शिवपुरी। कोरोना के बाद कोरोना मरीजों को अब और सावधान रहने की जरूरत है। कमजोर शक्ति वाले लोगों पर ब्लैक फंगस का खतरा मंडरा रहा है। प्रदेश के भोपाल सहित कई शहरों में जो कोरोना मरीज स्वस्थ हुए हैं उनको ब्लॅक फंगस भी हो गया है जिसे लेकर अब प्रदेश सरकार सहित स्वास्थ्य महकमा भी हरकत में आ गया है।
कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वालों पर असर
ब्लैक फंगस का असर उन कोरोना मरीजों पर दिख रहा है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हैं और वह लोग पहले से ही कोई न कोई पुरानी बीमारी से ग्रसित हैं। ऐसे में लोगों को अब सावधान रहने की जरूरत है।
ग्वालियर के कंपू थाने में पदस्थ हवलदार की मौत
शिवपुरी से सटे ग्वालियर में आज ब्लैक फंगस से एक हबलदार की मौत होने की खबर है। हांलाकि प्रशासन की तरफ से अभी अधिकारिक जानकारी नहीं आई है। परंतु बताया गया है कि कंपू थाने में पदस्थ हबलदार रामकुमार शुक्ला को कोरोना हो गया था। जिसके चलते उन्हें ग्वालियर के सिम्स हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया था। जहां वह रिकवर हो रहे थे। तभी उन्हें ब्लैक फंगस ने चपेट लिया और उनकी मौत हो गई।
शुगर और ICU में रहे मरीज हो रहे शिकार
जिन मरीजों को शुगर है और जो मरीज कोरोना के चलते कई दिनों तक आईसीयू में भर्ती रहे हैं ऐसे मरीजों में ब्लैक फंगस देखा जा रहा है। भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों के अलवा देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस की बीमारी भी देखने में आ रही है जिसे लेकर आईसीएमआर ने गाइड लाइन भी जारी की है।
दरअसल, म्यूकोरमाइसिस फंगस (ब्लैक फंगस) इंफेक्शन से जुड़ी बीमारी है. यह बीमारी एक तरह के फंगस या फफूंद से फैलती है। इस फंगस के स्पोर्स या बीजाणु वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं. आमतौर पर इनसे कोई ख़तरा नहीं, लेकिन अगर शरीर का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो, तो ये जानलेवा साबित हो जाते हैं। शुगर के मरीज इस बीमारी के ज्यादा ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
इस रोग में आंख की नसों के पास फंगस इंफेक्शन जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटिनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इसकी वजह से आंखों की रोशनी चली जाती है। कोरोना संक्रमित मरीज या कोरोना से स्वस्थ हुए कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखा गया है. यह इंफेक्शन आमतौर पर उन लोगों में पाया गया है, जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर होता है।
कैसे शरीर हो प्रभावित करता है ब्लैक फंगस
आंख, नाक के रास्ते ये फंगस दिमाग तक पहुंचता है और इस दौरान रास्ते में आने वाली हड्डी और त्वचा को नष्ट कर देता है और इसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा है। लखनऊ के सीवीओ हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर एमबी सिंह इस फंगस को घातक तो मानते हैं, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं मानते हैं। डॉक्टर का कहना है कि जो पेशेंट बहुत ज्यादा दिन तक ऑक्सीजन और वेन्टीलेटर्स के स्पोर्ट पर रहते हैं और जिनका सुगर अनकंट्रोल है, उनमें से भी किसी किसी को ही ये फंगस अपना शिकार बना रहा है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं. इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना भी शामिल हैं।
कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है। आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं। कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है।