शिवपुरी। खबर जिले के ग्राम पंचायत मगरौनी, निजामपुर और किशनपुर की है। जहां अब तीनों ग्राम पंचायतों को नगर परिषद मगरौनी में विलय करने की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें इन तीनों पंचायतों में पदस्थ्य सचिवों ने अपने आप को पंचायत का कर्मराी बताकर लिस्ट निकाय को सौंपी है। जिसके चलते अब वह अपने ही जाल में उलझ गए और इन्हें मनरेगा से मजदूरी का भी भुगतान हो गया।
अपने जाल में फसने की खबर सामने आते ही जिला पंचायत सीईओें ने तीनों पंचायत सचिवों को निलंबित कर दिया है। अब इनसे बसूली की तैयारी की जा रही है। फिलहाल एफआईआर को लेकर आदेश जारी नहीं किए हैं। करैरा एसडीएम ने 1 अक्टूबर 2021 को नवीन गठित नगर परिषद मगरौनी में कर्मचारियों की भर्ती की जांच कर प्रतिवेदन कलेक्टर को प्रस्तुत किया।
जांच प्रतिवेदन में ग्राम पंचायत मगरौनी के सचिव नारायण सिंह गुर्जर, किशनपुर सचिव द्वारका प्रसाद जाटव और निजामपुर सचिव हनुमंत सिंह रावत को दोषी पाते हुए अनुशासनात्मक के साथ दंडात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की।
दरअसल तीनों ग्राम पंचायतों की सचिवों ने कर्मचारी बताकर जो लिस्ट सौंपी, उन लोगों के नाम ग्राम पंचायतों में हुए मनरेगा कार्यों के बदले मजदूरी का भुगतान हुआ था। सचिव व रोजगार सहायकों द्वारा अनियमित नियोजित श्रमिक व कर्मचारियों को मनरेगा, पंचायत निधि व अन्य शासकीय मद की राशि का संबंधितों को अनियमित भुगतान कर ग्राम पंचायतों को आर्थिक क्षति पहुंचाकर अनियमितता की गई।
3 को निलंबित किया, वसूली की जाएगी
जिला पंचायत सीईओ उमराव सिंह मरावी ने निजामपुर सचिव हनुमंत सिंह रावत, मगरौनी सचिव नारायण सिंह गुर्जर और किशनपुर सचिव द्वारका प्रसाद जाटव नोटिस जारी किए। जवाब संतोषप्रद नहीं होने पर तीनाें को निलंबित कर दिया है। साथ ही तीनों से आर्थिक अनियमितता को लेकर वसूली की जा रही है।