शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी के चुनाव में अब लगभग एक हफ्ता ही शेष है। लेकिन कांग्रेस अभी तक हताशा की मुद्रा में है। कांग्रेस संगठन और पदाधिकारी सिर्फ औपचारिक रूप से प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अपने भरोसे लड़ाई लड़ रहे हैं। जिन वार्डों में कांग्रेस प्रत्याशियों का पल्लड़ा भारी है, वे सिर्फ अपनी व्यक्तिगत छवि के कारण संघर्ष में बने हुए हैं। जबकि भाजपा ने चुनाव में पूरी ताकत फूंक दी है।
जिलाध्यक्ष राजू बाथम और पार्टी पदाधिकारी वार्ड प्रत्याशियों के प्रचार में जुटे हुए हैं। प्रदेश सरकार की मंत्री और शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया ने भी कमान संभाल ली है। वह अपने दो दिवसीय दौरे पर शिवपुरी पहुंच गई हैं। हालांकि मतदाता उदासीन बने हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में नगर पालिका प्रशासन ने जिस तरह जन हितों की उपेक्षा की है, उससे जनता अब उदासीन रूख अख्तियार कर रही है। कई वार्डों में तो मतदाताओं ने मतदान बहिष्कार का ऐलान किया है।
इस बार के नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस शुरू से ही हारी हुई लड़ाई लड़ रही है। नामांकन वापिस लेने के अंतिम दिन कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा की। जिससे प्रत्याशियों के विषय में असमंजस बना रहा। कुछ वार्डों में कांग्रेस ने ऐसे प्रत्याशी दिए जिसका फायदा भाजपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। हालांकि कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी लगातार शिवपुरी आकर जायजा लेते रहे।
लेकिन स्थानीय संगठन उनकी गति के साथ अपनी गति को नहीं बढ़ा पाया। प्रत्याशियों की घोषणा में भी कांग्रेस संगठन पर आरोप लगे और कांग्रेस टिकट की दावेदार एक महिला के पति ने टिकट न मिलने पर गुस्से में आकर अपने शरीर पर पेट्रोल भी डाल लिया था। टिकट न मिलने पर एक धाकड़ प्रत्याशी ने भी अपनी खुलकर नाराजी व्यक्त की थी।
कांग्रेस के एक वार्ड प्रभारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें स्थानीय कांग्रेस संगठन का सहयोग नहीं मिल रहा है और कांग्रेस के पदाधिकारी वार्डों में जनसम्पर्क के लिए भी नहीं जा रहे। कांग्रेस को पिछले चुनाव में मिली जीत का भी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। 2014 के नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी मुन्नालाल कुशवाह विजयी हुए थे और उनके कार्यकाल में जिस तरह भ्रष्टाचार और जनहित की उपेक्षा हुई, उससे उपजी नाराजगी कांग्रेस को भुगतनी पड़ रही है।
हालांकि मुन्नालाल कुशवाह अब भाजपा में आ गए हैं और भाजपा ने भी एक तरह से उन्हें पूरे प्रचार अभियान से दूर कर दिया है। यहां तक कि भाजपा ने किसी भी वार्ड में कुशवाह जाति के उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। कांग्रेस की तुलना में भाजपा अधिक सजग नजर आ रही है। गुटबाजी के बावजूद भाजपा के जिला पदाधिकारी अपने-अपने प्रत्याशियों के प्रचार में जुटे हैं और वे लगातार जनसम्पर्क कर रहे हैं।
हालांकि कांग्रेस की तुलना में भाजपा में भितरघात का खतरा अधिक नजर आ रहा है। कांग्रेस की इस दयनीय स्थिति के बावजूद भी कुछ वार्डों में उनके प्रत्याशियों की स्थिति काफी अच्छी नजर आ रही है। इसका कारण यह है कि उन प्रत्याशियों की छवि काफी अच्छी है और यदि वे निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरते तो भी उनके परफॉर्मेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ता।