शिवपुरी। कोरोना के चलते एक ओर तो लॉकडाउन है तो दूसरी ओर कारोबार भी बंद हैं ऐसे में कई लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। एक तो वह घरों में ही कैद हैं और घरों के बाहर तक नहीं निकल पा रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ लोगों को काम धंधे की चिंता सता रही है जिसके चलते भी लोग मानसिक रूप से परेशान हैं और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।
काम धंधे की सता रही चिंता
अधिकतर लोगों को कोरोना के लॉकडाउन में जहां काम धंधे की चिंता सता रही है तो प्रायवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को अपनी नौकरी की चिंता सता रही है। यहीं वजह है कि लोग अपनी नौकरियों और काम को लेकर डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं।
बेरोजगार बैठा तो हुआ डिप्रेशन का शिकार
बबलू का कहना है कि उनका भाई पहले काम कर 15 से 20 हजार रूपए महीना कमाता था लेकिन पिछले लॉकडाउन के बाद से उसकी नौकरी चली गई तब से वह बेरोजगार बैठा था जिसके चलते वह डिप्रेशन में चला गया और अब उसका इलाज कोटा करा रहे हैं।
पति हुआ बेरोजगार को सोमवती को डिप्रेशन
सोमवती का पति काम कर 10 हजार रूपए महीना कमाता था लेकिन लॉकडाउन के चलते दो माह से घर पर बैठा हैं ऐसे में सोमवती कपडे की दुकान चलाकर घर के खर्च में हाथ बटाती थी लेकिन डेढ माह से दुकान बंद है और पति की भी नौकरी चली गई ऐसे में सोमवती मानसिक बीमारी की शिकार हो गई जिसका उपचार करवाया जा रहा है।
क्या करें डिप्रेशन से बचाव के लिए
एकांत का सहारा कभी भी न लें, डिप्रेशन के शिकार मरीज के साथ बात करें और उसे बाहर घुमाएं और सुबह के समय सैर कराएं साथ ही उसका मनोरंजन भी करवाएं। इतना ही नहीं परिवार के लोगों के साथ बैठकर बात करने से भी मानसिक रूप से अस्वस्थ मरीज को थोडा आराम मिलता है। इतना ही नहीं उसे किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाकर उसका इलाज करवाएं।