भानु प्रताप यादव@ शिवपुरी। कूनो में चीतो की चाल का गजब संयोग बन रहा है,छत्तीसगढ़ के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने वर्ष 1947 में तीन चीतों का शिकार किया था। सरकार ने वर्ष 1952 में इसे विलुप्त घोषित कर दिया। अब देश आजादी का 75वां जश्न को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है,ऐसे में भारत की धरा पर कूनो में चीते इस माह में कभी भी आ सकते है। भारत में बचे अंतिम चीतों का शिकार में सन 47 में हुआ था,अब 75 साल बाद कुनो में चीते की चाल देखी जा सकती है,यह भी एक गजब संयोग है।
अफ्रीकी देश नामीबिया से श्योपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 13 अगस्त तक चीते लाए जाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। हालांकि मंत्रालय ने अभी आधिकारिक रूप से तारीख का ऐलान नहीं किया है।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ;डब्ल्युआइआइद्ध देहरादून के वैज्ञानिक डॉ.वायव्ही झाला को नामीबिया भेजा गया है। ये वहां चीते लाने के रूट चार्ट और वैज्ञानिकों.डॉक्टरों से चर्चा करेंगे।
अफ्रीकी देश नामीबिया से श्योपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 13 अगस्त तक चीते लाए जाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। हालांकि मंत्रालय ने अभी आधिकारिक रूप से तारीख का ऐलान नहीं किया है।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ;डब्ल्युआइआइद्ध देहरादून के वैज्ञानिक डॉ.वायव्ही झाला को नामीबिया भेजा गया है। ये वहां चीते लाने के रूट चार्ट और वैज्ञानिकों.डॉक्टरों से चर्चा करेंगे।
WII की टीम के साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भी रहेगी। डॉ झाला नामीबिया में तय करेंगे कि कौन से चीतों को कूनो पालपुर में लाना उपयुक्त होगा। वे देखेंगे कि चीते कम उम्र और स्वस्थ हों। सूत्रों के अनुसार, चीतों को 12 अगस्त को अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के ओआर टैम्बो हवाई अड्डे से रवाना किया जाएगा।
इधर यह है तैयारी
तैयारियों का जायजा लेने के लिए वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शिवपुरी और श्योपुर में डटे हुए हैं। वाइल्ड लाइफ के चीफ वार्डन जसवीर चौहान भी दो दिन पहले निरीक्षण के लिए आ गए। कूनो प्रोजेक्ट को लीड कर रहे CCF सीएस निनामा के साथ उन्होंने तैयारियों का जायजा लिया। हालांकि स्थानीय स्तर पर अधिकारी अधिकृत रूप से कुछ भी बताने से बच रहे हैं।
केंद्र से नहीं मिले निर्देश
चीतों को कूनो तक लाए जाने का रूट अभी तय नहीं किया गया है। दक्षिण अफ्रीका से इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली लाया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से यह किस तरह कूनो पहुंचेंगे यह भी बताया नहीं गया है। संभवत उन्हें दिल्ली से विशेष विमान से ग्वालियर लाया जा सकता है। इसके बाद ग्वालियर से सड़क मार्ग से यह कूनो लाए जाएंगे। इसके लिए विशेष वाहन का उपयोग किया जाएगा। यहां पर 30 दिनों तक उन्हें क्वारंटाइन रखा जाएगा और इसके बाद बनाए गए बाड़े में छोड़ा जाएगा।
तेंदुए को ढूंढने में जुटी पूरी टीम
