शिवपुरी। आगामी 27 फरवरी को हमारे प्रदेश की मिट्टी से जन्मे आजादी आन्दोलन के महान क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद का शहादत दिवस है। शहीद चंद्रशेखर आजाद का जन्म मध्यप्रदेश में अलीराजपुर के भाबरा गाँव में 23 जुलाई 1906 को हुआ था। आजादी आन्दोलन में जब महत्मा गांधी द्वारा असहयोग आंदोलन चलाया जा रहा था तब अन्य छात्र, नौजवानों की तरह चंद्रशेखर भी उसमें बढ़-चढ़ कर भागीदारी दे रहे थे, व विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे थे।
इसी समय महज 15 साल के किशोर चंद्रशेखर को गिरफ्तार कर अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। जब मजिस्ट्रेट ने चंद्रशेखर से पूछा "तुम्हारा नाम क्या है?" बालक ने निडरता के साथ उत्तर दिया- "आजाद" मजिस्ट्रेट ने पुछा- "तुम्हारे पिता का नाम क्या है?" उत्तर मिला- "स्वाधीनता" इस रवैये को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने गुस्से से पूछा-" तुम्हारा घर कहाँ है?" उन्होंने बिना किसी झिझक के जवाब दिया- "जेल खाना" इस पर मजिस्ट्रेट ने उन्हें 15 बेंतो की सजा सुनाई। जल्लाद की हर एक बेंत पर उनका पूरा शरीर कांप उठता था बावजूद इसके उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी जो उनके दृढ़ निश्चय को व्यक्त करती थी।
अगले दिन प्रभा अखबार के मुख्य पृष्ठ पर उनकी तस्वीर के साथ खबर छपी वीर बालक आजाद' तभी से वे आजाद के नाम से प्रसिद्ध हो गए। चंद्रशेखर आजाद के कुशल नेतृत्व कारी होने के कारण साथियों ने एकमत होकर एच.आर.ए. का कमांडर इन चीफ के रूप में उन्हें स्वीकार किया। 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से लड़ते हुए आखिरी गोली अपनी कनपटी पर मार कर चंद्रशेखर आजाद ने अपनी शहादत दी, वे आजीवन आजाद रहे। उनकी शहादत को 90 साल हो गए हैं, परंतु आज भी उनके विचार प्रासंगिक है। लेकिन सवाल उठता है कि हम इन क्रांतिकारियों को क्यों भूलते जा रहे हैं? मोबाइल के नए-नए गैजेट्स फिल्मी सितारों की कहानियां, सोशल मीडिया की आभासी दुनिया हमारी चर्चा का विषय बन चुके हैं।
लेकिन भूख से बिलखती जनता, बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करते युवा, महंगी शिक्षा के कारण शिक्षा से वंचित होते गरीब व मध्यम वर्ग के छात्र हमारी चर्चा का विषय नहीं बन पा रहे हैं। जब हम इन क्रांतिकारियों को पढ़ते हैं, समझते हैं तो सामाजिक मुद्दों से जुड़ जाते हैं। किस तरह से एक 20 वर्षीय युवा देश के अंदर हो रहे अन्याय अत्याचार को देखकर कुर्बान हो गए। इसलिए दोस्तों आगामी 27 फरवरी को माधव चौक पर छात्र संवाद का आयोजन किया जा है। जहां आप और हम मिलकर इन क्रांतिकारियों को याद करें। इस कार्यक्रम में अपना समय निकालकर शिरकत दें और इस कार्यक्रम हेतु तन-मन-धन से सहयोग करें।