शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी के 39 वार्डो में प्रचार ने तो पूरा जोर पकड़ लिया और हर प्रत्याशी मतदाता को लुभाने में लगा हुआ है। कई वार्डों में प्रत्याशियों द्वारा शराब और नोट बांटे जाने की शिकायत भी सामने आ रही हैं। पुलिस ने वार्ड क्रमांक 5 में कांग्रेस प्रत्याशी की शिकायत पर अवैध शराब बरामद की है।
कांग्रेस प्रत्याशी का आरोप है कि उक्त शराब एक निर्दलीय प्रत्याशी मतदाताओं को बांटने के लिए लाया था। कई वार्डो में प्रत्याशी वोटों की खरीद धड़ल्ले से कर रहे हैं। एक-एक वोट के लिए 5-5 हजार रुपए तक दिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। वोट खरीदने के लिए साम, दाम, दंड-भेद का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन वोटर की चुनाव के प्रति उदासीनता क्या है।
अधिकांश मतदाताओं की पहली बार नगर पालिका चुनाव में रूचि नहीं दिख रही है। एक मतदाता ने इस संवाददाता से चर्चा करते हुए कहा कि अभी चुनाव हैं, तो हर तरह के वायदे प्रत्याशी कर रहे हैं। लेकिन जीत जाने के बाद काम कोई नहीं है। सब अपना घर भरने में लग जाते हैं। ऐसे में वह किसे वोट दें और किसे नहीं। नगर पालिका चुनाव में मतदाताओं को मोहित करने के लिए प्रत्याशी हर हथकंडे का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक प्रत्याशी ने तो यह भी घोषणा कर दी है कि जीतने के बाद वह प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट बिजली फ्री देगी।
शिवपुरी की जनता ने पिछले वर्षों में नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों से काफी कष्ट भोगा है। पिछले 15-20 सालों से नगर पालिका का ढर्रा बुरी तरह से बिगड़ गया है और जनसेवा के इस संस्थान को अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भ्रष्टाचार केन्द्र के रूप में तब्दील कर दिया है। 2014 से 2019 तक नगर पालिका की कमान मुन्नालाल कुशवाह के जिम्मे रही और उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
उस कार्यकाल में जनहित के कामों के स्थान पर किन कामों से पैसा जुगाड़ा जा सकता है, उस पर अधिक ध्यान दिया गया। नगर की प्रमुख सिंध जलावर्धन और सीवेज प्रोजेक्ट का कबाड़ा भी उस कार्यकाल में हुआ। कॉलोनियों की सड़कों का निर्माण तो हुआ। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण 6 माह में ही उन सड़कों ने दम तोड़ दिया। नगर पालिका में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के चहेते ठेकेदारों ने शहर को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहीं कारण है कि शिवपुरी की अधिकांश कॉलोनियों की सड़कें बेहद खराब हैं।
नालियों के काम गुणवत्ताहीन तरीके से हुए, नालों की सफाई भी नहीं हुई। शहर में गंदगी का साम्राज्य फैला और जनता अपनी नगर पालिका से संबंधित समस्याओं के लिए लगातार परेशान बनी रही। 2019 में मुन्नालाल कुशवाह के कार्यकाल समाप्ति के बाद जनता को आशा बंधी की अब जनसमस्याओं का निराकरण होगा। लेकिन अफसरशाही ने जनसमस्याओं के निदान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि उस कार्यकाल में सालों तक नागरिकों के नामांतरण लटके रहे और नगर पालिका भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई। यहीं कारण है कि नगर पालिका प्रशासन से जनता का विश्वास उठ गया है।
जनता को यह भरोसा हो गया है कि गद्दी पर चाहे प्रशासक बैठे या नगर पालिका अध्यक्ष कोई भी जनहित के काम नहीं करेगा। यहीं कारण है कि नगरीय क्षेत्र के मतदाता ने अब अपने आप को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। उसके मन में दृढता से यह बात कायम हो चुकी है कि जीते कोई भी लेकिन हारना उसे है। हारने के इस खेल में मतदाता की उदासीनता स्वाभाविक है।
पहले प्रतिष्ठा के लिए बनते थे जनप्रतिनिधि, अब जेब भरने को
नगरीय प्रशासन के जनप्रतिनिधियों में पिछले वर्षो में बहुत परिवर्तन आया है। पहले नगर पालिका में शहर के गणमान्य और समाजसेवी नागरिक आते थे। जिनका रूझान अपनी प्रतिष्ठा को कायम करने के लिए रहता था। भ्रष्टाचार करने की उनकी मानसिकता नहीं रहती थी। यहीं कारण है कि नगर पालिका शिवपुरी में स्व. सांवलदास गुप्ता, स्व. सोहनमल सांखला, स्व. लक्ष्मीनारायण शिवहरे, गणेशीलाल जैन जैसे नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं।