बाड़े में कैमरा ट्रैप में आए पांच तेंदुओं में से एक तेंदुआ अभी तक नहीं मिला है। तेंदुआ चीते के लिए खतरनाक माना जाता है और बाड़ा इसीलिए बनाया गया है कि तेंदुए इसमें न रहें। लेकिन एक तेंदुआ अभी भी इस क्षेत्र में घूम रहा है। यह बाड़ा करीब पांच स्क्वेयर किलोमीटर में फैला हुआ है।
यह 12 किमी लंबा है। इसमें कई हजार वाट का करंट भी सुरक्षा के लिए दौड़ रहा है। पिछले दो महीने से कूनो की टीम इस तेंदुए को ढ़ूंढ रही है। मदद के लिए शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान से भी रेस्क्यू एक्सपर्ट कूनो में भेजे गए हैं।
शिकार के लिए चीतल भेजे
वन अधिकारियों ने चीतों के लिए चीतल भेजे गए हैं। पहली खेप में पेंच टाइगर रिजर्व के बांस नाला बोमा टुरिया बीट से 26 चीतल पहुंच गए हैं। आने वाले दिनों में अन्य पार्कों से चीतल भेजे जाने की तैयारी है।
प्रोजेक्ट को लेकर लापरवाही भी सामने आई है। स्थिति यह है कि पार्क प्रबंधन को रेडियो कॉलर नहीं मिल पाए हैं। क्योंकि रेडियो कॉलर से चीतों के व्यवहार और लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। दूसरा जिस क्षेत्र में चीतों को रखा जाना है, वहां तेंदुओं का मूवमेंट भी बना हुआ है।
इधर यह है तैयारी
तैयारियों का जायजा लेने के लिए वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शिवपुरी और श्योपुर में डटे हुए हैं। वाइल्ड लाइफ के चीफ वार्डन जसवीर चौहान भी दो दिन पहले निरीक्षण के लिए आ गए। कूनो प्रोजेक्ट को लीड कर रहे CCF सीएस निनामा के साथ उन्होंने तैयारियों का जायजा लिया। हालांकि स्थानीय स्तर पर अधिकारी अधिकृत रूप से कुछ भी बताने से बच रहे हैं।
केंद्र से नहीं मिले निर्देश
चीतों को कूनो तक लाए जाने का रूट अभी तय नहीं किया गया है। दक्षिण अफ्रीका से इन्हें हवाई मार्ग से दिल्ली लाया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से यह किस तरह कूनो पहुंचेंगे यह भी बताया नहीं गया है। संभवत उन्हें दिल्ली से विशेष विमान से ग्वालियर लाया जा सकता है। इसके बाद ग्वालियर से सड़क मार्ग से यह कूनो लाए जाएंगे। इसके लिए विशेष वाहन का उपयोग किया जाएगा। यहां पर 30 दिनों तक उन्हें क्वारंटाइन रखा जाएगा और इसके बाद बनाए गए बाड़े में छोड़ा जाएगा।
तेंदुए को ढूंढने में जुटी पूरी टीम
बाड़े में कैमरा ट्रैप में आए पांच तेंदुओं में से एक तेंदुआ अभी तक नहीं मिला है। तेंदुआ चीते के लिए खतरनाक माना जाता है और बाड़ा इसीलिए बनाया गया है कि तेंदुए इसमें न रहें। लेकिन एक तेंदुआ अभी भी इस क्षेत्र में घूम रहा है। यह बाड़ा करीब पांच स्क्वेयर किलोमीटर में फैला हुआ है।
यह 12 किमी लंबा है। इसमें कई हजार वाट का करंट भी सुरक्षा के लिए दौड़ रहा है। पिछले दो महीने से कूनो की टीम इस तेंदुए को ढ़ूंढ रही है। मदद के लिए शिवपुरी के माधव राष्ट्रीय उद्यान से भी रेस्क्यू एक्सपर्ट कूनो में भेजे गए हैं।
शिकार के लिए चीतल भेजे
वन अधिकारियों ने चीतों के लिए चीतल भेजे गए हैं। पहली खेप में पेंच टाइगर रिजर्व के बांस नाला बोमा टुरिया बीट से 26 चीतल पहुंच गए हैं। आने वाले दिनों में अन्य पार्कों से चीतल भेजे जाने की तैयारी है।
प्रोजेक्ट को लेकर लापरवाही भी सामने आई है। स्थिति यह है कि पार्क प्रबंधन को रेडियो कॉलर नहीं मिल पाए हैं। क्योंकि रेडियो कॉलर से चीतों के व्यवहार और लोकेशन का पता लगाया जा सकता है। दूसरा जिस क्षेत्र में चीतों को रखा जाना है, वहां तेंदुओं का मूवमेंट भी बना हुआ है।