शिवपुरी। जेल का शब्द सुनते ही आपके मन में एक किसी मूवी का खूंखार जेलर का किरदार नजर जायेगा,सामान्यतः आपको लगता है कि जेल में सबसे बडा पद जेलर का होता है,लेकिन यह सत्य नहीं जेल में सबसे बडा पद जेल अधीक्षक का होता हैं। शिवपुरी सर्किल जेल के अधीक्षक का नाम मनोज कुमार साहू,अगर नियमों की बात करे तो कोई भी जेल अधीक्षक अपना हेडक्वार्टर अपने वरिष्ठों की बिना अनुमति के नही छोड सकता,लेकिन भाजपा के इस राम राज्य में सब चलता है,शिवपुरी सर्किल जेल के अधीक्षक किसी भी स्थिति में अपना ग्वालियर में स्थित सरकारी आवास छोड़ने के लिए तैयार नही है।
पहले समझते है क्या होते है जेल अधीक्षक के कार्य
जेल अधीक्षक के कार्य की बात की जाए जो जेल परिसर कें अंदर होने वाली सभी गतिविधियों की निगरानी,जेल परिसर के विभिन्न भागों की जांच, स्वच्छता बनाए रखने,बंदियों को दिए जाने वाले भोजन की जांच, कैदियों में अनुशासन बनाए रखने,कैदियों के भागने की घटना को रोकने कुल मिलाकर जेल का पूरा एडमिनिस्ट्रेशन का कार्य होता है।
विवादित रहा था जेल अधीक्षक मनोज साहू का दिग्गी कांड
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ग्वालियर के सेंट्रल जेल में संब इंस्पेक्टर की हत्या के प्रयास के मामले बंद एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष शिवराज यादव से वीआईपी मुलाकात जेल अधीक्षक के कक्ष में हुई। इसके बाद का वीडियो 11.04.2022 को वायरल हो गया था। इसे जेल मेन्युअल का उल्लंघन मानते हुए जेल अधीक्षक मनोज साहू को निलंबित किया गया था। क्योंकि यह मुलाकात जेल नियमों के विपरीत थी इस मुलाकात में जेल अधीक्षक खुद मौजूद थे।
20.05.2022 को जेल अधीक्षक को शिवपुरी सर्किल जेल पदस्थ किया गया पदस्थापना के बाद जेल अधीक्षक बहुत कम जेल का दौरा किया है। मनोज कुमार जेल मुख्यालय पर न रहकर अपने सरकारी आवास ग्वालियर पर निवास करते है।
हेडक्वार्टर पर नहीं रहने से क्या होता है
जेल अधीक्षक के अपने हेडक्वार्टर पर नहीं रहने के कारण शिवपुरी जेल में बंदी की सांसो पर भी शुल्क जेलर दिलीप सिंह ने लगा रखा हैं,जेल में लक्ष्मी की दम पर रहने वाले कैदियों को होटल जैसी सुविधाएं प्राप्त है। जेल में अवैध रूप से केंटीन का संचालन किया जा रहा हैं,जिसमें 500 रूपए का बीडी का बिडंल बिकता हैं। वही बच्चा वार्ड का वीआईपी जेल में कन्वर्ट कर दिया गया,सबसे मुख्य बात है कि जेल का स्टाफ भी जेलर से परेशान है,वह अपनी व्यथा और शिकायत किसको सुनाए।
जेल में मिलाई के नाम पर हजारों रुपए वसूले जा रहे है, कोई सुनने वाला नहीं है, अगर जेल अधीक्षक अपने हेडक्वार्टर पर रहते तो कुछ व्यवस्थाओ में सुधार हो सकता हैं। शासन भी अब जेल को जेल नहीं मानता है जेल को नया शब्द दिया गया है सुधार ग्रह,लेकिन पहले जेल तो सुधरे फिर उसमें बंद बंदी। जेल अधीक्षक मनोज साहू की शिवपुरी में पदस्थापना को 3 माह हो चुके है अगर जेल के मेन गेट रजिस्टर को चैक किया जाए तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।