शिवपुरी। नगरीय निकाय शहर का आईना होता है शहर की हालत देखकर आप अंदाजा लगा सकते है कि इस शहर या नगर का निकाय कैसा होगा। शहर की मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर पालिका की होता है। वही शासन की गरीब हितैषी कई योजनाओ की क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी निकाया की होती है। अगर शिवपुरी की बात करे तो शिवपुरी शहर आज भी मूलभूत सुविधाओं से संघर्ष कर रहा है।
शहर जल से संघर्ष कर रहा है 100 करोड़ से अधिक खर्च होने के बाद भी सिंध जलावर्धन की पाइप लाइन पानी देने के लिए नहीं टूटने के लिए प्रति सप्ताह समाचार पत्रों में जगह बनाती है,सीवर प्रोजेक्ट पर लगातार सवाल उठ रहे है,अधेरा सडका पर पसरा रहता है। वही स्वच्छता का पैरामीटर मप्र में नीचे से दूसरे नंबर पर है। इन सभी सुविधाओं की जिम्मेदारी नगर पालिका शिवपुरी कंधो पर है।
कहते है कि कुछ करने के लिए दृढ इच्छाशक्ति,ईमानदारी और एक विजन होनेा चाहिए,लेकिन वर्तमान में नगर सरकार के पास शहर को विकसित करने के लिए कोई विजन नही है कोई प्लान नहीं है लेकिन राजनीति से जूझ रही नगर पालिका में एक विजन शहर को प्लानिंग करने की जिसमें सोच है उसके साथ राजनीति की जा रही है।
अभी ताजा मामला नगर पालिका उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास का नाम शिलापट्टिका से गायब होता दिखा,वही दो दिन पूर्व स्वच्छता के विषय पर शहर के गणमान्य नागरिकों के साथ चर्चा में भी एक चुनी हुई नगर पालिका उपाध्यक्ष को नगर पालिका ने बुलावा नहीं भेजा सीधे शब्दों में लिखे तो आमंत्रित ही नही किया गया।
जबकि इस प्लान के क्रियान्वयन को लेकर नगर पालिका उपाध्यक्ष सरोज रामजी व्यास 2 मार्च 2023 को मप्र शासन के मुखिया शिवराज सिंह शिवपुरी विधायक और प्रदेश की कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया,सांसद डॉ केपी यादव सहित मुख्य नगर पालिका अधिकारी शिवपुरी को लिखी थी। आइए इस चिठ्ठी के विषय में विस्तार बात करते है। सरोज रामजी व्यास ने लिखा है कि शिवपुरी शहर की जनता ने 39 वार्डो में से 22 वार्ड पार्षद चुनाव जीताकर इस उम्मीद से पहुचाए थे कि शहर की विकास होगा लेकिन अफसोस निकाय को 7 माह बीत चुके है लेकिन जनता की विश्वास पर हम खरा नही उतरे। सफाई शहर की आत्मा होती है वह हमारी नगर पालिका की कार्यप्रणाली ने मार दी है। हमारा शहर सफाई विहीन है।
सफाई कर्मियों का सुनना होगा दर्द-
सरोज रामजी व्यास ने अपने पत्र में लिखा कि हमें सबसे पहले सफाई कर्मचारियों के दर्द का समझना होगा,वेतन विसंगति को मिटाना होगा,हमारे सफाई कर्मचारी गंदगी से भरे नालो और गटरो में उतरते है वह भी इंसान है उन पर सफाई करते समय पहने जाने वाली किट नही है। उनका मेडिकल चेकअप भी नहीं कराया जाता,सफाई करने के लिए झाड़ू तसले नही है,कचरा हाथ गाड़ी नहीं है। अभावो में वह कैसे काम करेंगें।
नाले की समस्या सबसे बड़ी समस्या,आम जनता का लाखो नुकसान?
