाजार में आवारा मवेशी परेशानी का सबब बने हुए हैं।
यह दिए सुझाव:-
आयोजनों में डिस्पोजल का बहुत उपयोग होता है और इसका कचरा पूरे शहर में फैलता है। हमें पुरानी परंपरा पर लौटना चाहिए और स्टील के बर्तनों का ही आयोजन में उपयोग करना चाहिए। चाट के ठेलों पर धूल उड़ती है इसलिए ठेलेवालों को उसे पारदर्शी पालीथिन से कवर करना चाहिए जिससे गंदगी न जाए।
तरुण अग्रवाल, जिला कमीश्नर स्काउट गाइड
सीवर की सफाई के लिए सिर्फ चार-पांच कर्मचारी हैं और उनके पास भी पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। शिकायत के बाद भी सीवर की सफाई में कई दिन लग जाते हैं। इंदौर की तरह सफाईकर्मी दोनों समय आएं इससे जब वे सुबह सफाई कर फिर से उसी क्षेत्र में सफाई करने आएंगे तो उन्हें जिम्मेदारी का अहसास होगा। पहली बार में ही अच्छी सफाई होगी।
संजय गुप्ता, पार्षद वार्ड क्रमांक-4
कोरोना में जिस तरह से रोको-टोको अभियान चलाया गया था उसी तर्ज पर अब स्वच्छता के प्रति रोको टोकाे अभियान चलाया जाना चाहिए। स्वच्छता के लिए एक-एक व्यक्ति की भागीदारी जरूरी है और इसके लिए इसे जन अभियान बनाना होगा। प्रशासन शुरुआत करे इसमें हम व्यापारियों का पूरा सहयोग मिलेगा।
विष्णु अग्रवाल, अध्यक्ष व्यापारी संगठन
मेरे वार्ड में ही बारिश के दिनों में 100 से 150 घरों में पानी भर जाता है। इसके पीछे कारण है कि अतिक्रमण हो गया है। लोग उम्मीद से आते हैं कि इस बार तो समस्या का समाधान हो जाएगा। समस्याएं तो बहुत हैं, लेकिन हमें धीरे-धीरे हल करने की शुरुआत करना चाहिए।
शशि शर्मा, नेता प्रतिपक्ष नपा