शिवपुरी। सावन के महीने में भगवान शिव शिव की नगरी शिवपुरी में श्रद्धा का अटूट समन्वय देखने को मिलता है। श्रद्धा का प्रतीक माने जाने वाले शिवपुरी में एक पर्यटक स्थल है भदैयाकुण्ड। यहां लगभग 70 फीट की उचाई से झरना गिरता है। जो भगवान शिव का जलाभिषेक करता है। यहां यह झरना बरसात के दिनों में मनमोहक रहता है। जिसके चलते यहां टूरिस्टों का बडा केन्द्र बना हुआ है।
इस मंदिर के महंत रघुवीर प्रसाद जी ने बताया है कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 1200 साल पुराना है। जब यहां महाभारत के दौरान अर्जुन ने बाण के जरिए एक साथ 52 कुंडों का निर्माण किया था। जिसमें से एक कुण्ड भदैया कुंड है। यहां कुण्ड के नीचे भगवान महादेव विराजमान है। प्रकृति स्वयं यहां जलाभिषेक करती है।
उन्होंने बताया कि इस झरने का प्राचीन महत्व हैं यह कुण्ड काफी गहरा है अगर गर्मियों में यह झरना भी बंद हो जाता है उसके बाद भी इस कुण्ड का पानी नहीं सूखता। यह 12 माह भरा रहता है। इस कुण्ड के नीचे एक ऐसा भी स्थान है जहां से लगातार पानी आता रहता है। जो गोमुख के जरिए आता है। हालांकि अब भदैया कुंड को पर्यटन संवर्धन वोर्ड ने अपने कब्जे में ले लिया है। जिसके चलते यहां पर्यटकों को बढाने का प्रयास पर्यटन विभाग कर रहा है।
गोमुख से आता है पानी
झरने के पीछे बने शिवजी के प्राचीन मंदिर में दोनों तरफ दो गौमुख बने है। जिनमें से लगातार पानी आता है। यह पानी कहा से आ रहा है यह वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए है। जो लगातार 12 माह चलता है। ऐसी मान्यता है कि इस गोमुख से निकलने वाले पानी को अपनी त्वचा पर लगाने से चर्म रोग ठीक हो जाते है।
सिंधिया राजवंश में महाराज पीने मंगाते थे यह पानी
इस मंदिर के महंत रघुवीर प्रसाद जी ने बताया है कि सिंधिया स्टेट की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिवपुरी हुआ करती थी। उस जमाने में आरओ का पानी उपलब्ध नहीं था। तब इस मीठे पानी के चलते सिंधिया राजवंश के महल में शिवपुरी से पानी जाता था।
प्रेम का प्रतीक है यह झरना
भदैया कुंड के इस झरने को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जीनों से नीचे उतरने के बाद जो झरना झरता है उसके नीचे कोई पति पत्नी या प्रेमी प्रेमिका नहा लेते है तो उनके बीच रिश्ता मजबूत और खुशहाल बन जाता है।
भदैया कुंड के नीचे चांदपाटे में है हजारों मगर
इस भदैयाकुण्ड के नीचे जो पानी जाता है वह पास ही लगे चांद पाटा झील में पहुंचता है। यहां पर्यटन विभाग इस झील में वोटिंग कराता है। यहां बता दे कि इस झील में हजारों की संख्या में मगरमच्छ है। जो यहां बाहर घूमते हुए आसानी से दिखाई देते है।
इस झरने के नीचे एक प्राचीन हनुमानजी का भी मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर पर कोई सच्ची श्रद्धा के साथ कामना करें तो कलयुग के देवता श्री हनुमानजी उनकी मनोकामना पूरी करते है।