शिवपुरी शहर के बीचो बीच निकला नाला शहर के करोडो रूपया का नुकसान करता है,नाला पूरा अतिक्रमण से घिरा हुआ है-उसकी साफ सफाई नहीं होती है,स्थानीय लोग उसमें कचरा फेंकते है इस कारण वर्षा काल में वह विकराल रूप धारण कर लेता हैं और लोगो के घरो में घुसकर उनका नुकसान करता है। शिवपुरी शहर से निकला नाला रामपौद दरवाजे के यहां सिकुड जाता है और जब वर्षाकाल में नाले का पानी उस जगह से बैक करता है,इस कारण शहर मे बाढ़ के हालत बनती है।
नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारी को सुधारनी होगी अपनी कार्यप्रणाली
शिवपुरी के नगर पालिका अधिकारी कर्मचारियों को अपनी कार्यप्रणाली सुधारनी होगी। कार्यालय पर अधिकारी कर्मचारी नही मिलते है अगर मिल जाते है तो एक टेबल से दूसरी टेबल पर घुमा देते है इसका सबसे बड़ा उदाहरण है प्रधानमंत्री आवास योजना के आवास जिन्है सालो पहले जनता को मिल जाना चाहिए था लेकिन आज तक नही मिले। कुल मिलाकर किसी भी योजना का क्रियान्वयन नगर पालिका ने आज तक समय पर पूरा नही किया है।
स्वच्छता के लिए हाईटेक होना होगा
जब जब स्वच्छता की बात चलती है तो इंदौर और भोपाल का उदाहरण दिया जाता है। सफाई कर्मियों को हजारी डिजिटल करना चाहिए,आधे सफाई कर्मी अधिकारियों के आशीर्वाद से घर प बैठकर वेतन ले रहे है। स्वच्छता के मामले में हम जब तक रेटिंग नहीं सुधर सकते जब तक शहर की जनता साथ नही देगी,इसके लिए नगर पालिका के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को वार्ड में जाकर लोगो से बात करनी होगी,उनकी छोटी छोटी समस्याओं को नोट आउट कर निपटारा करना होगा। शहर को स्वच्छता के लिए हर बड़े छोटे व्यक्ति से राय लेनी होगी,जनता को लगना चाहिए की जो नगर सरकार है अब हमारे लिए हमारे घर आई है काम करने के लिए—कुल मिलाकर जनता का विश्वास जितना होगा-जब ही हम शहर को स्वच्छ बना सकते है।
प्लानिंग नहीं है साल भर की
नगर पालिका का प्रशासन केवल परिषद की मीटिंग में ही सभी पार्षदों को आमंत्रित करता है,वहां केबल ऐजेंडे पर बात होती है। नगर पालिका प्रशासन को सभी पार्षदों को केवल शहर विकास की योजना का क्रियान्वयन और आगे की प्लानिंग के लिए हर माह चाय पार्टी जैसी मीटिंग करनी चाहिए,प्रत्येक वार्ड से हर वार्ड से पांच नागरिकों सहित शहर की क्रमश:मीडिया को भी आमंत्रित करना चाहिए,कुछ रिटायर्ड अधिकारी और कर्मचारियों को आमंत्रित करना चाहिए। एक परिवार जैसा माहौल बनाकर शहर की समस्याओं को चिन्हित कर उसके समाधान के लिए प्रयास करे। अगर आम आदमी से शहर की विकास की बात करेंगे तो अवश्य ही बड़ा प्लान निकल कर आएगा क्योंकि कहते है कि आदमी बड़ा नहीं उसका आईडिया बडा होता है।
लेकिन यह हो रहा है
वर्तमान की बात करे तो,पार्षदों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उल्टा चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अपमान किया जा रा है। इस बार की निकाय को आठ माह गुजर चुके है कोई भी काम वार्ड में शुरू नहीं हुआ है,जनता खंभों तक लाइट के लिए तरस रही है। पार्षदों से मांग पत्र लिए जाने चाहिए उनके वार्ड की क्या समस्या है प्राथमिकता के आधार पर नॉटआउट हो काम निपटने चाहिए। शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए प्लानिंग आवश्यक है,बिना प्लानिंग के पैसा बर्बाद होता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण है शहर की सड़कें सीवर के लिए खोदी गई,फिर बनाई गई,अब घर घर कनेक्शन जोड़ने के लिए फिर खोदा जाऐगा।