शिवपुरी। शिवपुरी में पर्यटकों को तलाशती नगरी शिवपुरी जिले के लिए यह खबर एक खुशखबरी हो सकती है कि शिवपुरी ग्वालियर की सीमा पर स्थित सुल्तानगढ वाटर फॉल के जंगलों में आदिमानव के समय की चित्र मिली है। इन चित्रों क आकार काफी बड़ा है और इन्है आज भी दूर से स्पष्ट देखा जा सकता है।
जेनिथ संस्था के युवाओं ने इन्है खोजा है। जिन चट्टानों पर यह पेंटिंग बनाई गई है उनकी स्थिती देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां कभी आदिमानव का निवास हुआ होगा। वही यह चित्र लाल कलर से बनाए गए है। इन चित्रो में सबसे खास बात यह है कि इनका लाल रंग अभी तक जिंदा है।
जेनिथ संस्था के अभय जैन ने बताया कि आज हमारी टीम शिवपुरी में सुल्तानगढ़ जलप्रपात पर गई थी। वाटर फॉल से नीचे पेड़ों की प्रजातियां देखने हमारी टीम उतरी तो फॉल से लगभग आधा किलोमीटर अंदर यह चित्र हमें दिखे। इन चित्रों का आकार दो फुट बाई दो फुट का है। यह पेंटिंग लाल कलर से बनाई गई है। यह आदिमानव के समय की चित्रकला लगती है। ऐसी चित्रकला भीमबेटका जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट है, वहां पाई गई है। यह अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है, जिससे यह में पता लगता है शिवपुरी के जंगलों में आदिमानव रहा करते थे।
जिस चट्टान पर यह चित्र बने है उस पर 4 व्यक्ति आसानी से सो सकते है। यह पानी से बहुत ऊपर है किसी भी स्थिति में इस चट्टान पर पानी और जानवर नही आ सकता है। इसके पीछे जाने का भी रास्ता है ऐसा लगता है कि यहां आदिमानव रहा करते होगें। इसमे सबसे बडी बात यह है कि यह कलर आज भी जिंदा है। यह निश्चित किसी वनस्पति से ही बनाया गया होगा। प्राकृतिक कलर आज तक जिंदा है जो आश्चर्य की बात है।
लाल रंगों से बनाए गए इन चित्रों में इसमें तीर कमान लिए हुए लोगों को दिखाया गया है जो शिकार कर रहे है। यही नही चित्रकला में कई तरह के जानवर भी देखे जा सकते हैं। हो सकता है कि इन जंगलों में और भी ऐसी कई जगह हों तथा ऐसी कई चट्टाने हों, जहां पर प्रीहिस्टोरिक के पेंटिंग्स पाई जाती हों, लेकिन यह अभी शोध का विषय है। यह आश्चर्यजनक है कि कुछ चित्र इनमें 2 फीट से भी ज्यादा बड़े हैं, और अभी भी साफ तरीके से देखे जा सकते हैं। जेनिथ की टीम अब इन चित्रों के संबंध में आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट के लोगों से भी चर्चा कर रही है।