शिवपुरी। साल 2021 में सन 2022 को मिलने में कुछ ही घंटे बचे हैं। कलैंडर बदल जाऐगा लेकिन शिवपुरी के कुछ ऐसे प्रोजेक्ट हैं जो अधूरे पडे है। उनमे से एक प्रोजेक्ट है पोहरी की लाइफ लाइन माने जाने वाला सरकुला डेम प्रोजेक्ट। पोहरी में होने वाले उपचुनाव में से पूर्व इस डेम का भूमिपूजन वोटो की फसल काटने के लिए किया गया था। कुल मिलाकर पोहरी की जनता को प्यास है बडी का नारा देखकर पोहरी उपचुनाव में भाजपा जिंदाबाद का नारा लगवा गए।
जलक्रांति से जन्म हुआ है सरकुला डेम का
पोहरी क्षेत्र के आमजन जलक्रांति पोहरी के नाम से वर्ष 2014 से सरकुला नदी पर डैम निर्माण की मांग कर रहे थे। इसके लिए तत्कालीन विधायक प्रहलाद भारती एवं जल क्रांति के सक्रिय सदस्यों द्वारा 14 जून 2016 में भोपाल जाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात की तथा सरकुला डैम निर्माण की मांग रखी थी।
जिसे पोहरी में चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आम सभा के दौरान डैम निर्माण की विधिवत घोषणा भी की थी इसके लिए वर्ष 2018 में 226.62 करोड़ का बजट भी कैबिनेट में मंजूर किया जा चुका था। इसके बाद प्रदेश के नाथ हो गए कलमनाथ और इस योजना का बजट रोक दिया गया,बजट रोकने के बाद तात्कालिन विधायक सुरेश राठखेडा जनता को जबाव नही दे पा रहे थे।
फिर जैसे मौसम बदलता हैं ऐसे ही प्रदेश में राजनीति ने करवट ली। ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांगेेस का हाथ छोड भाजपा का दामन थाम लिया और और उनके साथ प्रदेश के 16 विधायको ने अपना विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने वालो मे एक नाम पोहरी विधायक सुरेश राठखेडा भी एक नाम था।
पोहरी में उपचुनाव होना था और इस बार भाजपा से प्रत्याशी थे सुरेश राठखेडा उपचुनाव से पूर्व सरकुला डेम का मुददा उझला तो भाजपा ने जनता की प्यास है बडी पर काम शुरू कर दिया,आनन फानन में सरकुला डेम के टेंडर लगवा दिए और डेम का काम मिला राजकुमार बिल्डर्स प्रा लि.को।
चुनाव के पूर्व डेम का भूमिपूजन 11 सितंबर 2020 को सीएम शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित भाजपा के तमाम दिग्गज नेता ने एक भव्य कार्यक्रम में इस डेम का भूमिपूजन किया। बडी बडी मशीने भूमिपूजन के समय कार्यक्रम स्थल पर थी। पोहरी में प्यास है बडी के नारे पर बडी संख्या में भाजपा को वोट मिले और भाजपा के प्रत्याशी सुरशे राठखेडा चुनाव जीत गए।
चुनाव जीतने के बाद मशीने गायब हो गई। डेम का काम शुरू होने से पूर्व ही रूक गया। कारण की अधिकृत जानकारी किसी को नही हैं,लेकिन अब अपना अमूल्य वोट देने के बाद पोहरी जनता अपने आप को ठगा से महसूस कर रही हैं।
एनओसी के चक्कर में रूका काम
बताया जा रहा हैं कि सरकुला डेम के निर्माण में सबसे बडी बाधा फॉरेस्ट की एनओसी हैं,जब डेम निर्माण की मजूंरी मिली थी और इसके टेंडर लगाए गए थे उस समय भी वन विभाग की एनओसी नही ली गई थी। उपचुनाव के भूमिपूजन के समय भी एनओसी नही थी। लेकिन जनता को विकास का दिखावा किया गया और भूमिपूजन कर दिया गया साल 2021 पूरा एनओसी के कारण ही निकल गयां।
एक साल लंबा समय गुजरने के बाद अभी तक यह प्रोजेक्ट कागजों से निकलकर धरातल पर नहीं आ सका जबकि 6 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि खर्च कर दी गई। इस डेम से एक सैकड़ा से अधिक गांवों को सिंचाई का पानी मिलना है। साथ ही पोहरी अंचल के आमजन को भी जल जीवन मिशन के तहत पानी मिलता। हालांकि इस एक साल में इस प्रोजेक्ट को लेकर कई आरोप और प्रत्यारोप लगते रहे हैं। खुद भाजपा के ही पूर्व विधायक प्रहलाद भारती ने इस प्रोजेक्ट पर सालभर में कई सवाल खड़े कर दिए हैं कुल मिलाकर लिख सकते हैं इस इंच भी नही सरका सरकुला डेम इस साल..........