शिवपुरी। जीवन में मनुष्य ना-ना प्रकार के भोगों का भोग करता है लेकिन उसे सही मार्ग तभी मिलता है जब उसे इस बात का आभास हो जाए कि वह जो कर रहा है उसके परिणाम क्या होंगे, जीवन का यही सद्मार्ग दिखाया है सम्यक ज्ञान दृष्टि ने जिसके माध्यम से व्यक्ति कैवल्य ज्ञान को प्राप्त कर अपने जीवन में होने वाले कार्यों को करता है और कार्यानुसार ही उसका जीवन में मिलने वाले ज्ञान के माध्यम से चलता है इसलिए हमेशा सद्मार्ग के लिए सम्यक ज्ञान का मार्ग अवश्य चुने और अन्य लोगों को भी प्रेरित करने का कार्य करें, निश्चित ही प्रत्येक मनुष्य के जीवन में सम्यक ज्ञान से बदलाव आएगा।
सम्यक ज्ञान का मार्ग बताया प्रसिद्ध मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज ने जो स्थानीय गुरुद्वारा स्थित श्रीछत्री दिगम्बर जैन मंदिर पर चार्तुमास के दौरान आयोजित धर्मसभा के माध्यम से अपने आर्शीवचन देकर सम्यक ज्ञान का मार्ग श्रद्धालुओं के लिए प्रशस्त कर रहे थे। इसके साथ ही मुनिश्री दर्षित सागर जी महाराज के द्वारा भी बच्चों के लिए ज्ञान की पाठशाला का संचालन किया जा रहा है जिसमें बच्चों को उनके बौद्धिक विकास के साथ-साथ सांसारिक ज्ञान का आभास हो इसे लेकर भी मुनिश्री द्वारा बच्चों को विभिन्न कथा-कहानियों के माध्यम से जीवन जीने के बारे में बताया जा रहा है।
यहां प्रतिदिन श्रीछत्री दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में दस दिवसीय विधान के साथ-साथ दस दिवसीय दशलक्षण महापर्व के बाद प्रतिदिन मुनिश्री की पावन निश्रा में श्रद्धालुओं आर्शीवचन ग्रहण कर रहे है। कार्यक्रम में यहां छत्री ट्रस्ट मंदिर से जुड़े पदाधिकारी व अन्य लोग भी मौजूद रहे जिनकी कई जिज्ञासाओं का समाधान इस धर्मसभा के माध्यम से मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज के द्वारा किया गया।
बता दें कि बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मुनि श्री सुप्रभ सागर जी महाराज व मुनि श्री दर्षित सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में दिगम्बर जैन समाज के द्वारा दस दिवसीय विधान एवं दस दिवसीय पर्युषण महापर्व मनाया गया जिसमें समापन अवसर पर समस्त समाज जनों के द्वारा क्षमा याचना के साथ कार्यक्रम संपन्न किए गए। इसके साथ ही मुनिश्री के द्वारा श्रद्धालुओं के जीवन कल्याण हेतु प्रतिदिन आर्शीवचन की श्रृंखला नियमित रूप से जारी है।