शिवपुरी। खबर ADM आफिस से आ रही है जहां अवैध कॉलोनाइजर के मामले में शिवपुरी के इतिहास का सबसे बड़ा फैसला आया हैं। ADM न्यायालय ने बिना डायवर्सन, बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति के शहर में और शहर के चारों तरफ खेतों में कंपनियों काटने वाले कॉलोनाइजर नीतेश पुत्र शिव शंकर गोयल निवासी सदर बाजार पर एडीएम न्यायालय ने 77 लाख 80 हजार रुपये का जुर्माना अधिरोपित करते हुए, नगर पालिका एक्ट के तहत एफआईआर के आदेश दिए हैं।
कॉलोनाइजर ने कृषि भूमि पर बिना किसी डायवर्सन, बिना टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की अनुमति के न सिर्फ कॉलोनी काट दी बल्कि उस पर व्यावसायिक उपयोग हेतु मार्केट व गोदाम भी बना डाला। अभी ऐसे कई प्रकरण लंबित है।
यह खेतों को काट कर बेचा गया
मदकपुरा के टुकड़ा नंबर-2 पर नीतेश गोयल की 0.400 हेक्टेयर भूमि सर्वे नंबर 29/1/मिन-2/1/1 स्थित है। इस भूमि पर नीतेश ने कॉलोनी काटी परंतु नीलेश ने न तो सक्षम अधिकारी से कॉलोनी काटने की अनुमति प्राप्त की और न ही टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नक्शा पास कराया। यह मामला ADM न्यायालय में लाया गया।
मामले की सुनवाई के दौरान जो तथ्य न्यायालय के समक्ष लाए गए उनके आधार पर न्यायालय ने माना कि कॉलोनाइजर ने कॉलोनी विकास किए बिना ही वहां टुकड़ों में भूखंड विक्रय किए। कॉलोनाइजर का यह कृत्य नपा के कॉलोनाइजर एक्ट 1961 की धारा 339घ के तहत आपराधिक कृत्य है। एडीएम न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि नीतेश गोयल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाए और अधिरोपित अर्थदंड की राशि मप्र भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 146 के तहत अनावेदक की चल-अचल संपत्ति से वसूली जाए।
शासन अपने हाथ में लेगी कॉलोनी का प्रबंधन
कॉलोनाइजर द्वारा अवैध रूप से विकसित की गई कॉलोनी का प्रबंधन अब शासन नगर पालिका अधिनियम 1998 के नियम 15 के अनुसार अपने हाथों में लेगी और वहां पर रहने वाले लोगों को जीवन निर्वाह के आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
आधा सैकड़ा कॉलोनियों पर कब गिरेगी गाज?
साल 2019 में प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया था जिसमें 56 कॉलोनियों की सूची बनाई गई थी। इसके बाद सिर्फ राजस्व और नगर पालिका के बीच पत्राचार हुआ, कोई कार्रवाई संस्थित नहीं की गई। अब तीन साल बीत गए हैं, लेकिन शहर के अधिकारी यह भी तय नहीं कर पाए हैं कि किसे और क्या कार्रवाई करना है।
जाहिर है कि प्रशासन की मंशा कार्रवाई की नहीं है। इस सूची में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता भी शामिल हैं। दूसरी ओर पिछले तीन सालों में करीब एक सैकड़ा अवैध कॉलोनियां और बनकर तैयार हो गई हैं। इनमें न तो नगर पालिका को टैक्स दिया जा रहा है और न ही टीएनसीपी से अनुमति ली जा रही है।
पटवारियों पर भी FIR का प्रावधान
जिले भर में कोई भी कॉलोनाइजर खेतों में लाल मुरम की सड़कें डलवा कर वहां भूखंड काट देता है, जबकि कॉलोनी में न तो विद्युत पोल होते हैं, न कोई पार्क, मंदिर आदि। यह सब कुछ स्थानीय पटवारियों को भी नजर आता है लेकिन पटवारी अवैध कॉलोनाइजर से सुविधा शुल्क लेकर उन पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करते हैं और न ही प्रकरण को अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाता है।
ऐसे में यह कहा जाए कि अवैध कॉलोनियां पटवारियों की सरपरस्ती में ही काटी जाती हैं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। बात अगर कानून की करें तो अवैध कॉलोनी निर्माण की जानकारी होते हुए भी इसकी अनदेखी करने वाले अधिकारी-कर्मचारी भी धारा 339सी के प्रावधानों के अनुसार दंड के भागीदार हैं। ऐसे में कहीं न कहीं प्रशासनिक अधिकारी अभी भी पटवारियों को अभयदान दे रहे हैं।