शेखर यादव शिवपुरी। खबर सर्किल जेल में शिवपुरी में हुए मोबाइल काण्ड को लेकर है,इस मामले में जेल प्रशासन शिवपुरी ने मोबाइल मिलने पर लेकर किसी पर भी अनुशात्मक कार्रवाई नहीं की हैं, वही मोबाइल जेल के अंदर कैसे पहुंचा इसकी जांच कर दोषी अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई की है।
यह सवाल बार बार उठ रहे है कि जेल के अंदर मोबाइल कैसे पहुंचा और किसने पहुंचाया,जेल के अंदर जो मोबाइल मिला है उसकी सीडीआर क्यो नही निकली जाती तो सब सवालो के जबाव क्लीयर हो जाते लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जेल प्रशासन के सारे नियम को शिवपुरी जेल में कैद करके रख दिया हैं।
जैसा कि विदित है कि सर्किल जेल शिवपुरी का बहुचर्चित सिद्धि विनायक हॉस्पिटल भूण हत्या काण्ड की मुख्य आरोपी साक्षी सक्सेना मोबाइल काण्ड शहर में चर्चा का विषय रहा था। खबर थी कि जेल में साक्षी सक्सेना के पास मोबाइल मिला है।
इस जेल प्रबंधन की नाकामी या सोच समझ कर किया गया कार्य था। यह तो जांच का विषय है। और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्यवाही भी होनी चाहिए थी। दोषियों पर कार्यवाही न करते हुए साक्षी सक्सेना को यहां से ग्वालियर भेज दिया गया। अगर साक्षी सक्सेना यहा होती तो शायद जेल में बंद कैदियों को मिल रही फाइव स्टार सुविधाओं का राज फास कर देती।
यह मोबाइल 6 मई 2022 को साक्षी के पास से मुख्य जेल प्रहरी भागीराज शाक्य ने यह मोबाइल जब्त किया था,बताया जा रहा है कि जेल में भ्रूण हत्या के आरोप मे बंद एक डॉक्टर पूनम खान और साक्षी के बीच मोबाइल से बात करने को लेकर विवाद हो गया और इसी विवाद के कारण ही यह मोबाइल पकडा गया था। जब तक मीडिया को इस मोबाइल कांड की जानकारी लगी तब तक इस मोबाइल में प्रयोग की जानी वाली सिम 9458XXX280 को नष्ट कर दिया ।
सवाल खडे है जेल विभाग के सामने
यह तो तय था कि जेल मे मोबाइल मिला है। इस मामले में जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू से बात की तो उन्होने कहा कि मैने शिवपुरी सर्किल जेल का पदभार 28 मई को लिया है। मोबाइल मिलने की घटना उससे पहले की है,इस मामले में जहां तक मेरी जानकारी है उक्त मोबाइल किसी व्यक्ति के पास नहीं मिला बल्कि गटर के पास मिला था। इसमें जेलर शिवपुरी ने ही जांच की थी।
यह जवाब भी बड़े सवाल खडे करते है कि जब मोबाइल मिला है तो उसमें सिम भी मिली होगी,उस मोबाइल की सिम के नंबर की सीडीआर क्यो नही निकलवाई गई। इस मामले में कम से कम दो लोगों पर कार्रवाई होनी थी सबसे पहले इस मोबाइल का प्रयोग कौन कर रहा था उस पर,दूसरा यह मोबाइल जेल का जेल प्रवेश कैसे हो गया। कैसे यह बंदी के सेल में सेलफोन घुस गया।
बताया जा रहा है यह एनडाइड फोन था इसका नंबर यह था और इस फोन से लगातार फोन कॉलिंग,चैट और वीडियो कॉलिंग भी की जाती थी इस मोबाइल की मेमोरी में कुछ ऐसा आपत्तिजनक था अगर वह खुल जाता तो जेल के छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर बड़े कर्मचारी तक नप जाते। जब मोबाइल मिला,जेल में सार्वजनिक मेटर बना उस मोबाइल का चेक किया गया तो उसमे अपत्तिजनक फोटो भी मिले थे,यह फोटो सार्वजनिक ना हो इसलिए ही साक्षी को ग्वालियर जेल में शिफ्ट किया गया हैं।
इस मामले में अपने राम का कहना है कि जेल के इस भ्रष्ट तंत्र के सरदार की अनुमति से यह मोबाइल जेल की सेल तक पहुंचा था। इस मामले में जेलर शिवपुरी के खिलाफ जांच होनी थी लेकिन भाजपा के राम राज्य में कुछ भी होकता है सारे नियमो को जेल में कैद करते हुए जेलर की जांच जेलर ने स्वयं कर ली। अब स्वय ही समझ लो कोई अपनी काफी चेक करके अपने आप को फेल नहीं करेगा,इसी प्रकार जेलर ने अपनी जांच स्वयं कर ली।
इस मामले में जेलर से वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई जाए। मोबाइल में मिली सिम की सीडीआर निकाली जाए संज्ञान में आ जाएगा,कि इस मोबाइल से रात रात भी किस से बात होती थी। जेल के अंदर मोबाइल 140 दिन लगभग 3340 घंटे तक इस्तेमाल किया गया था। तो जाहिर सी बात है। उस मोबाइल में कुछ ऐसा रिकॉर्ड होगा जिसके द्वारा उस मोबाइल कांड में लिप्त लोगों का नपना तय था। बहरहाल इस मामले को तो जेलर साहब ने अपने स्तर से जांच करके सुलटा दिया।
अब सवाल यह खडा हो रहा है। जेल प्रशासन ने जांच कहां तक की ओर जिनके द्वारा मोबाइल भेजा गया था। उसके ऊपर कार्रवाई होनी थी । परन्तु आज दिनांक तक न का कोई जांच हो पाई हैं। न ही मोबाइल पहुंचाने वाले पर कोई कार्यवाही है। जेल प्रशासन की ये डील हावली कहां तक रहेगी यह सोचने का विषय है।