आंगनबाडी कार्यकर्ता ने नौकरी पाने लगाई फर्जी मार्कशीट-साथ कूट रचित दास्तावेज, मामला दर्ज- Shivpuri News

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शिवपुरी।
अमोला थाना क्षेत्र के ग्राम उड़वाहा में एक महिला ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी पाने के लिए न सिर्फ फर्जी अंक सूची बनवाई बल्कि अपने ससुर के गरीबी रेखा के राशनकार्ड में भी कूटरचना करते हुए खुद का व पति का नाम जोड़ा। इस मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ एक अन्य महिला अभ्यर्थी ने न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका की सुनवाई के उपरांत न्यायाधीश ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 में करैरा परियोजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भर्ती के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने विज्ञप्ति जारी कर आवेदन आमंत्रित किए थे। इस दौरान ग्राम उड़वाहा निवासी महिला कमलेश पत्नी मंगल सिंह कुशवाह ने आवेदन किया । कमलेश ने आवेदन के दौरान कक्षा 8 की फर्जी अंकसूची बनवाकर आवेदन के साथ लगाई। इसके अतिरिक्त उसने अपने ससुर के बीपीएल कार्ड में काटछांट करके खुद का व अपने पति का नाम उसने जोड़ लिया। इस राशन कार्ड की छायाप्रति भी आवेदन के साथ लगाई गई ताकि उसे बीपीएल राशन कार्ड धारक होने के दस नंबर अतिरिक्त मिल सकें ।

अंततः कमलेश अपनी कारगुजारी में कामयाब हो गई और उसकी पदस्थी उड़वाह में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कर दी गई। उड़वाहा से ही अनीता पत्नी गब्बर सिंह कुशवाह नाम की एक अन्य महिला ने भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के पद पर आवेदन किया था। उसे कमलेश के दस्तावेजों पर संदेह हुआ तो उसने दस्तावेज प्राप्त कर मामले की शिकायत जेएमएफसी न्यायालय करैरा में दर्ज कराई। जेएमएफसी न्यायालय करैरा में मामले की सुनवाई के बाद कमलेश पत्नी मंगल सिंह कुशवाह निवासी उड़वाह पर कमलेश के विरुद्ध धारा 420, 467, 468 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज कर संज्ञान में लिया जाता है।

लगातार दूसरी बार की धोखाधड़ी, इस बार पकड़ी गई

कमलेश ने नौकरी पाने के लिए इस तरह की धोखाधड़ी और कूट रचना वर्ष 2011 में पहली बार नहीं की थी। वह इससे पूर्व वर्ष 2009 में भी इसी तरह से फर्जी अंकसूची के आधार पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नौकरी हासिल कर चुकी थी। उक्त मामले की शिकायत जब अमोला थाने में दर्ज कराई गई तो उसने 27 जनवरी 2011 को पारिवारिक परिस्थितियों को हवाला देकर पद से त्यागपत्र दे दिया। जो 4 फरवरी 2011 को स्वीकृत हुआ था। कमलेश ने दुबारा आवेदन किया और फिर से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हथिया ली।

दवाओं को दफनाने के मामले में भी विवादितः कुछ माह पूर्व आंगनबाड़ी केंद्र पर वितरित होने आई दवाओं को हितग्राहियों को वितरित करने की बजाय आंगनबाड़ी केंद्र के पीछे जमीन में दफनाने के मामले में भी कमलेश विवादित हुई थी । प्रकरण की शिकायत दर्ज कराई गई परंतु सीडीपीओ ने इस मामले में कमलेश को प्रकरण से बचा लिया था।