जिनके द्वारा किए गए विकास कार्य आज भी कायम हैं। इन नगर पालिका अध्यक्षों के कार्यकाल शहर की दशा सुधरी थी। लेकिन अब तो चुने गए जनप्रतिनिधि सिर्फ अपनी दशा सुधारने ेमं लग ेहुए हैं। ऐसे में शिवपुरी का कैसे विकास होगा और मतदाता की राजनीति के प्रति रूचि और विश्वास कैसे कायम होगा।
कांग्रेस प्रत्याशी का आरोप है कि उक्त शराब एक निर्दलीय प्रत्याशी मतदाताओं को बांटने के लिए लाया था। कई वार्डो में प्रत्याशी वोटों की खरीद धड़ल्ले से कर रहे हैं। एक-एक वोट के लिए 5-5 हजार रुपए तक दिए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। वोट खरीदने के लिए साम, दाम, दंड-भेद का खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन वोटर की चुनाव के प्रति उदासीनता क्या है।
अधिकांश मतदाताओं की पहली बार नगर पालिका चुनाव में रूचि नहीं दिख रही है। एक मतदाता ने इस संवाददाता से चर्चा करते हुए कहा कि अभी चुनाव हैं, तो हर तरह के वायदे प्रत्याशी कर रहे हैं। लेकिन जीत जाने के बाद काम कोई नहीं है। सब अपना घर भरने में लग जाते हैं। ऐसे में वह किसे वोट दें और किसे नहीं। नगर पालिका चुनाव में मतदाताओं को मोहित करने के लिए प्रत्याशी हर हथकंडे का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक प्रत्याशी ने तो यह भी घोषणा कर दी है कि जीतने के बाद वह प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट बिजली फ्री देगी।
शिवपुरी की जनता ने पिछले वर्षों में नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों से काफी कष्ट भोगा है। पिछले 15-20 सालों से नगर पालिका का ढर्रा बुरी तरह से बिगड़ गया है और जनसेवा के इस संस्थान को अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भ्रष्टाचार केन्द्र के रूप में तब्दील कर दिया है। 2014 से 2019 तक नगर पालिका की कमान मुन्नालाल कुशवाह के जिम्मे रही और उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
उस कार्यकाल में जनहित के कामों के स्थान पर किन कामों से पैसा जुगाड़ा जा सकता है, उस पर अधिक ध्यान दिया गया। नगर की प्रमुख सिंध जलावर्धन और सीवेज प्रोजेक्ट का कबाड़ा भी उस कार्यकाल में हुआ। कॉलोनियों की सड़कों का निर्माण तो हुआ। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण 6 माह में ही उन सड़कों ने दम तोड़ दिया। नगर पालिका में अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के चहेते ठेकेदारों ने शहर को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहीं कारण है कि शिवपुरी की अधिकांश कॉलोनियों की सड़कें बेहद खराब हैं।
नालियों के काम गुणवत्ताहीन तरीके से हुए, नालों की सफाई भी नहीं हुई। शहर में गंदगी का साम्राज्य फैला और जनता अपनी नगर पालिका से संबंधित समस्याओं के लिए लगातार परेशान बनी रही। 2019 में मुन्नालाल कुशवाह के कार्यकाल समाप्ति के बाद जनता को आशा बंधी की अब जनसमस्याओं का निराकरण होगा। लेकिन अफसरशाही ने जनसमस्याओं के निदान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि उस कार्यकाल में सालों तक नागरिकों के नामांतरण लटके रहे और नगर पालिका भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई। यहीं कारण है कि नगर पालिका प्रशासन से जनता का विश्वास उठ गया है।
जनता को यह भरोसा हो गया है कि गद्दी पर चाहे प्रशासक बैठे या नगर पालिका अध्यक्ष कोई भी जनहित के काम नहीं करेगा। यहीं कारण है कि नगरीय क्षेत्र के मतदाता ने अब अपने आप को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है। उसके मन में दृढता से यह बात कायम हो चुकी है कि जीते कोई भी लेकिन हारना उसे है। हारने के इस खेल में मतदाता की उदासीनता स्वाभाविक है।
पहले प्रतिष्ठा के लिए बनते थे जनप्रतिनिधि, अब जेब भरने को
नगरीय प्रशासन के जनप्रतिनिधियों में पिछले वर्षो में बहुत परिवर्तन आया है। पहले नगर पालिका में शहर के गणमान्य और समाजसेवी नागरिक आते थे। जिनका रूझान अपनी प्रतिष्ठा को कायम करने के लिए रहता था। भ्रष्टाचार करने की उनकी मानसिकता नहीं रहती थी। यहीं कारण है कि नगर पालिका शिवपुरी में स्व. सांवलदास गुप्ता, स्व. सोहनमल सांखला, स्व. लक्ष्मीनारायण शिवहरे, गणेशीलाल जैन जैसे नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं।
जिनके द्वारा किए गए विकास कार्य आज भी कायम हैं। इन नगर पालिका अध्यक्षों के कार्यकाल शहर की दशा सुधरी थी। लेकिन अब तो चुने गए जनप्रतिनिधि सिर्फ अपनी दशा सुधारने ेमं लग ेहुए हैं। ऐसे में शिवपुरी का कैसे विकास होगा और मतदाता की राजनीति के प्रति रूचि और विश्वास कैसे कायम होगा।