संतोष शर्मा@ शिवपुरी। पोहरी नगर पंचायत क्षेत्रांतर्गत आने वाला केदारेश्वर महादेव मंदिर प्राकृतिक रूप से पहाड़ों के बीच स्थित है जिसके एक ओर सरकुला नदी बहती है तो दूसरी ओर विशाल पहाड़ है,पहाड़ों के बीच से होकर निकलने वाली पानी की करोडों बूदों से महादेव का अभिषेक प्राय: वर्षभर चलता रहता है परंतु शिवरात्रि के दिन यहां लोगों की संख्या हजारों में होती है जो कि एक मेले का स्वरूप में आयोजित होता है।
अब बात करें केदारेश्वर महादेव मंदिर के निर्माण एवं शिवलिंग के प्राकट्य के विषय में तो बताना आवश्यक होगा कि वर्तमान पोहरी से पूर्व प्राचीन काल में पोहरी केदारेश्वर मंदिर के नजदीक ही पहाड़ी के नीचे बसी हुई बस्ती थी जिसे बूडी पोहरी कहा जाता है, जिसके अवशेष आज भी स्थानीय पत्थर माफियाओं द्वारा खोद कर बेचे जा रहे हैं, यहां पुराने समय के भवनों, कुआ बावड़ी, मंदिरों आदि के अवशेष खुदाई में निकल रहे हैं जो कि काफी प्राचीन प्रतीत होते हैं।
केदारेश्वर मंदिर के विषय में जब यहां के पुजारी परिवार के ही रामनिवास भार्गव से चर्चा की गई तो उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग चार-पॉच सौ वर्ष पूर्व हमारे परिवार के पूर्वजों को भगवान शिव द्वारा सपने में आकर इस स्थान के विषय में बताया था जब निर्धारित स्थल पर खुदाई की गई तो शिवलिंग एवं गर्भगृह मूलरूप में ही निकले, जो गर्भगृह वर्तमान में है वह उस समय से ही विराजमान हैं।
यहां स्थित गौमुख से जल की धारा वर्षभर प्रवाहित होती रहती है कहते हैं कि इस जल को पीने से ही शरीर की कई बीमारियों का शमन हो जाता है, खासकर इस जल से पेट के रोगों में काफी लाभ मिलता है। उन्होने बताया कि यहां के पूजन की जिम्मेदारी हमारे परिवार द्वारा पीढियों से की जा रही है, वर्तमान में हमारे दो परिवार है जो बारी—बारी से वर्षभर पूजन का कार्य देखते हैं।