अभिषेक शर्मा@ शिवपुरी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर आने की लगभग सभी रास्ते साफ हो चुके है,बताया जा रहा हैं कि टाइगर सफारी के लेआउट को स्वीकृति मिल चुकी हैं,स्वीकृति के बाद विभाग ने अपने प्लान पर काम शुरू कर दिया है।
मास्टर प्लान बनने के साथ ही जल्द डीपीआर बनाई जाएगी। मास्टर प्लान और डीपीआर विशेषज्ञ द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर बनाया जाएगा जिसके लिए जल्द ही टेंडर भी बुलाए जाएंगे। पूर्व में कुछ विशेषज्ञों की सलाह ली जा चुकी है, लेकिन वह इतनी कारगार साबित नहीं हुई।
इसलिए अधिकारी नए सिरे से विशेषज्ञ तलाश रहे हैं जिससे किसी तरह की कमी न रहे। मास्टर प्लान के अनुसार टाइगर सफारी 120 एकड़ में बनाई जाएगी। माधव नेशनल पार्क में टाइगर सफारी के लिए सतना के मुकुंदपुर से मार्गदर्शन भी लिया जा रहा है। वहां करीब पांच साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था और वहां पर टाइगर लाए भी जा चुके हैं।
यह एक सफल माडल रहा था जिसे माधव नेशनल पार्क में भी अपनाया जा सकता है। हालांकि टाइगर सफारी का निर्माण पूरी तरह से सेंट्रल जू अथॉरिटी की गाइडलाइन के अनुसार ही किया जाएगा। यदि समय रहते डीपीआर बन गई तो अगले साल तक टाइगर सफारी का काम पूरा किया जा सकता है।
दूसरी ओर फ्री रेंज टाइगर लाने के लिए भी राष्ट्रीय उद्यान में इन्क्लोजर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इनके लिए पन्ना टाइगर रिजर्व का मॉडल अपनाया जा सकता है जो काफी सफल रहा है। इसके लिए पूरी योजना भी अधिकारियों ने तैयार कर ली है।
सफारी के लिए बनेंगी यह इमारतें
टाइगर सफारी में टिकट ऑफिस, इंटरप्रेटेशन रूम, आडियो विजुअल रूम, कैफेटेरिया, उपकरण कक्ष, पीएम रूम, विद्युत सब स्टेशन, स्टाफ क्वाटर, एडमिन ऑफिस, फूडर स्टोरेज व ऐनिमल किचन, क्वारंटाइन एरिया आदि के साथ अस्पताल भी बनाया जाएगा। इनके लिए 60 से एक हजार स्क्वेयर मीटर तक का क्षेत्र निर्धारित किया जाएगा। इसके साथ सफारी के बाहर व अंदर विजिटर रोड का निर्माण भी किया जाएगा। नियमानुसार कम से कम 30 प्रतिशत ग्रीन एरिया भी छोड़ना होगा।
फ्री रेंज के लिए अपनाया जा सकता है पन्ना माडल
राष्ट्रीय उद्यान में दो संस्थाओं के नियमों के दायरे में रहेंगे टाइगर राष्ट्रीय उद्यान में जो फ्री रेंज टाइगर लाए जा रहे हैं उन पर एनटीसीए के नियम लागू होते हैं। वहीं टाइगर सफारी पर सेंट्रल जू अथॉरिटी के नियम लागू होते हैं। टाइगर सफारी का क्षेत्र भले ही 100 हेक्टेयर से अधिक रहेगा, लेकिन उसमें भी टाइगर रहेगा पिंजरे के अंदर ही। ऐसे में दोनों तरह के टाइगर के लिए पार्क प्रबंधन को दोनों संस्थाओं की अलग-अलग गाइडलाइन फालो करना होगी।
इनका कहना है...
टाइगर सफारी के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। यह 120 हेक्टेयर के क्षेत्र में बनाई जाएगी। डीपीआर और मास्टर प्लान के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। इसके बनने के बाद छह से सात महीने में बिल्डिंग बनकर तैयार हो जाएंगी और हम सफारी शुरू करने की स्थिति में होंगे।
- सीएस निनामा, सीसीएफ सिंह परियोजना