शिवपुरी। श्री मंशापूर्ण मंदिर पर चल रही राम कथा में सप्तम दिवस की कथा का वाचन करते हुए महाराज ने कहा कि आज भी यदि प्रत्येक सास अपनी बहू को बेटी मानने लगे और बहू अपनी सास को मां मानने लगे तो आज भी रामराज्य जैसा सुख संभव है
महाराज ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि चारों पुत्रों का विवाह होने के बाद राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिया। यह समाचार सुनकर नगर में खुशियां मनाई जाने लगीं। इसी बीच महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को 14 वर्ष के वनवास का वर मांग लिया। पिता की आज्ञा पाकर भगवान राम ने जब भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान किया तो पूरी अयोध्या नगरी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी, जिन्हें राम ने वापस किया।
जब भगवान राम गंगा नदी पार करने के लिए तट पर पहुंचे तो यह खबर सुनते ही केवट खुशी से फूले नहीं समाए। उन्हें नदी के पार उतारा। जब भगवान राम उतराई के तौर पर केवट को मां सीता की अंगूठी देने लगे तो केवट ने कहा कि हे भगवान जिस तरह मैंने आपको नाव से गंगा के इस पार उतारा है, उसी प्रकार आप मेरी भी नैया को भवसागर से उस पार लगा देना।
श्री राम कथा में समस्त क्षेत्रवासियों का विशेष योगदान रहा। इस मौके पर जिला न्यायाधीश अर्चना सिंह गायत्री शर्मा (नगर पालिका अध्यक्ष )अमरदीप शर्मा (पार्षद) पं.अरुण शर्मा, अजय शर्मा ,हरिचरण पाल ,पं.लक्ष्मीकांत शर्मा, राजेश कृष्ण दुबे, रामप्रसाद रजक,राम दिनेश रावत,प्रांजल शर्मा ,सीताराम पाल ,श्रीनिवास यादव ,भूपेंद्र पाल सहित हजारों लोग मौजूद रहे।