कोलारस। आप समाचार पत्रों में एंबुलेंस की व्यवस्था को लेकर नेगेटिव खबरें आती रहती है,लेकिन यहां एक एम्बुलेंस चालक जच्चा बच्चा के लिए 20 मिनट तक गिड़गिड़ाता रहा,लेकिन इसका कोई फायदा नही हुआ। मामला लुकवासा क्षेत्र के कुल्हाडी पर स्थित रेलवे क्रॉसिंग से मिल रही है। यहां रेलवे के फाटक बंद हो गए थे ओर और गाड़ी आने में 20 मिनट से अधिक का समय था,इस कारण एम्बुलेंस बार बार गेटमैन से निवेदन कर रहा था कि एम्बुलेंस को निकल जाने दो।
बताया जा रहा है सुनीता जाटव और उसके नवजात बच्चे को लुकवासा उप स्वास्थ्य केंद्र से छुट्टी कराने के बाद जननी एंबुलेंस से टुड़यावत गांव ले जाया जा रहा था। जननी एंबुलेंस के ड्राइवर सुनील यादव ने बताया कि एंबुलेंस जब कुल्हाड़ी रेलवे क्रॉसिंग पर पहुंची तो रेलवे क्रॉसिंग का गेट लगा हुआ था। उसने रेलवे क्रॉसिंग के गेट पर तैनात गेट में विकास से पूछा तो विकास ने बताया कि ट्रेन आने में अभी 20 मिनट का समय और लगेगा, इस दौरान गेटमैन विकास से एंबुलेंस को जल्द निकलवाने की बात कही लेकिन उसने नहीं सुना। पेशेंट के परिजनों ने भी गेटमैन से कहा कि पेशेंट को घबराहट हो रही है लेकिन गेटमैन ने नहीं माना।
एंबुलेंस के ड्राइवर सुनील यादव ने बताया कि करीब 40 मिनट तक रेलवे क्रॉसिंग पर खड़ी रहीं। 40 मिनट के बाद जब ट्रेन गुजरी तब कहीं जाकर जच्चा-बच्चा को सुरक्षित घर छोड़ा गया। इस बीच जच्चा को घबराहट होती रही थी। ड्राइवर सुनील यादव का कहना है कि शुरुआत में ही अगर गेटमैन एंबुलेंस को निकाल देता तो जच्चा-बच्चा को परेशानी नहीं होती।
यह कहा रेलवे स्टेशन मास्टर आरएस मीणा ने
शिवपुरी रेलवे स्टेशन मास्टर आरएस मीणा ने बताया कि किसी भी स्टेशन से गाड़ी छूटने से पहले सभी क्रॉसिंग के गेट बंद कर दिए जाते हैं। सभी क्रॉसिंग के गेट में लॉकिंग सिस्टम रहता है। ऐसी स्थिति में अगर गेटमैन गेट को खोल देता है तो फिर से पूरे प्रोसेस को फ़ॉलो करना पड़ता है लेकिन 40 मिनट तक गेट को बंद करके भी नहीं रखा जाता। संभवत किन्हीं कारणों के चलते ट्रेन को बीच में ही रोकना पड़ा होगा, जिससे इतनी देरी हुई।