शिवपुरी। देख तेरे संसार की क्या हालत हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान यह पंक्तियां कोरोना काल में चरितार्थ हो रही है। कोरोना के चलते बाजार लॉक हैं तो सडकों पर मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है इतना ही नहीं लोग एक दूसरे से दूरी बनाए रखे हैं तो मुंह पर मास्क लगा हुआ है। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि कोरोना के चलते अपनों को भी लोग कांधा देने से कतराएंगे।
अर्थी को कांधा तक नहीं दे पा रहे लोग
कोरोना पाजिटिव मरीज की मौत के बाद परिजन उसे कांधा तो छोडिए रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं ग्वालियर में तो कोरोना पाजिटिव मरीजों की अस्थियंा तक लेने के लिए परिजन आगे नहीं आ रहे हैं।
पार्क सूने घरों में कैद लोग
पार्क सूने हो गए हैं जहां पहले पार्कों में बच्चों खेलते थे लेकिन आज पार्क सूने हैं तो लोग घरों में कैद रहने को मजबूर हैं। टीवी और मोबाइल पर बैठकर लोग अपना टाइम पास कर रहे हैं।
कचौरी, पानी की टिक्की का जायका भूले
शहर की सडकों पर और चौपाटियों पर लोग चाट पकौडी का आनंद लेते थे लेकिन लॉकडाउन के चलते कारोबार लॉक है ऐसे में लोग कचौरी, समोसे से लेकर पानी की टिक्की का जायका तक भूल गए हैं।
अल्कोहल का सेनेटाइजर लेकर चल रहे साथ
अल्कोहल को लोग बुरा मानते थे लेकिन आज अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर लोग अब अपने साथ लेकर जेब में रखकर घूम रहे हैं।