शिवपुरी। सनातन धर्म में सबसे पहले गुप्तचर शब्द का उपयोग किया हैं। राक्षस देवता और यहां तक भगवान राम के राज्य में भी गुप्तचरों की महानता का वर्णन मिलता हैं। गुप्तचरों के लिए अपनी मातृभूमि और राजा के लिए गुप्त सूचनाए एकत्रित कर सटीक जानकारी देते थे, इस जानकारी में लाग लपेट नही होती थी। फिर जासूस नाम का शब्द आया देश एक दूसरे की जासूसी करवाते थे।
गुप्तचरों के नाम धीरे धीरे बदलते हुए, काम भी बदलते गए। सरकार ने इनका नाम इंटेलिजेंटस रखा और पूरा का पूरा एक विभाग बना दिया गया। पुलिस के पास भी अपनी गुप्त एजेंसी की एक इकाई होती हैं। इन एजेंसियों के गुप्तचरों से जनता को कोई परेशानी नहीं होती हैं, लेकिन शिवपुरी में गुप्तचरो की परिभाषा ही बदल रही हैं और लोग इनकी गुप्तचरी वाली प्रक्रिया से परेशान होते दिख रहा है घबराएं नही यह सरकार के गुप्तचर नहीं हैं यह अपने स्वामी के गुप्तचर हैं। उन लोगो को इनसे परेशानी हैं जो अपने स्वामी के सीधे संपर्क में होते हैं,एक जनता को इससे कोई परेशानी हैं, लेकिन, इनका काम कभी कभी जनता के मन को इफैक्ट कर देता हैं जनता फिर स्वामी को लोकतंत्र के महायज्ञ में परेशान कर सकती हैं।
बातो बातो मे बता दे यहां हम कोशिश यह लिखने की कोशिश कर रहे हैं कि राजनीति में गुटबाजी होने के कारण जो पार्टी भक्त है या पार्टी विचारधारा के लोग है अपनी पार्टी का हित चाहते हुए बिना गुटबाजी के कार्य करते हैं उनको इन गुप्तचरों से परेशानी हैं। साथ में गुप्तचरों को भी गुप्तचरों से भी परेशानी हैं।
माननीय की नजर मे आने के मंत्र में लगे रहते है
शिवपुरी जिले मे आपने आप को समाज सेवी घोषित करने वाले नेताजी अपने माननीय की नजरों में अपने नंबर बढ़ाने के लिए प्रयास करते रहते हैं,जिससे इन पर इनके स्वामी की कृपा बनी रहे। इनकी स्वामी भक्ति में इतनी चासनी रहती है कि अगर दूसरा नेता इनके माननीय से मिलने जाए या नजदीकियां बढ़ाने का प्रयास करे तो इस चाशनी में उसका पैर फिसल जाए।
लेकिन इस प्रकार के नेताओ को दूसरे स्वामी भक्त फूटी आँख नहीं सुहाते हैं इसलिए इस प्रकार के नेता दूसरे स्वामी भक्तों की चुगली भी करते हैं। ऐसे चुगलबाजो की आंखें नाक कान सब खुले रहते हैं बस यह देखते रहते है कि दूसरा स्वामी भक्त कुछ गलती से ऐसा कर दे,जिससे स्वामी के दरबार मे इसके नंबर कम हो जाए।
गलती से कोई स्वामी नेता किसी दूसरे गुट के नेता के कार्यक्रम में चला जाए या दूसरे गुट के नेताजी के साथ फोटो सेशन करा कर ले,तो इन चुगलबाजो को मौका मिल जाता है और यह फोटो वीडियो पूरी स्क्रिप्ट के साथ माननीय को सेंड कर देते हैं,जिससे फोटो सेशन करा रहे नेताजी के माननीय के दरबार में नंबर कम हो जाए।
शहर की गुप्त जानकारी भी एकत्रित करना स्वामी भक्ति में आती है
शहर और शहर के लोगों की जानकारी एकत्रित करना भी इन स्वामी भक्तों का एक काम है, लेकिन इसमें यह अपने लालच का पुट लगाकर अवश्य भेजते हैं। इससे इनका स्वार्थ सिद्ध हो जाए। शहर के कुछ नागरिक यह भी समझ चुके है कि इन श्रीमान चुगलखोर के बिना काम नहीं होगा वह भी किसी न किसी चुगलबाज के साथ किसी काम के लिए जाते हैं जिससे उनका काम पूरा हो सके।
शहर विकास और जनसमस्याओं से सरोकार नहीं है इनका
ऐसे कई समाज सेवा करने वालों के गले में पार्टी के पद भी हैं लेकिन इन्है शहर के विकास और जनसमस्याओं से कोई सरोकार नही हैं इनको मतलब है सिर्फ दरबार की गतिधियो से,वहां किस के नंबर घट रहे या बढ रहे हैं। गलती से इनके नंबर तो नही कट रहे है इस पर पैनी नजर रहती हैं।
इसके अतिरिक्त पार्टी का कोई पद है तो उसके मीटिंग में जाने की रस्म अदायगी करना का काम है शाम को चौराहे पर किसी स्वामी भक्त के नंबरों का कम करने का गेम प्लान करना इनका पहला पसंदीदा शौक हैं।
स्वामी भक्ति में स्वार्थ:केवल ग्रांड वेलकम और मुंह दिखाई
ऐसे चालबाज नेताओं की स्वामी भक्ति में स्वार्थ छुपा हैं। इनके माननीय जब शहर में प्रवेश करते हैं तो ग्रांड वेलकम करना,कैसे माननीय को मुंह दिखाना और अपने स्वामी भक्ति का प्रदर्शन करना उन्हें 100 प्रतिशत आता हैं। माननीय के साथ फोटो खीच जाए तो मान लो स्वामी भक्ति सफल हो गई,फिर सोशल पर साथ वाला फोटो वायरल तत्काल वायरल कर देते है जिससे दूसरे जल उठे कुल मिलाकर अपने आप को सबसे खास होने का प्रदर्शन करना यह इनका सर्वश्रेष्ठ गुण हैं।