भोपाल। कहते हैं निमाड़ की राजनीति में अरुण यादव को अंगद कहा जाता है जिसका पांव कोई हिला तक नहीं सकता। कमलनाथ ने कोशिश भी असफल हो गई थी परंतु शिवपुरी के सुरेंद्र शर्मा ने निमाड़ के अंगद का पांव ना केवल हिलाया बल्कि उखाड़ दिया।
बात खंडवा नगर निगम महापौर के चुनाव की चल रही है। 27 जून को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने अचानक शिवपुरी के सुरेंद्र शर्मा को खंडवा नगर निगम का चुनाव प्रभारी घोषित कर दिया था। 28 जून को सुरेंद्र शर्मा खंडवा में थे। खंडवा में भाजपा की स्थिति बिल्कुल वैसी ही थी जैसी ग्वालियर में थी। पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी से पार्टी के ही कार्यकर्ता संतुष्ट नहीं थे।
कांग्रेस की तरफ से अरुण यादव ने मोर्चा संभाल लिया था जिसके कारण लगने लगा था कि चुनाव एक तरफा है। सुरेंद्र शर्मा ने जाते ही भाजपा के त्रिदेव बूथ अध्यक्ष, बूथ प्रभारी और बीएलए को एक्टिव किया। बैक टू बैक 55 से ज्यादा सामाजिक बैठक का आयोजन किया गया। खंडवा के स्वयंसेवक भी सक्रिय हो गए क्योंकि सुरेंद्र शर्मा स्वयं, संघ की पृष्ठभूमि से हैं।
उधर अरुण यादव ओवरकॉन्फिडेंस में रैलियां कर रहे थे और इधर सुरेंद्र शर्मा भाजपा के कार्यकर्ताओं को कॉन्फिडेंस में लेकर मैन टू मैन मार्किंग कर रहे थे। सुरेंद्र शर्मा की चुनावी रणनीति का नतीजा सबके सामने है। खंडवा में जिस भाजपा प्रत्याशी को सबने पर्चा दाखिल करते ही हारा हुआ मान लिया था, उसने कांग्रेस प्रत्याशी को लगभग 20000 वोटों से हराया। भाजपा की प्रत्याशी अमृता यादव को 51916 वोट मिले, वहीं आशा मिश्रा को 32153 वोट मिले।
मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष को पहले ही बता दिया था- कहां कितने वोट मिलेंगे
सबसे खास बात यह है कि मतदान समाप्त होते ही सुरेंद्र शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को एक शर्ट रिपोर्ट भेज दी थी। जिसमें उन्होंने बता दिया था कि किस वार्ड से कितने वोट मिलने की संभावना है। जब चुनाव परिणाम सामने आए तो आश्चर्यजनक रूप से सुरेंद्र शर्मा के आंकड़े 80% तक मैच कर रहे थे।