शिवपुरी। कोरोना की आगामी लहर के लिए स्वास्थ्य विभाग की तैयारियों को लेकर माक ड्रिल को हुए एक हफ्ता बीत चुका है। माक ड्रिल के बाद भोपाल से भी अधिकारियों द्वारा वीसी में आक्सीजन प्लांटों को दुरूस्त करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन माक ड्रिल और अधिकारियों के निर्देशों को हफ्ता भर बीत जाने के बाबजूद भी आक्सीजन प्लांट खराब पड़े हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले मंगलवार को जिले भर में कोरोना संक्रमण की तैयारियों के क्रम में माक ड्रिल की गई थी। इस माक ड्रिल के दौरान करैराए कोलारसए पिछोर के आक्सीजन प्लांट संचालित नहीं मिले थेए जिसके बाद इन आक्सीजन प्लांट को संचालित करने के संंबंध में अधिकारियों द्वारा दिशा निर्देश जारी कर दिए गए थे परंत अभी तक तीनों ही जगह के आक्सीजन प्लांट चालू नहीं हो सके हैं।
पिछोर के ऑक्सीजन प्लांट से वार्ड तक ऑक्सीजन लाइन अभी भी नहीं बिछी है, जिसकी वजह से ऑक्सीजन प्लांट निष्क्रिय बना हुआ है। इसके अलावा दिल्ली से ऑक्सीजन का प्योरिटी टेस्ट भी होकर नहीं आ सका है। ऐसे हालातों में यह प्लांट होकर भी न होने के बराबर है। इसी क्रम में कोलारस और करैरा के प्लांट भी विद्युत संबंधी तकनीकी खामी के कारण खराब पड़े हुए हैं। इन दोनों ही प्लांट में लगभग एक साल बाद भी इस समस्या का निराकरण नहीं किया जा सकता है, जिसके चलते हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
खास बात यह है कि स्टेबलाइजर सप्लायर विद्युत कंपनी के खामी बता रहे हैं तो विद्युत वितरण कंपनी ट्रांसफार्मर आदि बदलकर अपनी तरफ से इस बात की पुष्टि कर चुकी है कि उनके यहां से कोई खामी नहीं है। कुल मिलाकर लगभग साल भर बाद भी ऑक्सीजन प्लांट की बीमारी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
बिना चलाए बिजली बिल
इन ऑक्सीजन प्लांट के स्थापित होने के बाद भले ही इन्हें चलाया नहीं गया हैए परंतु कोलारस व करैरा में इन ऑक्सीजन प्लांट के लिए अलग से विद्युत कनेक्शन लिए जाने के कारण दोनों की प्लांट के विद्युत बिल बदस्तूर जारी हैं। बताया जा रहा है कि हर माह हजारों रुपये का विद्युत बिल इन प्लांट के चालू न होने के बावजूद भी आ रहा है। ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट का उपयोग किए बिना ही बेवजह हजारों रुपये का खर्च प्लांट पर हो रहा है, जबकि इसका लाभ किसी भी मरीज को नहीं मिल रहा है।
जिला अस्पताल में बाहर से मंगवा रहे सिलेंडर
जिला अस्पताल में लगाए गए तीन ऑक्सीजन प्लांट चालू हालत में तो हैं लेकिन यह प्लांट सिर्फ शोपीस बनकर रह गए हैं। यहां प्लांट होने के बाबजूद भी लाखों रुपये की गैस सिलेंडरों में भर कर ग्वालियर व झांसी से मंगवाई जा रही है। ऐसे में इन प्लांट्स का कोई लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। अगर सरकारी खातों को देखा जाए तो अभी भी लाखों रुपये महीने ऑक्सीजन पर खर्च किया जा रहा है।
दर्जनों कंसंट्रेटर भी पड़े खराब
जिला अस्पताल सहित जिले भर में रखे दर्जनों कंसंट्रेटर अभी भी खराब पड़े हुए हैं। माक ड्रिल के हफ्ता भर बाद भी इन कंसंट्रेट को सही नहीं कराया गया है और न ही इन्हें अब तक पलंगों पर सेट किया गया है। जिला अस्पताल में चिल्ड्रन वार्ड को खाली तो करा लिया गया है, लेकिन अब तक पलंगों पर ऐसी कोई व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है जिससे यह लगे कि जिला अस्पताल कोरोना से लड़ने के लिए तैयार है।
हेल्प डेस्क को तोड़कर पुनरू बना रहे नई
जिला अस्पताल में कोरोना के मद्देनजर ट्रोमा सेंटर में तैयार की गई हेल्प डेस्क को आज वहां से हटा दिया गया है। अब हेल्प डेस्क को तोड़कर अस्पताल के गेट पर तैयार किया जा रहा है। कुल मिलाकर तोड़ना, बनाना जारी है लेकिन बेसिक समस्याओं के सुधार पर फोकस कम ही नजर आ रहा है।
ये बोले जिम्मेदार
.मेरी जानकारी में आया है कि लगभग एक साल से बंद होने के कारण कुछ कंसनट्रेटर खराब पड़े हुए हैं। इन्हें चालू करवाने के लिए इनमें कुछ रिपेयरिंग करवानी है। जैसे.जैसे हमें निर्देश प्राप्त होते जाएंगे हम वैसे.वैसे इन्हें सही करवा कर उपयोग के लिए तैयार कर लेंगे। आगामी आदेशों के उपरांत वार्डो को भी तैयार किया जाएगा।
योगेंद्र रघुवंशी, आरएमओए जिला अस्पताल
.पिछोर में प्लांट तो तैयार है लेकिन अभी आक्सीजन की पाइप लाइन नहीं बिछी है। करैरा में भी स्टेवलाइजर आदि की समस्या के कारण आक्सीजन प्लांट फिलहाल बंद पडा हुआ है। इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिख दिया गया है। वीसी में भी निर्देश मिले थेए इन्हें हम दुरूस्त करवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
संजीव शांडिल्य, बीएमओ पिछोर