बदरवास में लगा कदंब पेड का मेला: सैकड़ों की संख्या में पहुंची महिलाए, की पूजा अर्चना- Badarwas News

NEWS ROOM
शिवपुरी।
सनातन संस्कृति में यह देखने को मिलता है कि किसी पौधे को मां का दर्जा दिया गया हैं। हमारे हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को तुलसी मां का दर्जा दिया जाता हैं। इसके अतिरिक्त पीपल के पेड़ के नीचे सारे देवताओं का वास माना जाता हैं,वट वृक्ष को इसलिए पूजा जाता है कि हमारी आयु और परिवार वट वृक्ष के समान हो,वही हिन्दू धर्म कदंब के पेड़ की पूजा की भी मान्यता हैं। धार्मिक लॉजिक सीधे सीधे देख जाए तो पेड़ को पूजने की परंपरा हैं जिससे हम उनकी रक्षा कर सके। बदरवास ब्लॉक में शुक्रवार को कदंब का मेला लगा,जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहंचे।

जानकारी के अनुसार शिवपुरी जिले के बदरवास के सुमेला गांव में आगरा.मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर टाटा सर्विस सेंटर के पास स्थित प्राचीन कदम के दो पेड़ है। जहां वर्षों से देवउठनी एकादशी के दिन हजारों की संख्या में महिलाएं पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचती हैं। बदरवास क्षेत्र के लोग ट्रैक्टर ट्राली, कार, बाइक आदि वाहनों से जत्थे के रूप में इकट्ठे होकर कदम के पेड़ पर पहुंचते हैं और पूजा अर्चना करते हैं।

इसी लिए इस स्थान को कई वर्षों से इसे कदंब के मेले के नाम से भी जाना जाने लगा है। यह कदंब के दो पेड़ हैं जो सैकड़ों वर्ष पुराने हैं। साल दर साल यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करने यहां लोग आते हैं और ईश्वर की कृपा सबको प्राप्त होती है। यही बजह रही कि आज फिर एक बार देवउठनी ग्यारस के दिन बड़ी की संख्या में लोग उपस्थित हुए और कदंब के पेड़ की पूजा.अर्चना की है।

गौरतलब है कि भारतीय संस्कृति में कई पेड़.पौधों का महत्व माना जाता है। जिन्हें पूजा भी जाता है। इनमें मुख्यतः केलाए तुलसीए पीपलए आंवलाए बरगद पेड़.पौधे शामिल है। इनको अलग.अलग पर्वों पर पूजा भी जाता है। परंतु कार्तिक मास में एकादशी के दिन कदंब के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।

कार्तिक मास का व्रत रखने वाली महिलाएं ग्यारस के दिन कदम के पेड़ के नीचे हवन पूजन और परिक्रमा करती हैं। कदंब के पेड़ पर मां लक्ष्‍मी का वास भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कदंब के पेड़ के नीचे बैठकर यज्ञ करने से मां लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और परिवार में खुशियों का आगमन होता है।

वही इस विशाल कदंब के पेड़ का इतिहास योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण के समय भी मिलता हैं। वृंदावन में कदंब के पेड यमुना के किनारे मिलते हैं। भगवान ने बाल्यकाल में माता यशोदा को अपने मुख में पूरे ब्रह्मांड के दर्शन इसी पेड़ के नीचे कराए थे। वही श्रीकृष्ण इसी घने पेड पर ही छुपते थे और बासुरी भी इस पेड़ के नीचे बैठकर बजाते थे। इसलिए इस पेड़ हिन्दू परंपरा में पूजा जाता है कि कहा यह भी जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर कोई भी सत्कर्म करने से फल में 100 गुना मिलता हैं।