भूदान बोर्ड जमीन घोटाले की जांच शुरू, 300 करोड़ की जमीन शहर के करोड़पतियों के नाम, अब नपेंगे- Shivpuri News

Bhopal Samachar
शिवपुरी। शिवपुरी जिले के सबसे चर्चित घोटाला भूदान बोर्ड जमीन घोटाले की जांच शुरू हो चुकी है। शिवपुरी तहसील के ककरवाया गांव में भूदान बोर्ड की लगभग 400 पट्टे की जमीन जो विक्रय से वर्जित थी वह लगभग 3 दशक पूर्व खुर्दबुर्द कर दी गई थी। इस घोटाले को लेकर समय समय पर आवाज भी उठी थी लेकिन दबा दी जाती थी। इसी घोटाले की जांच करने ग्वालियर से एक ईओडब्ल्यू की टीम शिवपुरी आई थी। इस जमीन की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपए आंकी जा रही हैं।

EOW ग्वालियर की टीम ने शिवपुरी के एडीएम कार्यालय से जांच शुरू कर दी। भूदान बोर्ड ने वर्षों पहले करीब 400 हितग्राहियों को पट्टे वितरित किए थे, जो विक्रय से वर्जित थे। इन जमीनों की कई बार खरीद-फरोख्त हो चुकी है और अब इन जमीनों की कीमत भी आसमान छू रही है।

अब इस पूरे घोटाले की जांच शुरू हो गई है। आज आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ग्वालियर ने जांच शुरू की है। इस पूरे घोटाले में कई राजस्व अधिकारियों सहित दर्जनों जमीन कारोबारियों के शामिल होने की आशंका है।

राष्ट्रीय आंदोलन चलाकर ली गई थी जमीन की आहुति
विनोबा भावे द्वारा चलाए गए राष्ट्रीय आंदोलन के तहत भूमिहीन किसानों को जमीन उपलब्ध कराकर उन्हें जीवन बसर करने के लिए जमींदारों और सियासतदारों ने अपनी.अपनी जमीन की आहुति दी थी। जिससे गरीब का परिवार पल सके। इसके लिए मध्यभारत यज्ञ परिषद बनाई गई थी। इस जमीन का लेखा जोखा यज्ञ बोर्ड पर रहता है। विनोदा भावे के इस यज्ञ में बड़े.बड़े जमीदारों ने अपनी जमीन की आहुतियां दी थी। यह जमीन सिर्फ उन गरीब लोगों को पट्टे के रूप में दी जानी थी।

जिनके पास जमीन का एक भी टुकड़ा नही था। इस जमीन पर वह खेती कर अपने परिवार को पाल सकें। जमीन को लेकर कई नियम बनाए गए थेए जिनमें एक नियम मुख्य था कि न ही इस जमीन को खरीदा जा सकता था और न बेचाए इसके साथ ही अगर किसान उस जमीन पर तीन साल तक खेती नहीं करता था तो इस जमीन अन्य किसी जरूरतमंद के हवाले कर दी जाती थी।

ककरवाया जमीन का है यह मामला

ककरवाया में लगभग सैकड़ों बीघा जमीन थी। जो भूदान यज्ञ बोर्ड के अधीन थी इस जमीन के लगभग 486 पट्टे उन गरीबों के नाम कर दिए गए थे। जिनके पास जमीन का एक भी टुकड़ा नहीं था और न ही परिवार के पालन.पोषण के लिए कोई रोजगारए ऐसे किसानों को यह जमीन भूदान यज्ञ बोर्ड के नियमों के आधार पर आंवटित की गई थी।

भूदान की जमीन को खुर्दबुर्द कर धन्ना सेठों के नाम कर दी

जानकारी के अनुसार वर्ष 1988-1989 तक सब कुछ ठीक था। इसके बाद इस जमीन को खुर्दबुर्द का कार्य शुरू हुआ। ककरवाया क्षेत्र में भूदान यज्ञ बोर्ड की जमीन जो न ही विक्रय की जा सकती थी और न किसी के नामए इसके बावजूद पनपते भ्रष्टाचार ने करवाया गांव में भूदान यज्ञ बोर्ड की जमीन को खुर्द बंद कर दिया गया। अब यह जमीन उन लोगों के नाम हैं जिनके पास करोड़ों और अरबों रुपए की संपत्ति है।

इस जमीन को मिली भगत से भूदान की जमीन से जुड़े पट्टो को रद्द कर लोगों ने इसकी रजिस्ट्री अपने नाम करवा रखी है। वर्ष 2008 और साथ में इसकी शिकायत ग्वालियर कमिश्नर कोमल सिंह को दर्ज कराई गई थी उस समय शिवपुरी कलेक्टर रहे मनीष श्रीवास्तव के द्वारा एक टीम गठित की गई थी जिसमें एसडीएम, रजिस्टार सहित कई बड़े अधिकारी थे उनके द्वारा एक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें कई नाम ऐसे शामिल थे जो करोड़ों.अरबों रुपए की संपत्ति के मालिक थे।

जिनके द्वारा भूदान यज्ञ बोर्ड की जमीन को खुर्द.खुर्द कर अपने नाम कर लिया था। तभी से यह जमीन विवादों के घेरे में है। लगातार इस जमीन को लेकर कई एनजीओ सहित कई समाजसेवी आवाज उठा चुके हैं। इसकी कई शिकायतें भी दर्ज कराई जा चुकी है। एक शिकायत शिवपुरी के अधिवक्ता राजीव शर्मा के द्वारा थी कराई गई है।

इस शिकायत के आधार पर आज ग्वालियर की ईओडब्ल्यू की टीम शिवपुरी के एसडीएम कार्यालय पहुंचे जहां उन्होंने संबंधित अधिकारियों से इस भूमि के कागजात पेश करने का नोटिस दिया। बताया गया है कि भूदान यज्ञ की जमीन का यह पूरा मामला लगभग 300 करोड़ रुपए का है। जिसकी पड़ताल अब ईओडब्ल्यू भी कर रही है।