शिवपुरी। शिक्षक का पद ही शिक्षा को समर्पित है और सरकार हर माह पगार भी पढ़ाने की ही देती है लेकिन जिले में एक दो नहीं बल्कि दर्जनों शिक्षक ऐसे हैं जिन्हें स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए चौकए डस्टर थामना रास नहीं आता और वह महीनों से स्कूल छोड़कर कार्यालयों में बाबूगिरी कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर कार्यालयों में डटे हैं और स्कूल जाने से परहेज किए हुए हैं।
विभागीय अधिकारियों के निरीक्षण में भी समय.समय पर ऐसे शिक्षक सामने आते रहे हैं लेकिन प्रभावी कार्रवाई न होने और राजस्व विभाग के अधिकारियों की शह हमेशा से कार्रवाई में रोड़ा बन जाती है। शिवपुरी जिले की ही बात करें तो जिला मुख्यालय से लेकर पोहरी, करैरा, पिछोर, बदरवास, कोलारस सहित अन्य जगह तहसील कार्यालयए एसडीएम कार्यालय से लेकर जनपद कार्यालयों में शिक्षक बाबूगिरी कर रहे हैंए जबकि इनकी पगार मूल पदस्थी वाले स्कूल से ही निकाली जा रही है।
पोहरी में 20 साल से आसंजन का अनुराग
निर्वाचन ड्यूटी हफ्ते महीने की तो समझ आती है लेकिन जिले के पोहरी विकासखंड में पदस्थ शिक्षक अनुराग द्विवेदी एक दो नहीं बल्कि पिछले 20 साल से कभी तहसील तो कभी एसडीएम कार्यालय में निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर आसंजित बने हुए हैं।
हाल ही में शिक्षा विभाग के योजना अधिकारी रोहणी अवस्थी भी उस समय हैरान रह गए थे, जब वह शिवपुरी.पोहरी स्टेट हाईवे पर स्थित परिच्छा माध्यमिक स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे तो यहां पदस्थ माध्यमिक शिक्षक अनुराग द्विवेदी नवंबर 2019 से निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर स्कूल से नदारद मिले।
हालांकि अधिकारी इस मामले में अब संबंधित पर अनुशासनात्मक कार्रवाई सहित वेतन काटने की बात कह रहे हैं। बताया जाता है कि अनुराग द्विवेदी पूर्व में पोहरी के ही नरैयाखेडी स्कूल में पदस्थ थे और तब भी वह स्कूल में पढ़ाने की बजाय कार्यालय में ही अटैच रहकर बाबूगिरी कर रहे थे।
तत्कालीन डीपीसी शिरोमणि दुबे ने तत्समय निरीक्षण में उजागर किया था कि शिक्षक वर्ष 2003 में नियुक्ति के बाद से ही अधिकांश समय निर्वाचन ड्यूटी में ही पोहरी अटैच बना रहा। इस मामले में उन्हें निलंबित किया गया था और बाद में अगस्त 2019 में परीक्षा स्कूल में बहाल कर दिया गया लेकिन यहां भी महज तीन.चार महीने ड्यूटी करने के बाद वह निर्वाचन के नाम पर नदारद रहे हैं।
यही हाल शिवपुरी से लेकर बदरवास तक
शिवपुरी के खौरघार में पदस्थ प्राथमिक शिक्षक संजय दुबे पिछले कई वर्षों से राजस्व विभाग के कार्यालय में निर्वाचन कार्य के नाम पर अटैच बने हुए हैंए जबकि शिवपुरी में ही निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर शिक्षक विकास पाठक सहित कुछ अन्य शिक्षक आसंजित हैं।
.बदरवास में भी आधा दर्जन से अधिक शिक्षक नए सत्र में स्कूल की बजाय तहसील में बाबूगिरी कर रहे हैं, जिनमें विष्णु गुप्ता मावि बारई, श्रीकृष्ण सुमन उमावि बदरवास, बृजेश सुमन प्रावि हथनापुर, सीताराम ओझा मावि बामौर सहित कुछ अन्य शिक्षक शामिल हैं।
जो लौटे उन्हें फिर अटैच की तैयारी
इधर जिले के कुछ अन्य विकास खंडों में पिछले कई महीनों से निर्वाचन कार्य में अटैच शिक्षकों को हाल ही में स्कूल लौटाया गया थाए लेकिन उन्हें एक बार फिर निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर पुनः आसंजित करने की तैयारी हो गई है। बताया जाता है कि 25 अगस्त से वोटर कार्ड को आधार से लिंक किया जाना है।
इसके लिए एक बार फिर शिक्षकों को अटैच करने का ताना बाना बुन लिया गया है। हैरानी इस बात की है कि पहले ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूलों में आसंजन के आदी इन शिक्षकों के कारण गरीब ग्रामीण बच्चों की शिक्षा भगवान भरोसे हो गई है।
इनका कहना है
यह बात सही है कि निर्वाचन कार्य में सहयोग के लिए शिखकों को अटैच किया गया था लेकिन हमने चुनाव पूर्ण होने के बाद उन्हें हाल ही में कार्यमुक्त कर दिया है। वह अब अपनी संस्थाओं पर लौटा दिए गए हैं।
प्रदीप भार्गव तहसीलदार बदरवास।
पिछले दिनों परिच्छा स्कूल के निरीक्षण में शिक्षक अनुराग द्विवेदी नवंबर 2019 से निर्वाचन ड्यूटी के नाम पर स्कूल से गैरहाजिर मिले थे। इस मामले में कार्रवाई का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दिया है। जल्द ही वेतन काटने सहित नियमानुसार कार्रवाई होगी साथ ही इसी तरह अन्य स्कूलों से भी जानकारी मांग रहे हैं। लंबे समय से अटैच शिक्षकों को तत्काल उनकी मूल संस्थाओं पर भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
रोहिणी अवस्थी
योजना अधिकारी, डीईओ कार्यालय।