शिवपुरी नगर पालिका में विकास के नही, आरोप-प्रत्यारोप के रंग, होली से पहले उछाली जा रही है एक दूसरे पर कीचड़-Ex-Rey ललित मुदगल

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शिवपुरी।
माफ करना शब्द थोड़े कडे हो सकते है,लेकिन शिवपुरी की पत्रकारिता अभी जिंदा है कलम की नसबंदी नही हुई है। किसी भी शहर की नगर पालिका सरकार के विकास का चेहरा होती है। शहर की मूलभूत सुविधाओं के साथ सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाओं का भार निकायो पर होता है। कुल मिलाकर विकास का रंग में रंगी होनी चाहिए निकाय। लेकिन शिवपुरी की नगर पालिका में विकास का रंग नही बेशर्मी का रंग है। आरोप प्रत्यारोपों का रंग है,एक दूसरे पर आरोपों की किचड उछाली जा रही है,इस कारण पूरे शहर में गंदगी,नालियों में कीचड़,और गड्ढे युक्त सड़क दिखाई दे रही है।

नपा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का युद्ध: थप्पड़ काण्ड से लेकर योग्यता पर सवाल

शिवपुरी शहर में विकास का रंग नही दिखाई दे रहा है। दिखाई दे रहा है केवल नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के बीच शीत युद्ध का रंग,साथ में नगर पालिका उपाध्यक्ष के पति और सांसद प्रतिनिधि रामजी व्यास। अपने नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा के श्रीमुख से रामजी व्यास के लिए थप्पड़ मारने वाले बोल अवश्य सुने होगें। फिर नगर पालिका की शिलान्यास की पट्टिकाओ से नगर पालिका उपाध्यक्ष के नाम का अपहरण करने वाला किस्सा भी सुना होगा। अब तीसरा किस्सा हो गया कि रामजी व्यास सांसद प्रतिनिधि बनने योग्य नही है उन्हें हटाया जाए।

इस प्रकार का ज्ञापन नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों ने मिलकर भाजपा जिला अध्यक्ष राजू बाथम को सौंपा है। यह शायद शिवपुरी के इतिहास का पहला मामला होगा,कि सांसद प्रतिनिधि या विधायक प्रतिनिधि की योग्यता पर सवाल उठाए गए है। यह सांसद और विधायक का निजी अधिकार है कि वह किस व्यक्ति हो अपना प्रतिनिधि बनाए।

ज्ञापन में उल्लेख किया गया है कि सांसद प्रतिनिधि श्री व्यास ने नगर पालिका की कार्यप्रणाली अधिकारियों, इंजीनियरों में कर्तव्य निर्वहन को लेकर भ्रष्टाचार करने विषयक एवं निर्माण कार्य को उचित रूप से मानक स्तर पर न किया जाकर निम्न स्तर का बताते हुए सांसद प्रतिनिधि द्वारा यह बोला गया कि यह निर्माण कार्य नगर पालिका द्वारा संचालित किए जा रहे है। साल दो साल के भीतर क्षतिग्रस्त हो जाएंगे और इससे अकारण जनता को परेशानी होगी तथा नगर पालिका का श्रम व धन अनावश्यक बर्बाद होगा।

यह शंका मात्र भविष्यकालीन पूर्वानुमान के आधार पर है। भविष्य में क्या होगा इस बारे में वर्तमान में किसी कार्य को भ्रष्टाचार से लिप्त मान कर ना सामान्य ज्ञान के व्यक्ति के लिए अपेक्षित नहीं है। क्योंकि ऐसे आरोप नगर पालिका के कर्मचारियों एवं अधिकारियों में कतई मिथ्या रूप से आरोपित किए गये है।

