शिवपुरी। पोहरी के स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी के बाद आदिवासी महिला की मौत का मामला सुर्खियों में आया था। महिला के परिजनों ने इस मौत का जिम्मेदार ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर पर लगाया था। महिला की मौत के बाद डॉक्टरों के पैनल ने पीएम किया था। पीएम में पाया कि महिला के पेट में रक्त का भरना उसकी मौत का जिम्मेदार है। ऑपरेशन के उपरांत हुई मौत के मामले में नसबंदी करने वाले रिटायर्ड डॉक्टर पीके खरे पर गैर इरादतन हत्या का प्रकरण कायम कर विवेचना प्रारंभ कर दी है।
उल्लेखनीय है कि 17 दिसंबर 2022 को पोहरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी ऑपरेशन कैंप लगाया गया था। कैंप के दौरान ग्राम डांगबर्बे निवासी कौशल्या पत्नी सुमरन आदिवासी उम्र 26 साल की नसबंदी डा. पीके खरे द्वारा की गई थी। महिला की नसबंदी के उपरांत उसकी हालत लगातार बिगड़ती चली गई। चिकित्सकीय स्टाफ की लापरवाही के कारण महिला की हालत इतनी खराब हो गई कि उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल रैफर करना पड़ा।
जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने महिला का परीक्षण करने के उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया। महिला के स्वजनों के आरोपों के चलते स्वास्थ्य विभाग ने महिला का पीएम डॉक्टरों के पैनल से करवाया। पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की विवेचना शुरू कर दी। पीएम के दौरान पैनल में शामिल डॉक्टरों ने पाया कि नसबंदी ऑपरेशन के दौरान महिला की रिट्रो पौट्रोनियल रक्त वाहिका में चोट के कारण उसके पेट में अत्यधिक मात्रा में रक्त रिसाव हुआ और वह महिला के पेट में भर गया, यही महिला की मौत का कारण बना।
पुलिस ने पीएम रिपोर्ट, महिला के स्वजनों के बयानों के आधार पर पाया कि महिला की नसबंदी करने वाले चिकित्सक डॉ पीके खरे ने ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती, जिसके चलते महिला की मौत हुई। इसी आधार पर पुलिस ने मर्ग जांच उपरांत डाक्टर खरे के खिलाफ धारा 304 ए भादंवि के तहत गैर इरादतन हत्या का प्रकरण कायम कर लिया है।
31 दिसंबर को हुए रिटायर, निर्विवादित रहा कार्यकाल
डा. पीके खरे जिला अस्पताल में सिविल सर्जन भी रहे हैं और वे 31 दिसंबर 2022 को ही सेवानिवृत्त हुए हैं। अब तक का उनका कार्यकाल निर्विवादित रहा, लेकिन सेवानिवृत्त होने के कुछ दिनों पहले आपरेशन बिगड़ने से उन पर मामला दर्ज हुआ है। 17 दिसंबर को आपेरशन बिगड़ने के बाद ही डा. खरे छुट्टी पर चले गए थे।