शिवपुरी। बदरवास जनपद शिक्षा केंद्र में शाला प्रबंधन समिति के फंड में सेंधमारी की खबर मिल रही है। बदरवास जनपद के 120 स्कूलों में शाला प्रबंधन समिति के लिए आए फंड का भुगतान नियम विरुद्ध तरीके से अपनी मनपसंद फर्मो को कर दिया गया है। मामला उजागर होने के बाद DPC ने इस मामले में जांच समिति बनाकर जांच करने के आदेश दिए है। बताया जा रहा है उक्त घोटाला लगभग 50 लाख रुपए से अधिक का है,और इसके सूत्रधार है बदरवास के बीआरसी अंगद सिंह तोमर।
जैसा कि विदित है कि राज्य शिक्षा केन्द्र से जारी शाला प्रबंधन समितियो के लिए शाला संचालन के लिए प्रतिवर्ष एक तय शुदा फंड रिलीज किया जाता है। नियमानुसार इस फंड को कक्षा 1 से 8 कक्षा तक के बच्चों की शिक्षा सुविधा हेतु शाला प्रबंधन समिति की सहमति से इस बजट को खर्च किया जाता हैं। राज्य शिक्षा केंद्र के नियमों के अनुसार जिस स्कूल में 01 से 30 से अधिक बच्चे है उस स्कूल को 10 हजार, 31 से 100 बच्चों तक 25 हजार 101 बच्चों से 250 तक 50 हजार,251 से 1 हजार बच्चो की छात्र संख्या वालों को स्कूलों को 75 हजार का फंड मिलता है।
नियमों के अनुसार ऐसे खर्च करना होता है यह बजट
इस बजट को सीधे स्कूल का शिक्षक खर्च नही कर सकता। इसके लिए इस वर्ष राज्य शिक्षा केन्द्र ने इस बजट को खर्च करने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाई है। इस प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक शाला में मेकर,वेरिफायर और अप्रूवर नियुक्त किए है। उनके द्वारा बीआरआरसी से जारी पासवर्ड का उपयोग कर ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया पूर्ण करनी है।
इस मामले का सीधे सीधे लिखे तो मेकर सामान खरीद का बिल प्रस्तुत करेगा,बैरिफायर इस बिल का भौतिक सत्यापन पर वेरीफाई करेगा। अप्रूवर इस बिल को पूर्ण रूप से जांच कर भुगतान के लिए सहमत करेगी। इसकी ओटीपी अप्रूवर के दर्ज मोबाइल नंबर पर आऐगी। यह मेकर,वेरिफायर और अप्रूवर स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक होगें। लेकिन ऐसा नही किया गया। सीधे बीाआरसी ऑफिस से शिक्षकों फोन लगाकर ओटीपी ले ली गई और एक ही फर्म को 60 लाख का भुगतान कर दिया गया है।
जानकारी मिल रही है कि बीआरसी अंगद सिंह तोमर ने संध्या कम्प्यूटर,जिंदल हार्डवेयर,जेई जैन इंटरवाईजेज,आदर्श जैन नामक फर्मो के फर्जी बिल लगाकर यह भुगतान किए है। अब सवाल उठता है कि ऐसे 120 स्कूलों के यह भुगतान हुए है । क्यों सभी स्कूल शिक्षक इन चार फर्म से ही माल खरीदेगें,क्या खरीदा गया सामान इन्ही चार फर्मों पर मिलता है। शिवपुरी मुख्यालय की एक भी फर्म इसमें नही है।
इनका कहना है
ओटीपी तो कभी किसी को देना भी नहीं चाहिए तो शिक्षकों ने ओटीपी किसके कहने पर दे दी इस की जांच के उपरांत ही कुछ कह पाएंगे
डी पी सी अशोक कुमार त्रिपाठी शिवपुरी