शिवपुरी। आज प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण विनोद कुमार के मार्गदर्शन में एवं जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती अर्चना सिंह की अध्यक्षता में वर्चुअल माध्यम से तहसील कोलारस के अंतर्गत कोलारस पब्लिक स्कूल में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित किया गया।
जिला न्यायाधीश श्रीमती अर्चना सिंह द्वारा छात्रों को पोक्सो एक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि वर्तमान समय में इंटरनेट के आने से बच्चों के विरुद्ध अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हुई है इसलिए आवश्यक है कि बच्चे अपने भले एवं बुरे को समझें तथा किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर माता-पिता या शिक्षक से बात करें। इसी प्रकार यदि बच्चों से कोई अपराध हो जाता है तो उसका विचारण अलग ढंग से किया जाता है।
इसमें सबसे पहले बच्चों की साइकोलॉजी देखी जाती है कि जब किशोर के द्वारा अपराध किया गया तो वह किस परिस्थिति से गुजर रहा था एवं किस मानसिक अवस्था में था। कानून में 18 वर्ष तक के बच्चों को बालक माना गया है किंतु निर्भया प्रकरण होने के बाद 16 से लेकर 18 वर्ष तक के बालकों से यदि कोई अपराध हो जाता है तो सबसे पहले उसकी साइकोलॉजी टेस्ट की जाती है और यदि उसने सोच समझकर ठंडे दिमाग से योजना बनाकर अपराध गठित किया है तो उसे उसी प्रकार दंडित किया जाता है जैसे किसी वयस्क को किंतु पहले उसे सुधार गृह में रखकर उसकी काउंसलिंग की जाती है। यदि काउंसलर के द्वारा कहा जाता है कि उक्त बालक के समाज की मुख्यधारा में जुड़ने की कोई संभावना नहीं है, तो फिर उसे वयस्क की तरह ही दंडित किया जाता है।
जिला विधिक सहायता अधिकारी श्रीमती शिखा शर्मा के द्वारा बच्चों को बताया गया कि बच्चों को यह समझना आवश्यक है कि अच्छा स्पर्श और बुरा स्पर्श क्या होता है और यदि बच्चा किसी भी व्यक्ति के साथ असहज महसूस करता है तो उसे तत्काल अपने माता-पिता, शिक्षक अथवा साथी से बात करना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति से दूरी बना लेनी चाहिए। नशे के बारे में बात करते हुए बताया गया कि नशा बच्चों को अपराध उन्मुख करता है। इसलिए यदि बच्चे अपना एवं अपने माता-पिता का भविष्य बेहतर बनाना चाहते हैं तो नशे से हमेशा दूर रहना चाहिए और ऐसे लोगों को ना कहना सीखना चाहिए जो उन्हें किसी भी प्रकार के नशे में लिप्त करना चाहते हैं।