शिवपुरी। यह खबर कहती है कि ऐसे जनसुनवाई कार्यक्रम को सरकार को बंद कर देना चाहिए,जिससे एक परेशान आदमी को और अधिक परेशान न होना पडे। यह खबर यह भी कहती है कि एक नेत्रहीन को भाजपा का सुशासन न्याय नहीं दिला सकता हैं तो भाजपा को अपने नारे बैनर और पोस्टरों से सुशासन जैसा शब्द भी हटा देना चाहिए। क्या मप्र सरकार का जनसुनवाई कार्यक्रम एक औपचारिकता हैं। कही सवाल इस नेत्रहिन की पीडा बाया करती है। इसकी समस्या का निराकरण कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं।
पर इस नेत्रहीन का आवेदन देख कर सुनने वाले अधिकारी अपने नेत्र बंद कर लेते हैं। इस खबर को भाजपा के नेता भाजपा के लिए सोशल पर फ्री में बहस करने वाले भी ध्यान से पढ़ें,यह खबर भाजपा के शासन सुशासन का चेहरा भी सामने लाता हैं। जब भी भाजपा सरकार या उसके अधिकारी का गुणगान करे तो खबर का स्मरण आवश्यक कर लेना।
आज मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई कार्यक्रम में नोहरी में निवास करने वाला जन्म से अंधा हैं 70 वर्षीय दोजा जाटव ने आज फिर कलेक्टर शिवपुरी को अपना आवेदन सौंपा,इस आवेदन के अनुसार दोजा जाटव अपनी 90 वर्षीय वृद्ध एवं विकलांग मां के साथ रहता हैं। प्रार्थी को प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवासीय कुटीर स्वीकृत हुई थी जिसका निर्माण का ठेका प्रार्थी ने पड़ोस में रहने वाले कारीगर दिनेश जाटव पुत्र श्री ठकुरी जाटव 22000 रुपये में दिया और संपूर्ण धनराशि 22000 रुपये दिनेश जाटव को एक मुश्त अदा कर दी, किंतु दो माह की अवधि व्यतीत होने के बाद भी दिनेश जाटव ने कुटीर का निर्माण नहीं किया मात्र दासा डालकर ही निर्माण कार्य को रोक दिया है। वह अपनी कुटीर के निर्माण की बात कहता जो दिनेश जाटव उसका काम नही करता हैं और झगड़ा करने पर आमादा हो जाता हैं।
गढडे पर भी करना चाहता हैं कब्जा
इतना ही नहीं दिनेश जाटव ने अपने सेप्टिक टैंक का गड्ढा भी दोजा जाटव के घर के आगे बना दिया है जिससे इस जंमाध के घर का रास्ता अवरुद्ध हो गया हैं,इस संबंध में प्रार्थी ने तीन आवेदन 20 अगस्त,30 अगस्त,6 सितंबर,27 सितंबर और आज जनसुनवाई में इस मामले को लेकर आवेदन सौंपा हैं। लेकिन निराकरण नहीं हुआ हैं।
27 सितंबर को आवेदन श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय को सौंपा गया उसके निराकरण के लिए अमृतलाल दरोगा मौके पर पहुंचे और मामले की जांच उपरांत बोले की उसका सेप्टिंग टैंक पुराना है। इसलिए उस बंद नहीं कराया जा सकता।मेरे घर के पीछे एक और गढडा हैं। जो पानी के लिए उपयोग किया जाता है अब आगे के गड्ढे को उसे सौंपना मेरे साथ अन्याय हैं।
29 सितंबर को मेरे घर में चोरी लेकिन कार्रवाई अभी तक नहीं
29 सितंबर को सायंकाल लगभग 04 बजे प्रार्थी ने अपने घर में रखे हुए स्टील के डिब्बे 17000 रुपये रखे थे वह चोरी हो गए। जब मेरी एक और किस्त कुटीर की आई थी जब मैंने उस डिब्बे को घर में देखा वह नहीं मिला। मैने अन्य व्यक्ति को भी घर में बुलाकर उस डिब्बे की तलाश की लेकिन वह नहीं मिला,इस घटना की जानकारी मैने कोतवाली पुलिस को भी दी हैं लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई हैं।