इस भाषा को समझने का प्रयास कीजिए इसमें एक शब्द आया है कि पूर्वानुमान अब इन ज्ञापन देने वाले ज्ञानियों ने इस शब्द का शायद ज्ञान नही है। घोटालो से भरी नगर पालिका शिवपुरी में नकली केवल सप्लाई हो जाती है। कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार कागजो मे नौकरी कर लेते है। डीजल चोरी होता है-पानी बिकता है,सब प्रमाणित है यहां तो सिर्फ पूर्वानुमान ही लगाया जा रहा है। इस देश का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को सवाल उठाने और अपनी बात रखने का अधिकार देता है। रामजी व्यास तो चुने हुए एक सांसद के प्रतिनिधि है वह सवाल उठा सकते है,नगर पालिका का नैतिक कर्तव्य है उनके सवाल का निराकरण करना।

रामजी व्यास ने सवाल उठाया था कि शहर में सीसी सड़कों का टेंडर 50 प्रतिशत से अधिक बिलो में गया है,यह सीसी सड़कें कैसे गुणवत्तायुक्त होगी। परिषद में सवाल था—जनहित की बात थी। शासन के पैसे दुरूपयोग ना हो-सवाल सही था। परिषद में कहा गया कि ठेकेदार सीसी रोड का काम रात में नही करेंगा। वीडियो रिकॉर्डिंग होगी यह परिषद में कहा गया। शिवपुरी की शान थीम रोड के टेंडर में क्लोजर 3 नही दिख रहा। जन हित का विषय है,शासन हित का विषय है और सबसे बडा शहर के हित का विषय है। शहर का आम नागरिक भी यह सवाल नगर पालिका से कर सकता है उसका मौलिक अधिकार है।

शहर की आम जनता अब यह सवाल उठाती है इसका जबाब ज्ञापन देने वाले लोग प्रेस नोट के माध्यम से शहर की जनता को अवगत कराए


शहर में वह कौनसी सीसी की सडके है जिनका टेंडर 50 प्रतिशत से अधिक बिलो रेट में गया है।
नगर पालिका में सीसी रोड की सरकारी रेट प्रति क्यूबिक मीटर कितनी है।
शहर में जाने वाली सीसी की सडको की क्या थिकनेस कितने इंच की होगी
नगर पालिका के इंजीनियर पब्लिक का बताए कि अगर कोई ठेकेदार 100 क्यूबिक मीटर सीसी रोड का निर्माण करता है तो उसमें नियमानुसार कितने कट्टे सीमेंट लगनी चाहिए,सीसी रोड में डाले जाने मसाले का क्या पैरामीटर है। आम भाषा में जिसे कहते है 6 एक का मसाला या 7 एक का मसला। 100 मीटर सीसी रोड में कितनी सीमेंट,कितनी गिट्टी कितनी बजरी कितना सरिया और सरिया कितने एमएम का होगा,कितने दिनों तक उसकी क्यूरिंग होनी चाहिए। इसका जबाब शहर की जनता जानना चाहती है। शहर केवल एक अध्यक्ष और 38 पार्षदों का नही है या उससे जुड़े हुए प्रतिनिधियों का नही है,शहर सवा लाख की आबादी का है।

नपाध्यक्ष और पार्षदों के बाद सांसद प्रतिनिधि और उपाध्यक्ष ने भी भाजपा के जिला अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा है। कुल मिलाकर निकाय की इस आपसी जंग में शहर विकास से कोसो दूर हो रहा है। पिछले 7 माह में शहर में विकास का काई भी एक बड़ा काम शुरू नही हुआ है। इस परिषद में विवाद-विवाद के बाद आरोप प्रत्यारोप के रंग ही दिखाई देते है। नगर पालिका में जब तक सुचिता की राजनीति नही होगी जब तक शहर का विकास संभव नही है। शहर के विकास की जिम्मेदारी नगर पालिका अध्यक्ष और चुने हुए पार्षदों के कंधो पर है वह अपने व्यक्तिगत मान अपमान को छोडकर केवल शहर हित की बात करेगा जब ही इस शहर का विकास संभव है।