पिछोर का मनपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिछले लंबे समय से डॉक्टर और नर्स की मनमर्जी से चल रहा है। यहां अगर डॉक्टर और नर्स की मर्जी होगी तो ही स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचने वाले मरीज अथवा घायल को उपचार मिल पाएगा। अगर उनकी मर्जी मरीज का उपचार करने की नहीं है तो फिर मरीज को उपचार मिलना मुश्किल ही नहीं असंभव है। रवि-सोमवार की रात मनपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर जब प्रसूता रजनी गुप्ता प्रसव पीड़ा के साथ पहुंची तो वहां सिर्फ चौकीदार ड्यूटी पर मिला।
जिस नर्स की नाइट ड्यूटी थी वह अपने घर पर आराम से सो रही थी। प्रसूता दर्द से तड़पती रही लेकिन चौकीदार के बुलाने के बावजूद नर्स स्वास्थ्य केंद्र नहीं आई। अंततः प्रसूता के स्वजनों ने केंद्र प्रभारी डा रजत जैन को फोन लगाया। इस पर डा रजन जैन का कहना था कि वह तो मनपुरा में हैं, वे नर्स को फोन लगा देते हैं।
डाक्टर के फोन पर नर्स नवीता आ तो गई लेकिन उसने प्रसूता को हाथ तक नहीं लगाया और प्रसूता की सास आशा गुप्ता से कहा कि इसे पिछोर ले जाओ, यहां कोई डाक्टर नहीं है। परेशान होकर दर्द से तड़पती प्रसूता को उसके स्वजन पिछोर स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। विचारणीय पहलू है कि जच्चा-बच्चा मृत्यु दर को रोकने के लिए शासन और प्रशासन लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अगर स्वास्थ्य केंद्रों में इस तरह से मरीज से व्यवहार किया जाएगा तो फिर जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में कमी कैसे आएगी।
बीपी मापने की मशीन में नहीं थी बैटरी
जब प्रसूता को घबराहट बढ़ गई तो प्रसूता की सास ने नर्स को कहा कि वह प्रसूता का बीपी तो चैक कर दे। बहुत कहने पर नर्स बीपी मापने तैयार हुई तो बीपी मापने की मशीन में बैटरी तक नहीं थी। ऐसे में रजनी गुप्ता का मनपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर बीपी तक नहीं मापा जा सका।
गिर कर पहुंचे मरीज को नहीं मिला उपचार 181 पर शिकायत
इसके अलावा एक अन्य मामला 11 जुलाई का है। कस्बे की एक महिला अनामिका गुप्ता व उसका पति संजू गुप्ता घायल अवस्था में रात करीब साढ़े नौ बजे स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए पहुंचे। तत्समय भी अस्पताल में उन्हें न तो कोई डॉक्टर मिला और न ही कोई नर्स। वह करीब एक घंटे तक उपचार के लिए मनपुरा स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकीय स्टाफ का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें उपचार मुहैया नहीं कराया गया। मामले की शिकायत संबंधित ने 181 पर भी दर्ज करवाई है।
ये बोले जिम्मेदार और पीड़ित
मनपुरा अस्पताल में दो डाक्टर पदस्थ हैं, इसलिये रात्रिकालीन ड्यूटी पर डाक्टर उपस्थित रहने चाहिए। इसके अलावा बीपी मशीन सहित अन्य उपकरण सही सलामत और क्रियाशील होना चाहिए। चिकित्सकों सहित स्टाफ को नोटिस दिया जा रहा है।
डा. संजीव वर्मा, बीएमओ पिछोर
मैं मीटिंग में भोपाल गया था, वहां से लौट रहा हूं। मैं सिस्टर को अस्पताल भिजवाता हूं। केंद्र में मैं अकेला ही डॉक्टर हूं इसलिए अगर मैं कहीं जाता हूं तो फिर रात को डाक्टर रहना संभव नहीं है।
डा रजत जैन, मनपुरा केंद्र प्रभारी
मैं अपनी बहू को प्रसव के लिए लेकर गई थी। वहां अस्पताल में न नर्स मिली और न डाक्टर। चौकीदार नर्स को बुलाने गया तो भी वह नहीं आई। डॉक्टर के फोन के बाद आई तो उसने बिना देखे ही कह दिया कि पिछोर ले जाओ।
आशा जैन, प्रसूता की सास
हम गिरने से घायल हो गए थे, अस्पताल पहुंचे तो वहां न तो डाक्टर था और न ही नर्स। लंबे समय तक उनका इंतजार किया लेकिन वह नहीं आए। अंततः अन्यत्र जाकर उपचार करवाना पड़ा। हमने लापरवाही की शिकायत 181 पर दर्ज करवा दी है।
संजू गुप्ता, पीड़िता