माधव राष्ट्रीय उद्यान: 1958 में बना था नेशनल पार्क,1991 में थे 10 टाईगर, अब 15 को 3 आएंगे- Shivpuri News

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शिवपुरी।
शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में पर्यटक 5 टाइगर 15 जनवरी में आऐंगें। शिवपुरी के लिए पर्यटन और व्यापार के लिए यह बड़ी सौगात हैं,इससे पूर्व सन 2 हजार से पूर्व नेशनल पार्क में टाइगर थे टाइगर की इस अंतिम जोडी का नाम तारा पेटू था। माधव नेशनल पार्क की स्थापना सन् 1958 में मध्यप्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी स्थापना के समय पार्क का क्षेत्रफल 167 वर्ग किमी थी जो धीरे धीरे बढता बढता लगभग 380 वर्ग किलोमीटर तक पहुंच गई हैं।

माधव नेशनल पार्क का शुरूवाती क्षेत्र ग्वालियर सिंधिया राजवंश का शाही शिकार का अभयारण्य था। माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए साख्या सागर और माधव तालाब का निर्माण कराया था, जो आज अन्य झरनों और नालों के साथ पार्क के सबसे बड़े जल निकाय हैं।

अब इस पार्क में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम,15 तक आऐगें टाइगर

माधव नेशनल पार्क में बाघ पुनर्वास का शेड्यूल जारी होने के बाद तैयारियां आखिरी दौर में हैं। यहां दो मादा और एक नर टाइगर 15 जनवरी तक लाए जाना हैं जिन्हें बाड़े में रखा जाएगा। इसके लिए पांच हेक्टेयर का बाड़ा लगभग तैयार हो चुका है। इस बाड़े को तीन हिस्सों में बांटा गया है जहां तीनों बाघों को अलग.अलग रखा जाएगा।

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ भोपाल से जारी शेड्यूल के अनुसार बाघ 15 जनवरी तक लाए जाएंगे और 25 जनवरी से पहले इन बाघों को बाड़े से मुक्त कर दिया जाएगा। 5 बाघ भोपाल वन मंडल, पन्ना टाइगर रिजर्व और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लाए जाना है।

पहले चरण में तीन बाघ लाए जाएंगे। इसमें एक नर व दो मादा शामिल हैं। एक नर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और शेष दो मादा टाइगर उपलब्धता अनुसार भोपाल व पन्ना टाइगर रिजर्व से लाना प्रस्तावित है।

हालांकि बाघ चिह्नित करने के संबंध में अधिकारी फिलहाल कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे हैं। बता दें कि साल 1990 में माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी बनी थी जिसमें 10 से 15 टाइगर थे। आखिरी टाइगर साल 1996 में देखा गया था। 25 साल बाद टाइगर की वापसी हो रही है।

पार्क में टाइगर के शिकार के लिए पर्याप्त शाकाहारी वन्य प्राणी हैं।

नेशनल पार्क शिवपुरी में पिछली गणना के मुताबिक 13689 चीतल, 2156 शांभर, 2970 चिंकारा, 8761 नीलगाय, 5658 जंगली सूअर, 205 काले हिरण, 387 भेड़की, 16461 लंगूर हैं। इस लिहाज से टाइगर के शिकार के लिए पर्याप्त वन्य प्राणी उपलब्ध हैं।

मुगल सम्राट अकबर भी शिवपुरी में हाथी और शेर का शिकार करने आया करते थे

शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क का नाम इतिहास के पन्नों में अकबर के शासनकाल से लेकर औपनिवेशिक काल तक दर्ज है। ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने यहां हाथियों के पूरे झुंड को अपने अस्तबल तक पहुंचाया था। इतिहास में दर्ज इस लेख से साबित होता है कि शिवपुरी का जंगल हाथियों और शेरों का सदियों पुराना रहवास है। मुगल काल का शिकार उल्लेख शिवपुरी के जंगलों में खंडेराव रासो में भी मिलता हैं।

साल 1991 में थे यहां दस बाघ

माधव नेशनल पार्क नब्बे के दशक में बाघों की रिहायश का एक सबसे बड़ा अड्डा था। तब यहां दस बाघ थे। लेकिन देखरेख और सुरक्षा के अभाव में इनकी संख्या कम होती चली गई। अंतिम बार यहां बाघ साल 1996 में देखा गया था। इसी साल यहां की टाइगर सफारी यह कहते हुए बंद कर दी गई थी कि यह स्थान अब टाइगर के लिए उपयुक्त नहीं है। इस सफारी की अंतिम बाघ जोड़ी साल 1996 में थी, जिनको तारा और पेटू के नाम से जाना जाता था। इसके बाद फिर इसे टाइगर सफारी बनाने का फैसला हुआ।

वन्य विशेषज्ञों का मत यहां बस सकते हैं 26 टाइगर

इससे पहले देश के प्रमुख वन्य विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र के भूगोल और पारिस्थितिकी पर गहन शोध किया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस क्षेत्र में 26 टाइगर को बचाया जा सकता है, जो यहां आराम से स्वतंत्रता पूर्वक जीवन यापन कर सकते हैं।

बाड़े लगभग तैयार, टाइगर लाने का शेड्यूल 15 जनवरी का

बाड़े लगभग तैयार हो गए हैं। टाइगर लाने का शेड्यूल 15 जनवरी 2023 का है, उसके अनुसार तैयारी चल रही है। बाड़ों में रखने के बाद 25 जनवरी से पहले बाड़ों से छोड़े जाने हैं। तीन बाघों की स्थिति के आधार पर आगे चलकर दो अन्य बाघ लाए जाएंगे।
उत्तम कुमार शर्मा, सीएफ एवं पार्क डायरेक्टर माधव नेशनल पार्क शिवपुरी