शिवपुरी। शहर में आपको अगर नरक देखना है तो शहर के हृदय स्थल में स्थित वार्ड क्रमांक 27 का भ्रमण कर लीजिए यहां का वातावरण पूरी तरह से नरकीय बना हुआ है। अनेक स्थानों पर गंदे पानी का जमावड़ा है, जिसमें सैकड़ों की संख्या में सुअर लोटते नजर आएंगे आपको, यह लापरवाही सिर्फ नगर पालिका प्रशासन और पूर्व पार्षदों की अनदेखी के कारण वार्ड की हालत काफी खराब है।
वार्ड में नालियों और गंदे पानी से निकली बदबू से जनजीवन बुरी तरह से परेशान है। कहने को तो सिंध जलावर्धन योजना की पाइप लाइन वार्ड में डाल दी गई है। लेकिन इसके बाद भी वार्डवासी पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। सीवेज प्रोजेक्ट की पाइप लाइन जमीन में धंसक गई है और अपनी प्रासंगिक्ता और उपयोगिता को खो चुकी है।
बरसात में तो यह वार्ड पूरी तरह से नरक में तब्दील हो जाता है। पानी की निकासी न होने से जीर्ण-शीर्ण सड़कों पर 2 से 3 फीट तक पानी भर जाता है और यह गंदा पानी लोगों के घरों में भी पहुंच जाता है। जिससे वार्ड में रहने वाले लोग अपने आप को कोसने के अलावा कुछ नहीं कर पाते। एक ओर जहां नगर के कई वार्डो में विकास कार्य हुए। वहीं यह वार्ड विकास कार्यो से पूरी तरह महरूम है।
वार्ड क्रमांक 27 दुर्दशा का शिकार सबसे पहले आज से लगभग 7 साल पूर्व हुआ। जब यहां से भाजपा समर्थित पार्षद अजय भार्गव चुने गए। उनके कार्यकाल में क्षेत्र में जो विकास कार्य हुए वह अब अभिशाप बन चुके हैं। उस दौरान वार्ड में सिंध पाइप लाइन और सीवेज प्रोजेक्ट डाले गए। सिंध पाइप लाइन डालने के कारण पूरे वार्डो की सड़कें उखाड़ दी गईं।
नियमानुसार तो पाइप लाइन डालने के बाद सड़क यथावत स्थिति में वापिस लानी थी। लेकिन ठेकेदार और नगर पालिका एवं पीएचई की अनदेखी के कारण सडकें ठीक नहीं की गईं। जिसके कारण वार्ड में सडकें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त और तबाह हो चुकी हैं। वार्ड की सबसे पॉस कॉलोनी मोहन नगर में नालियां न होने से घरों से निकला गंदा पानी सड़क पर फैलकर तलाबा का रूप ले लेता है।
जिसमें मक्खी और मच्छर पनपते रहते हैं और सुअरों के लिए यह वातावरण पूरी तरह से उपयुक्त है। गंदगी इतनी है कि इलाके में सूअरों के साथ-साथ जानवरों का जमावड़ा भी लगा रहता है। सिंध की पाइप लाइन डल चुकी है। लोगों के कनेक्शन भी हो चुके हैं। लेकिन वहां नल से पानी पीने का सपना दूर की कोंडी बना हुआ है। सिंध जलावर्धन योजना की पाइप लाइन डालने के लिए सड़कें खोद दी गई और तब से ही वहां के लोग सड़कों के लिए तरस रहे हैं।
वहीं सीवर लाइन भी जमीन के नीचे दबकर रह गई और बारिश का पानी वहां बनाए गए चैम्बरों में भरना शुरू हो गया। अजय भार्गव के बाद वहां के लोगों ने भाजपा पर एक बार फिर विश्वास जताकर भाजपा प्रत्याशी हरिओम नरवरिया को प्रतिनिधित्व सौंपा। लेकिन उनकी निष्क्रियता से जनता त्रस्त हो गई। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने वार्ड में किसी तरह का भी संवाद लोगों से नहीं किया और न ही उन्होंने वार्ड के लिए कोई योजना तैयार की।
उनके पांच वर्ष के कार्यकाल में वार्ड के एक गड्डे में भी मिट्टी तक नहीं डाली गई। सीवर खुदाई के बाद वार्ड सड़क विहीन हो गया। जो नालियां थीं वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं और टूटी हुई नालियों से पानी निकल कर सड़कों पर भरने लगा। स्थिति यह हो गई कि नाली में थोड़ा सा भी कोई कचरा फंस गया तो पानी उफन कर सड़क पर आ जाता है। ऐसी स्थिति में उन सड़कों से निकलना लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन जाता है।
वार्ड के लोगों का कहना है कि इस बार वह नगर पालिका चुनाव में वार्ड की समस्याओं को लेकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे और चुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार करेंगे। वार्ड की समस्याओं को लेकर कई बार उन्होंने तत्कालीन पार्षद हरिओम नरवरिया से लेकर कलेक्टर और सीएमओ से शिकायत की। लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। जिसका परिणाम वार्ड के लोग भुगत रहे हैं।