शिवपुरी जिला अस्पताल के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, सिविल सर्जन डॉक्टर चौधरी की सर्जरी चर्चा में- Shivpuri News

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शिवपुरी। 
शिवपुरी का जिला अस्पताल प्रतिदिन किसी न किसी कारण मीडिया में अपना स्थान नहीं छोड़ता,अधिकांश मामले स्वास्थ्य विभाग को बदनाम करने वाले ही होते हैं। यह खबर किसी के स्वास्थ्य को लेकर खिलवाड़ की नही है बल्कि जिला अस्पताल के स्वयं के स्वास्थ्य से खिलवाड़ को लेकर आ रही हैं। बताया जा रहा है कि अस्पताल में पदस्थ 2 बाबू का ट्रांसफर हो जाने के बाद प्रबंधन ने कुछ प्रभार बदले हैं। अस्पताल के अंदरूनी कामो की सर्जरी में हाथ की जगह पैर को जोड़ दिया,ओर पैर की जगह हाथ को जोड़ देने जैसे आदेश निकाले गए हैं।

जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में पदस्थ बाबू मनोज अवस्थी व अशोक राठौर का स्थानांतरण ग्वालियर व गुना हो गया है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन ने कुछ प्रभार इधर से उधर किए हैं। इन प्रभावों के क्रम में फार्मासिस्ट अतुल त्रिवेदी मेडीकल छोड़ कोर्ट.कचहरी संभालेंगे। जो अब तक दवाओं का हिसाब रखते थे वह अब न्यायालय में चल रहे कानूनी दांव-पेंच व प्रकरणों का हिसाब रखेंगे।

फार्मासिस्ट भार्गव को लगाया सफाई के काम पर

फार्मासिस्ट अतुल भार्गव दवा वितरण की जिम्मेदारी की जगह अस्पताल के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी के साथ-साथ स्टीवर्ट का प्रभार संभालते हुए सफाई कर्मचारियों से अस्पताल की सफाई करवाएंगे। इसके अलावा क्रय शाखा ;स्टेशनरी की जिम्मेदारी भी उन्हीं के भरोसे होगी।

संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर नई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं

इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने संविदा कम्प्यूटर आपरेटर को नर्सिंग स्थापना की जिम्मेदारी सौंप दी है। अस्पताल में पदस्थ करीब 225 नर्सिंग स्टाफ का काम एक संविदा कम्प्यूटर आपरेटर के भरोसे दिए जाने को भी बेहद साहसी कदम बताया जा रहा है।

क्योंकि यहां एक गलती और एक दस्तावेज इधर.उधर होने से पूरी नौकरी खराब होने तक की नौबत आ सकती है। खास बात यह है कि संविदा कम्प्यूटर आपरेटर पर पहले से भी तमाम जिम्मेदारियां हैं और वह उन सभी के आंकड़ों का लेखा.जोखा रखता है।

सूत्र बताते हैं कि आपरेटर इस जिम्मेदारी को लेने तैयार नहीं था फिर भी उसे यह महत्वपूर्ण चार्ज थमा दिया गया है। अब देखना यह होगा कि उक्त लोग किस हद तक कोर्ट.कचहरी के कानूनी दांव-पेचों के साथ-साथ अस्पताल के मेंटेनेंस और स्थापना को संभाल पाते हैं।

आधा दर्जन अनुभवी बाबू मौजूद

खास बात यह है कि जिन लोगों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है वह भी इस जिम्मेदारी को संभालने के लिए तैयार नहीं है, बावजूद इसके उन्हें यह प्रभार सौंपा गया है जबकि जिला अस्पताल में आधा दर्जन अनुभवी बाबू मौजूद हैं। इन प्रभारों को लेकर अस्पताल में चर्चाओं का बाजार गर्म है।