शेखर यादव@शिवपुरी। शिव की पुरी शिवपुरी जिले में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं आप दर्शन करने गए होंगे ]कुछ ऐसे शिवालय हैं आप दर्शन भी करने नहीं गए होंगे लेकिन आपने उनके विषय में सुना अवश्य होगा। जिले की धरा पर शिवालय अधिक हैं शायद ही इस कारण ही इस जिले का नाम शिवपुरी रखा गया होेगा।
आज विषय यह नहीं है कि शिवपुरी का नाम शिवपुरी क्यों रखा गया,बल्कि विषय हैं कि शहर के बीचो बीच बने 2 शिवालय का। जो भाई बहन की आपसी तकरार में प्रतिस्पर्धा में अस्तित्व में आए हैं। आज राखी का त्यौहार है भाई बहन के प्यार और तकरार का दिन है। इस कारण शिवपुरी में इन शिवालय का जिक्र करना आवश्यक हैं।
कमालगंज से ग्वालियर बाईपास की जाते समय कलार बाग पडता हैं, इस स्थान पर तिराहा है और यहां से छिब्बर स्कूल की रोड निकली हैं इस स्थान को कलार बाग कहते हैंं प्रत्येक बार की तरह जहां पंडाल लगता हैं ठीक उसके पीछे एक प्राचीन कुआं हैं उसके पीछे एक शिवालय हैं उसका नाम हैं कलार बाग का शिवमंदिर।
वहां स्थानीय निवासियों से बातचीत करते हुए एक अद्भुत जानकारी मिली कि कलार बाग का शिवालय भाई बहन के झगडे के कारण अस्तित्व में आया हैं। स्थानीय निवासियों ने बताया कि यह शिवालय का निर्माण लगभग 600 साल से पूर्व किया गया था। यहां शिवालय अपनी ही एक आकर्षक शैली मे बना हैं। इस शिवालय की सबसे खास बात यह है कि यह शिवलिंग एक सिंहासन पर स्थापित है ऐसा बहुत ही कम शिवालयों में देखा जाता है।
जमीन से लगभग 18 इंच उंचे बने सिंहासन पर पूरा शिव परिवार स्थापित हैं इसके अतिरिक्त जो शिवलिंग हैं उस पर नक्काशी की गई हैं और शिव परिवार के अतिरिक्त कई देवताओं की मूर्ति स्थापित हैं जैसे हनुमान जी,भैरो बाबा,नारद जी की प्रतिमाएं हैं। इन सभी प्रतिमाओं में इससे अधिक शिवलिंग अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
मंदिर के छत पर आकर्षक शिखर है और छत की चारो दिशाओ में 4 मूर्ति और स्थापित हैं इन मूर्ति की मुद्राएं कोई भांग घोट रहा हैं कोई ढोल बाजे बजा रहा है शायद यह शिवगण हैं।
अदुभत कहानी भाई बहन का झगडे के कारण बने यह मंदिर
स्थानीय लोग जो कलार बाग के निवासी हैं। कलार बाग शिवहरे समाज के एक परिवार का पुश्तैनी क्षेत्र हैं,यहां कभी बहुत बडा बगीचा हुआ करता था,इसलिए इस जगह का नाम कलारबाग पडा हैं। और यह मंदिर भी जब बना जब क्षेत्र में एक शिवहरे परिवार रहता था। इसी परिवार में रहने वाले एक भाई ने शिव मंदिर का निर्माण कराया।
भाई के द्वारा निर्माण कराया यह मंदिर कलार बाग के सामने शिव मंदिर वाली लाइन में हैं। मंदिर में शिवालय में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले अनुष्ठान में भाई ने अपने समाज बंधुओं,भाई बंधुओं और रितेश्तदारो सहित अपनी बहन को भी बुलाया,मंदिर पर बने शिखर को लेकर भाई बहन में झगडा हो गया।
झगड़ा क्यों और किस कारण हुआ इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नही हैं लेकिन माना जाता हैं इस मंदिर का शिखर मंदिर की बनावट का नहीं हैं गुंबद की बनावट हैं,शायद इस निर्माण गलती के कारण बहन रूठ कर चली आई और आते-आते बोली कि इससे भी बडा और आकृषक देवालय का निर्माण होगा।
बताया गया कि बहन ने फिर कलार बाग में स्थित एक आकर्षक देवालय का निर्माण कराया,इस शिवालय का शिखर बहुत आकर्षक और ऊंचा है,और चोकोर है। इसी शिवालय में ही प्रतिवर्ष कलार बाग के राजा के नाम से गणेश पंडाल सजता हैं। यह अनदेखा शिवालय शहर के बहुत ही कम लोगों ने देखा होगा,क्योंकि यह एक समाज का निजी देवालय हैं,इस देवालय की अब देखरेख इस परिवार के सदस्यों सहित कलार बाग में प्लॉट खरीद कर मकान बनाने वाले अन्य समाज के लोग भी करते हैं।
प्रतिदिन दर्शन करने और धार्मिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं। कुल मिलाकर अब यह कॉलोनी का मंदिर हैं। जब भी आपको समय मिले तो आप भी इस देवालय के दर्शन के लिए अवश्य जाए।