शिवपुरी। पोहरी में भाजपा अगर विकास की बात करती तो सामने पोहरी के सरकुला डेम प्रोजेक्ट की रुकी हुई तस्वीरे सामने आ जाती थी,सरकुला प्रोजेक्ट के भूमिपूजन के ढाई साल बाद भी सरकुला डेम का काम रूका हुआ था। कारण वन विभाग एनओसी जारी नहीं करा रहा था। पोहरी विधायक राज्य मंत्री सुरेश राठखेड़ा भी अपने भाषणों में कह रहे थे कि अगर सरकुला डेम का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो वह चुनाव नही लडेंगें। 20 फरवरी को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने एनओसी जारी कर दी है।
राज्य सरकार को एजेंसी को फॉरेस्ट की जमीन देने के पहले और बाद में कुछ शर्तों का पालन करना होगा। एनओसी में करीब 26 शर्तों का उल्लेख किया गया है। इस परियोजना के शुरू न होने को लेकर लंबे समय से सवाल उठ रहे थे। दिसंबर के महीने में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शिवपुरी आए थे तब उन्होंने भी एनओसी के बारे में पूछा था जिस पर कलेक्टर ने सात दिन में एनओसी मिलने की बात कही थी। लेकिन, फरवरी के मध्य तक भी अनुमति नहीं मिल पाई थी।
राज्यमंत्री ने शिव.ज्योति को दिया धन्यवाद
पीडब्ल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा पिछले चार सालों से इस परियोजना के लिए जुटे हुए थे। करीब ढ़ाई साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसका भूमिपूजन किया था। इसके बाद एनओसी अटक गई थी। राज्यमंत्री सुरेश राठखेड़ा ने कहा कि इस परियोजना को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने काफी मदद की है। उनकी मदद से हम सभी अनुमतियां प्राप्त करने में सफल रहे हैं। निर्माण कार्य पहले शुरू कर देते और इसकी तैयारी भी कर ली गई थी, लेकिन एनओसी में समय लग गया। अब इसका निर्माण तय समय 18 महीने में पूरा कर दिया जाएगा।
120 गांव के किसान और आमजन होंगे लाभांवित
पोहरी विंधानसभा में पेयजल ओर सिंचाई के स्त्रोत में काफी कमी है जिसके चलते किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी नही हो पा रही थी। ऐसे में अब किसानों को इस योजना के पूरा होने के बाद लाभ मिलेगा। सरकुला बांध से 120 गांव के हजारों किसानों को लाभ मिलेगा और सिंचाई के लिए पानी मिल सकेगा।
डेम निर्माण शुरू नहीं होता तो चुनाव नही लड़ते मंत्री राठखेड़ा!
अपने पुराने भाषणों में सुरेश राठखेड़ा ने कई बार मंच से इस बात का ऐलान किया था कि यदि सरकुला डैम का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसे में यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण था। हालांकि राठखेड़ा अपने दावे पर कितना खरा उतरते यह तो समय ही बताताए लेकिन अब निर्माण शुरू होने से जनता के बीच उनकी बात रह गई।